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गुप्त नवरात्रि के चौथे दिन मंगलवार को दूधेश्वर नाथ मंदिर में मां भुवनेश्वरी की आराधना की गई

दुर्गमासुर का संहार करने के कारण मां भुवनेश्वरी मां दुर्गा के नाम से भी जानी जाती हैंः श्रीमहंत नारायण गिरि
गाजियाबादः
श्री दूधेश्वर नाथ मठ महादेव मंदिर में गुप्त नवरात्रि के चतुर्थ दिन मंगलवार को मंदिर के पीठाधीश्वर श्रीमहंत नारायण गिरि के पावन सानिघ्य में चतुर्थ महाविद्या मां भुवनेश्वरी माता की आराधना की गई। मां भुवनेश्वरी की आराधना के लिए मंदिर में बडी संख्या में श्रद्धालु पहंुचे। उन्होंने मां की आराधना कर महाराजश्री से भी आशीर्वाद लिया। मां की विधि.विधान से पूजा.अर्चना की गई व आरती के बाद उनको देशी घी से निर्मित मालपुआ का भोग लगाया गया।

श्री दूधेश्वर पीठाधीश्वर, श्री पंच दशनाम जूना अखाडा के अंतरराष्ट्रीय प्रवक्ता, दिल्ली संत महामंडल के राष्ट्रीय अध्यक्ष व हिंदू यूनाइटिड फ्रंट के अध्यक्ष श्रीमहंत नारायण गिरि महाराज ने कहा कि गुप्त नवरात्रि के चौथे दिन दस महाविद्याओं में चतुर्थ महाविद्या मां भुवनेश्वरी की पूजा-अर्चना की जाती है। माता भुवनेश्वरी के हाथों में शाकों और फल-मूलों के होने के कारण ये शताक्षी तथा शाकम्भरी के नाम से भी विख्यात हुईं। देवी भुवनेश्वरी ने ही दुर्गमासुर का संहार कर, उसके द्वारा अपहृत वेदों को पुनः देवताओं को सौंपा था। इसी के पश्चात से भगवती भुवनेश्वरी की दुर्गा के नाम से पूजा-अर्चना की जाती है। इन्हें समस्त ब्रह्मांड व पृथ्वी की माता माना जाता हैं। इसलिए इनको नाम समस्त ब्रह्मांड व पृथ्वी की माता माना जाता हैं। इसलिए इनको भुवनेश्वरी अर्थात समस्त भुवन की देवी कहा जाता है। इनको
दिव्य शक्तियों की कामना के लिए मां भुवनेश्वरी की उपासना की जाती है।

मां .भुवनेश्वरी का बीज मंत्र
ॐ ऐं ह्रीं श्रीं क्लीं सौं॥ है।

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