अखिल भारतीय अखाडा परिषद् के महामंत्री श्रीमहन्त हरि गिरि जी महाराज अन्तर्राष्ट्रीय संरक्षक श्रीपंचदशनाम जूना अखाड़ा ने बताया कि 6 सितंबर की रात अष्टमी तिथि और रोहिणी नक्षत्र का संयोग बनेगा. इसलिए शैव परंपरा के लोग बुधवार, 6 सितंबर को कृष्ण जन्मोत्सव मनाएंगे. चूंकि वैष्णव संप्रदाय में उदिया तिथि का अधिक महत्व होता है, इसलिए ये लोग 7 सितंबर को जन्माष्टमी मनाएंगे.
गाजियाबादः
सिद्धपीठ श्री दूधेश्वर नाथ मठ महादेव मंदिर में श्रीकृष्ण जन्माष्टमी का पर्व धूमधाम से मनाया जाएगा। पर्व को लेकर सभी तैयारियां पूरी हो गई हैं। मंदिर के पीठाधीश्वर, श्री पंच दशनाम जूना अखाडा के अंतरराष्ट्रीय प्रवक्ता, दिल्ली संत महामंडल के राष्ट्रीय अध्यक्ष व हिंदू यूनाइटिड फ्रंट के अध्यक्ष श्रीमहंत नारायण गिरि जी महाराज ने बताया कि श्रीकृष्ण जन्माष्टमी पर्व को लेकर मंदिर में तैयारियां कई दिन से चल रही थीं, जो पूरी हो गई हैं। गुरूवार को भगवान श्रीकृष्ण का जन्मोत्सव पूरे धूमधाम से मनाया जाएगा। मंदिर को रंग-बिरंगी लाइटों व फूलों से सजाया गया है। मंदिर में सुबह से ही धार्मिक कार्यक्रम शुरू हो जाएंगे। read radha kripa kataksh
गोपाल सहस्त्रनाम के साथ पंचामृत से भगवान कृष्ण (bhagwan krishna) का महा अभिषेक किया जाएगा। भगवान का पालना व आकर्षक झांकियां सभी के आकर्षण का केंद्र रहेंगी। आधी रात को जब भगवान प्रकट होंगे तो ढोल आदि से उनका स्वागत होगा। भगवान की आरती कर सभी भक्तों को प्रसाद का वितरण किया जाएगा। श्रीमहंत नारायण गिरि महाराज ने कहा कि भगवान श्रीकृष्ण ने अधर्मियों के नाश व अपने भक्तों तथा धर्म की रक्षा करने के लिए ही पृथ्वी पर अवतार लिया था। भगवान कृष्ण के वैसे तो हर रूप ही आनंद प्रदान करने वाला व भक्तों का कल्याण करने वाला है, मगर उनका बाल रूप व उनकी बाल लीलाओं हजारों वर्ष से लोगांे का मन मोहती आ रही हैं। उनके बाल रूप यानि लडडू गोपाल की पूजा अर्चना करने से जहां हर प्रकार का दूर होता है, वहीं सच्चे आनंद की प्राप्ति होती है। साथ ही भगवान की कृपा से हर प्रकार की मनोकामना भी पूरी होती है।