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श्री दूधेश्वर नाथ मठ महादेव मंदिर में गुप्त नवरात्रि के छठें दिन मां धूमावती की आराधना हुई

मां की आराधना से अखंड शक्ति की प्राप्ति होती हैः श्रीमहंत नारायण गिरि
गाजियाबादः
श्री दूधेश्वर नाथ मठ महादेव मंदिर में गुप्त नवरात्रि के छठे दिन गुरुवार को षष्ठ महाविद्या मां धूमावती की आराधना की गई। मंदिर के पीठाधीश्वर श्रीमहंत नारायण गिरि के पावन सानिध्य व दिशा-निर्देशन में मां की विधि-विधान से पूजा-अर्चना की गई व उनका ध्यान लगाया गया। आरती के बाद उनको सरसों तेल से निर्मित व्यंजनों का भोग लगाया गया। मंदिर में मां की पूजा-अर्चना के लिए सुबह से देर शाम तक श्रद्धालुओं का तांता लगा रहा। श्री दूधेश्वर पीठाधीश्वर, श्री पंच दशनाम जूना अखाडा के अंतरराष्ट्रीय प्रवक्ता, दिल्ली संत महामंडल के राष्ट्रीय अध्यक्ष व हिंदू यूनाइटिड फ्रंट के अध्यक्ष श्रीमहंत नारायण गिरि महाराज ने कहा कि दस महाविद्याओं में षष्ठ दिवस मां धूमावती की पूजा-अर्चना की जाती है।

माता धूमावती का रूप अत्यंत भयंकर हैं। इन्होंने ऐसा रूप शत्रुओं के संहार के लिए ही धारण किया है। धार्मिक मान्यता है कि शंकर भगवान को खाने के कारण माता पार्वती विधवा हो गई थीं। इसी कारण माता धूमावती का यह स्वरूप विधवा का है। केश बिखरे हुए हैं। माता धूमावती श्वेत वस्त्र धारण करती हैं और इनके केश खुले रहते हैं। इनके रथ के ध्वज पर कौए का चिह्न है। इन्होंने हाथ में सूप धारण किया हुआ है। कौआ माता धूमावती का वाहन है। अखंड शक्ति प्राप्ति के लिए मां धूमावती की आराधना की जाती है।
धूमावती बीज मंत्र ऐं ह्रीं धूं धूं धूमावत्यै ह्रीं ह्रीं स्वाहा।। है। इस मंत्र का सच्चे मन से उच्चारण करने से सभी कष्ट दूर होते हैं और अखंड शक्ति की प्राप्ति होती है।

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