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8 दिवसीय मां शक्ति चेतना साधना यात्रा-मां धूमावती स्वारूप मां की उपासना

जय दूधेश्वर महादेव
माघ माहिने के गुप्त नवरात्रि दश महाविद्या साधना अनुष्ठान में मां धूमावती स्वारूप मां की उपासना किया ,दश महाविद्या उपासना अनुष्ठान में जसोल माता रानी भटियाणी माता मन्दिर संस्थान में जसोल गढ़ में पूज्य गुरुदेव श्रीमहन्त नारायण गिरि जी महाराज श्री दूधेश्वर पीठाधीश्वर गाजियाबाद अन्तर्राष्ट्रीय प्रवक्ता श्रीपंचदशनाम जूना अखाड़ा के सानिध्य में रावल किशन सिंह जी ने दूधेश्वर वेद विद्यालय के आचार्य तोयराज उपाध्याय जी के साथ वैदिक बटुकों ने हवन किया ,

साथ ही राणी रूपांदे मन्दिर पलियाना में भी हवन पूजन बलिदान किया , विशेष रूप से मां राणी भटियाणी माता मन्दिर संस्थान जसोल में पूज्य गुरुदेव के सानिध्य में रावल किशन सिंह जी के मुख्य यजमान रूप में कुंवर हरिश्चन्द्र सिंह जी के संयोजन में गुप्त नवरात्रि 22 जनवरी से प्रारंभ हुआ था जिसमें शतचंडी पठ हवन यज्ञ हुआ जो कि कल पूजन के साथ दश महाविद्या साधना अनुष्ठान सम्पन्न होगा , तदोपरान्त ग्राम मोरसीम तहसील बागोड़ा जिला जालोर राजस्थान मे 5 दिवसीय सहस्र चण्डी यज्ञ एवं मां आशापुरा माता मन्दिर में माता जी मूर्ति प्राण प्रतिष्ठा का विशाल कार्यक्रम आयोजित हुआ है,

संयोजक खिम सिंह अध्यक्ष श्री आशापुरा माता मन्दिर मोरसीम चौहान पट्टी द्वारा आयोजित है जिसमें कि पूज्य गुरुदेव के सानिध्य में 121 ब्राह्मणो द्वारा यज्ञ एवं नवनिर्मित मन्दिर मूर्ति प्राण प्रतिष्ठा सम्पन्न होगी महाराज श्री मोरसीम रावला ठाकुर हनुमत सिंह जी के यहां निवास रहेगा ,माता जी साधना उपासना भक्तों को सत्भावना सत्विचार हो ऐसी प्रेरणा देंगे ,साथ ही विख्यात भजन गायक भजन संध्या प्रस्तुत करेंगे मंच संचालन नवरत्न सोनी जी द्वारा होगा ,ये दस महाविद्याएं इस प्रकार है- काली, तारा, छिन्नमस्ता, षोडशी, भुवनेश्वरी, त्रिपुर भैरवी, धूमावती, बगलामुखी, मातंगी व कमला। 

दस महाविद्याएं:- काली, तारा, छिन्नमस्ता, षोडशी, भुवनेश्वरी, त्रिपुर भैरवी, धूमावती, बगलामुखी, मातंगी व कमला। 
1- काली:- सभी 10 महाविद्याओं में काली को प्रथम रूप माना जाता है। माता दुर्गा ने राक्षसों का वध करने के लिए माता ने यह रूप धारण किया था। सिद्धि प्राप्त करने के लिए माता के इस रूप की पूजा की जाती है। जिस तरह से भगवान शिव जल्दी प्रसन्न और जल्द रूठने वाले देवता है उसी तरह काली माता भी स्वभाव है। इसलिए जो भी भक्त इनकी साधना कर चाहता है उसे एकनिष्ठ और पवित्र मन का होना चाहिए। देवताऔं और दानवों के बीच हुए युद्ध में मां काली ने ही देवताओं को विजय दिलवाई थी- माता का स्वरूप हाथ में त्रिशूल और तलवार- पूजा के लिए विशेष दिन शुक्रवार और अमावस्या- कालिका पुराण में इनका विस्तार से वर्णन किया गया है- काली को ॐ ह्रीं श्रीं क्रीं परमेश्वरि कालिके स्वाहा के प्रसन्न किया जा सकता है।
2- तारा:- सर्वप्रथम महर्षि वशिष्ठ ने तारा की आराधना की थी। यह तांत्रिकों की मुख्य देवी हैं। देवी के इस रूप की आराधना करने पर आर्थिक उन्नति और मोक्ष की प्राप्ति होती है। पश्चिम बंगाल के बीरभूम जिले में तारापीठ है इसी स्थान पर देवी तारा की उपासना महर्षि वशिष्ठ ने करके तमाम सिद्धियां हासिल की थी। तारा देवी का दूसरा प्रसिद्ध मंदिर हिमाचल प्रदेश की राजधानी शिमला में स्थित है।- चैत्र मास की नवमी तिथि और शुक्ल पक्ष के दिन तंत्र साधकों के लिए सर्वसिद्धिकारक माना गया है।- तारा मां को जगृति करने के लिए ऊँ ह्नीं स्त्रीं हुम फट’ मंत्र का जाप कर सकते हैं।- परेशनियों को दूर करने के कारण इन्हें तारने वाली माता तारा कहा जाता है। 

3- त्रिपुर सुंदरी:- इन्हें ललिता, राज राजेश्वरी और त्रिपुर सुंदरी भी कहते हैं। त्रिपुरा में स्थित त्रिपुर सुंदरी का शक्तिपीठ है। यहां पर माता की चार भुजा और 3 नेत्र हैं। नवरात्रि में रुद्राक्ष की माला से ऐं ह्नीं श्रीं त्रिपुर सुंदरीयै नम: मंत्र का जाप कर सकते हैं।4- भुवनेश्वरीपुत्र प्राप्ति के लिए माता भुवनेश्वरी की आराधना फलदायी मानी जाती है। यह शताक्षी और शाकम्भरी नाम से भी जानी जाती है। इस महाविद्या की आराधना से सूर्य के समान तेज ऊर्जा प्राप्ति होती है और जीवन में मान सम्मान मिलता है।
मंत्र- ह्नीं भुवनेश्वरीयै ह्नीं नम: 

5- छिन्नमस्ता:- इनका स्वरूप कटा हुआ सिर और बहती हुई रक्त की तीन धाराएं से सुशोभित रहता है। इस महाविद्या की उपासना शांत मन से करने पर शांत स्वरूप और उग्र रूप में उपासना करने पर देवी के उग्र रूप के दर्शन होते है। छिन्नमस्तिके का यह मंदिर झारखंड की राजधानी रांची में स्थिति है। कामाख्या के बाद यह दूसरा सबसे लोकप्रिय शक्तिपीठ है।मंत्र-  ‘श्रीं ह्नीं ऎं वज्र वैरोचानियै ह्नीं फट स्वाहा

6-भैरवी:- भैरवी की उपासना से व्यक्ति सभी बंधनों से मुक्त हो जाता है। इनकी पूजा से व्यापार में लगातार बढ़ोतरी और धन सम्पदा की प्राप्ति होती है। मंत्र- ह्नीं भैरवी क्लौं ह्नीं स्वाहा:7-धूमावतीधूमावती माता को अभाव और संकट को दूर करने वाली माता कहते है। इनका कोई भी स्वामी नहीं है। इनकी साधना से व्यक्ति की पहचान महाप्रतापी और सिद्ध पुरूष के रूप में होती है। ऋग्वेद में इन्हें ‘सुतरा’ कहा गया है।
मंत्र- ऊँ धूं धूं धूमावती देव्यै स्वाहा:

8- बगलामुखी:- बगलामुखी की साधना दुश्मन के भय से मुक्ति और वाक् सिद्धि के लिए की जाती है। जो साधक नवरात्रि में इनकी साधना करता है वह हर क्षेत्र में सफलता प्राप्त करता है। महाभारत के युद्ध में कृष्ण और अर्जुन ने कौरवों पर विजय हासिल करने के लिए माता बगलामुखी की पूजा अर्चना की थी। भारत में मां बगलामुखी के तीन प्रमुख ऐतिहासिक मंदिर माने गए हैं।
मंत्र– ऊँ ह्नीं बगुलामुखी देव्यै ह्नीं ओम नम:’ – ‘ह्मीं बगलामुखी सर्व दुष्टानां वाचं मुखं पदं स्तम्भय जिह्वां कीलम बुद्धिं विनाशय ह्मीं ॐ स्वाहा 

9- मातंगी:- जो भक्त अपने गृहस्थ जीवन को सुखमय और सफल बनाना चाहते हैं उन्हें मां मातंगी की आराधना करना चाहिए। मतंग भगवान शिव का भी एक नाम है। जो भक्त मातंगी महाविद्या की सिद्धि प्राप्त करता है वह अपने खेल, कला और संगीत के कौशल से दुनिया को अपने वश में कर लेता है।
मंत्र- ऊँ ह्नीं ऐ भगवती मतंगेश्वरी श्रीं स्वाहा:

10- कमलामां:- कमला की साधना समृद्धि, धन, नारी, पुत्र की प्राप्ति के लिए की जाती है। इनकी साधना से व्यक्ति धनवान और विद्यावान हो जाता है।
मंत्र- हसौ: जगत प्रसुत्तयै स्वाहा
गुप्त नवरात्रि के अवसर पर दस महाविद्या माताओं की साधना करने से शीघ्र प्रसन्न होकर भक्तों को मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है ।


    हर हर महादेव
विश्व संवाद सम्पर्कअमित कुमार शर्माश्री दूधेश्वर नाथ महादेव मठ मन्दिर गाजियाबाद उत्तर प्रदेश

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