गाजियाबादः
सिद्धपीठ श्री दूधेश्वर नाथ मठ महादेव मंदिर के पीठाधीश्वर, श्री पंच दशनाम जूना अखाडा के अंतरराष्ट्रीय प्रवक्ता, दिल्ली संत महामंडल के राष्ट्रीय अध्यक्ष व हिंदू यूनाइटिड फ्रंट के अध्यक्ष श्रीमहंत नारायण गिरि महाराज ने कहा कि हरतालिका तीज का व्रत 18 सितंबर को रखा जाएगा। इस बार हरतालिका तीज व्रत बहुत खास संयोग लेकर आ रहा है, जिससे इस बार व्रत रखने का कई गुना लाभ मिलेगा।
हरतालिका तीज का व्रत:-
श्रीमहंत नारायण गिरि ने बताया कि हरतालिका का व्रत सबसे पहले मां र्पावती ने भगवान शिव को पति रूप में प्राप्त करने के लिए रखा था। मां पार्वती भगवान शिव को अपना पति मान चुकी थी, मगर उनके पिता उनका विवाह भगवान विष्णु से करना चाहते थे। उनकी इच्छा को देखते हुए उनकी सहेलियां उनका हरण करके जंगल में ले गईं थीं। वहां माता पार्वती ने शिव को पाने के लिए कठोर तप किया। भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि के दिन मां पार्वती ने मिट्टी से शिवलिंग बनाकर की जिससे भगवान शिव प्रसन्न हुए और उन्हें पत्नी रूप में स्वीकार किया।
मां पार्वती की सहेलियां द्वारा हरण कर उन्हें जंगल में ले जाने के कारण ही यह व्रत हरतालिका तीज के नाम से प्रसिद्ध हुआ।
शुभ मुहूर्त:-
इस बार यह व्रत 18 सितंबर को है, क्योंकि 17 सितंबर को तृतीया तिथि दिन में 11:08 मिनट पर शुरू हो रही है। इस तिथि का समापन 18 सितंबर को दोपहर करीब 12 बजकर 39 मिनट पर हो रहा है। उदया तिथि तृतीया का 18 सितंबर को हो रही है, इसलिए इसी दिन इस व्रत को करना शुभ फल प्राप्त करने के लिए सबसे उपयुक्त है। इस व्रत के पूजन का सबसे शुभ मुहूर्त 18 सितंबर को सुबह 06:07 बजे से 08:34 बजे तक है। इस समय पूजन करने से उत्तम फल की प्राप्ति होगी।
हरतालिका तीज कैसे करे:-
विवाहिता इस दिन 24 घंटे का निर्जला व्रत कर पति की लंबी आयु की कामना करती है। कुंवारी लड़कियां भी अच्छे पति की कामना से यह व्रत रखती हैं। इस साल हरतालिका तीज का व्रत रवि योग व इंद्र योग के संयोग के बीच होगा और उस दिन सोमवार भी होगा। हरतालिका तीज का व्रत व सोमवार का दिन दोनों ही भगवान शिव को समर्पित है। ऐसे में हरतालिका तीज का व्रत रखने से महादेव बहुत जल्द प्रसन्न होंगे और अपनी कृपा की वर्षा करेंगे। इस दिन भगवान शिव के साथ और मां पार्वती समेत पूरे शिव परिवार की विधि-विधान के साथ पूजा करने की परम्परा है। हरतालिका तीज का व्रत करने से विवाहित महिलाओं को अंखड सौभाग्य का आशीर्वाद मिलता है और उनके पति पर आने वाले सभी संकट दूर हो जाते हैं। इस व्रत के दौरान सौभाग्यवती महिलाएं लाल वस्त्र पहनकरए मेहंदी लगाकर सोलह श्रृंगार करती हैं और शिव-पार्वती समेत पूरे शिव परिवार की विधि-विधान से पूजा करती हैं.