साक्षात ब्रह्म रूप शिवलिंग की उपासना महान कल्याणकारी है इसकी स्थापना महान पुण्य प्रद है मुख्य रूप से चार प्रकार के लिंग कहे जाते हैं :-एक मानव के द्वारा स्थापित, दूसरा ऋषि द्वारा स्थापित, तीसरा देवता द्वारा स्थापित और चौथा स्वयंभू शिवलिंग है जो मानव मात्र के कल्याण के लिए गाजियाबाद की धरती पर प्रकट हुई।
शिव पुराण में सूची कहते हैं जो श्रवण , कीर्तन और मनन इन तीनों साधनों के अनुष्ठान में समर्थ ना हो भगवान शंकर के लिंग या मूर्ति की स्थापना करके उसकी पूजा करें तो संसार सागर से पार हो सकता है। पुराणों के अनुसार जहां-जहां ज्योतिर्लिंग हैं, उन 12 जगहों पर भगवान शिव स्वयं प्रकट हुए थे। कहा जाता है कि इन ज्योतिर्लिंगों के दर्शन, पूजन, आराधना और नाम जपने मात्र से भक्तों के सभी पाप समाप्त हो जाते हैं। बाबा भोले की विशेष कृपा बनी रहती है। आइये महाशिवरात्रि के मौके पर आपको द्वादश ज्योतिर्लिंग के दर्शन कराते हैं।
- सोमनाथ ज्योतिर्लिंग
- मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग
- महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग
- ओमकारेश्वर ज्योतिर्लिंग
- केदारनाथ ज्योतिर्लिंग
- भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग
- विश्वनाथ ज्योतिर्लिंग
- त्र्यंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग
- नागेश्वर ज्योतिर्लिंग
- वैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग
- रामेश्वरम ज्योतिर्लिंग
- घृष्णेश्वर ज्योतिर्लिंग
शिवलिंग के जलाभिषेक का बड़ा महत्व:-
शिवलिंग के जलाभिषेक का बड़ा महत्व है श्रावण मास की शिवरात्रि को पति पावनी गंगा से जलाकर ज्योतिर्लिंग व अन्य विधि विधान से स्थापित शिवलिंग का जलाभिषेक समस्त कष्टों को हरने वाला है हमारे ऋषि-मुनियों द्वारा स्थापित परंपराओं में कावड़ का विशेष महत्व है।
स्वयंभू भगवान दूधेश्वर का जलाभिषेक:-
पवन गंगोत्री ऋषिकेश और हरिद्वार से गंगाजल लाकर भगवान शिव के परम भक्त कावड़ियों लगभग 200 किलोमीटर की दूरी तय कर ऐतिहासिक सिद्धपीठ श्री दूधेश्वरनाथ महादेव मठ मंदिर में स्थित ज्योतिर्लिंग स्वयंभू भगवान दूधेश्वर का जलाभिषेक कर पुण्य कमाते हैं। जलाभिषेक कर मनोकामना पूर्ति का आशीर्वाद प्राप्त करने वालों की संख्या को गिना नहीं जा सकता। भगवान दूधेश्वर का आशीर्वाद तो वीर शिवाजी ने प्राप्त किया था उन्होंने महाराष्ट्र में गांव का नाम अपने इष्ट देव के नाम पर दूधेश्वर ग्राम रख दिया था जो आज भी विद्वान है।