जय दूधेश्वर महादेव
।।3 दिवसीय गुजरात धार्मिक यात्रा।।
पूज्य गुरुदेव श्रीमहन्त नारायण गिरि जी महाराज श्री दूधेश्वर पीठाधीश्वर गाजियाबाद अन्तर्राष्ट्रीय प्रवक्ता श्रीपंचदशनाम जूना अखाड़ा राष्ट्रीय अध्यक्ष दिल्ली सन्त महामण्डल (रा०रा)क्षेत्र गुजरात धर्म यात्रा मे है जिसमे पूज्य गुरुदेव कल रात्री मे भावनाथ महादेव मन्दिर गिरनार जूनागढ गुजरात पहुचे तदोपरान्त आज प्रातःकाल भावनाथ महादेव मन्दिर मे दर्शन पूजन किया पूज्य गुरुदेव ने मन्दिर परिसर मे स्थित मिर्गी कुंड है जहा पर शिवरात्रि पर कुम्भ मेला जैसा मेला लगता है ,प्राचीन अम्बे माता मन्दिर मे दर्शन पूजन किया ,गोरखनाथ जी का धूना तपोस्थली का दर्शन किया ,कमंडलु कुंड का दर्शन किया,दत्त भगवान के चरण पादुका दर्शन किया ,
धर्म यात्रा:-
पूज्य गुरुदेव 1/2/3 सितम्बर की धर्म यात्रा पर गुजरात मे है जो.कि श्रीपंचदशनाम जूना अखाड़ा के अन्तर्राष्ट्रीय संरक्षक भावनाथ महादेव.मठ के श्रीमहन्त हरि गिरि जी महाराज महामंत्री अखिल भारतीय अखाडा परिषद् के आवाहन पे गुरूदेव गुजरात यात्रा मे है पूज्य गुरुदेव के साथ महन्त गिरिशानन्द गिरि जी देवी मन्दिर दिल्लीगेट गाजियाबाद, महन्त आनन्देश्वरानन्द गिरि जी मोतीबाद दिल्ली ,भी साथ मे है आज श्रीमहन्त हरि गिरि जी महाराज ,पूज्य गुरुदेव श्रीमहन्त नारायण गिरि जी महाराज ने नर्मदा के किनारे जूना अखाडा 2 महामण्डलेश्वर ब्रह्मलीन हो गये थे उनके स्थान पर उनके शिष्यो को महामण्डलेश्वर विभूषित किया साध्वी स्वामी सत्यानन्द गिरि जी ,साध्वी स्वामी शिवानन्द गिरि जी को मण्डलेश्वर भारती आश्रम भावनाथ तलेटी गिरनार जूनागढ़ मे नियुक्त किया गया ,भावनाथ तलेटी से गिरनार पर्वत की चढाई 9999सिढी है.
विभिन्न स्थानो पर दर्शन:-
आज पूज्य गुरुदेव ने विभिन्न स्थानो पर दर्शन करके भगवान दत्तात्रेय के तपोस्थली गिरनार पर्वत पर पदयात्रा करके दर्शन किया ,कहते है कि दत्तात्रेय भगवान गिरिनार जूनागढ़ मे तप साधना करते है ,मोरगढ मे राज करते है ,आबु मे तपस्या करते है ,श्रीपंचदशनाम जूना अखाड़ा के इष्ट देव है भगवान दत्तात्रेय जी ,श्रीमहन्त हरि गिरि जी महाराज से भेट करके चर्चा किया आगामी दत्त जयन्ती 26 दिसम्बर को दिल्ली मे दत्त भगवान का मन्दिर बनेगा कल पूज्य गुरूदेव दत्त भगवान की चरण रज लेकर प्रस्थान करेंगे , Girnar Parikrama
गुरु दत्तात्रेय पादुका मंदिर : यह मन्दिर भारत के गुजरात प्रदेश में सौराष्ट्र प्रांत के जूनागढ़ शहर से लगभग 2 कि।मी। की दूरी पर एक भव्य और दिव्य पर्वत “गिरनार” विद्यमान है।
गिरनार पर्वत की पाँचवी चोटी को गुरुशिखर के नाम से पहचाना जाता है, यहा भगवान दत्तात्रेयजी की चरण पादुका है,जिसके दर्शन के लिए लाखों की संख्या में श्रद्धालु देश विदेश से आकर के गिरनार का दर्शन करते है।
कौन थे गिरिनारायण?
गिरिनारायण यानी गिरनार ने, भगवान शंकर के पास वरदान माँगा था की मेरे इस पर्वत पर 33 कोटि देवताओं, सिद्धों और संतो का निवास होना चाहिए।
भगवान शंकर ने इनकी मनोकामना पूर्ण करते हुए उन्हें वरदान दिया। इसीलिए गिरनार परिक्रमा, दत्त पादुका दर्शन, दत्त धूना दर्शन एवं अन्नक्षेत्र का प्रसाद लेना उसे अलौकिक पुण्य कर्म माना जाता है।
कैसे जाएं मन्दिर :
गिरनार की 10,000 सीढ़ी की चढ़ाई या रोप – वे मे जाने के लिए गिरनार की तलेटी मे यात्रीयों को रुकना होता है,इसी गिरनार की तलेटी मे यात्रीयों की सुविधा के लिए श्री गुरुदत्तात्रेय संस्थान की ओर से निशुल्क “गिरनारी अन्नक्षेत्र”है.
अम्बाजी माता मन्दिर:-
अम्बाजी माता मन्दिर अरासुरी अम्बाजी मन्दिर भारत में माँ शक्ति के ५१ शक्तिपीठों में से एक प्रधान पीठ है। यह पालनपुर से लगभग ६५ कि॰मी॰, आबू पर्वत से ४५ कि॰मी॰, आबू रोड से २० किमी, श्री अमीरगढ़ से ४२ कि॰मी॰, कडियाद्रा से ५० कि॰मी॰ दूरी पर गुजरात-राजस्थान सीमा पर अरासुर पर्वत पर स्थित है। यहाँ कोई प्रतिमा स्थापित नहीं है, केवल पवित्र श्रीयंत्र की पूजा मुख्य आराध्य रूप में की जाती है। इस यंत्र को कोई भी सीधे आंखों से देख सकते इसकी छात्रा दर्पण मे देखते है मां अम्बाजी की मूल पीठस्थल कस्बे में गब्बर पर्वत के शिखर पर है। बड़ी संख्या में श्रद्धालु यहां तीर्थयात्रा करने वर्ष पर्यन्त आते रहते हैं, विशेषकर पूर्णिमा के दिन। भदर्वी पूर्णिमा के दिन यहाँ बड़ा मेला लगता है।देश भर से भक्तगण यहां मां की पूजा अर्चना हेतु आते हैं, विशेषकर जुलाई माह में। इस समय पूरे अम्बाजी कस्बे को दीपावली की तरह प्रकाश से सजाया जाता है।माना जाता है कि ये मन्दिर लगभग बारह सौ वर्ष से अधिक प्राचीन है। इस मंदिर का शिखर १०३ फ़ीट ऊंचा है और इस पर ३५८ स्वर्ण कलश स्थापित हैं।
हर हर महादेव