महाराज बाबा हिम्मत गिरी महाराज के वार्षिक भंडारे पर हुए संत सम्मेलन के मुख्य अतिथि रहे महाराज श्री पटियालाः ग्राम पातडा में सिद्ध संत बाबा हिम्मत गिरी महाराज की प्राचीन समाधि पर चल रही श्रीमद भागवत कथा की पूर्णाहुति गुरूवार को संत सम्मेलन व वार्षिक भंडारे के साथ हुई। संत सम्मेलन में देश भर से संतों ने भाग लिया। संत सम्मेलन के मुख्य अतिथि श्री दूधेश्वर पीठाधीश्वर, श्रीपंच दशनाम जूना अखाडा अंतर्राष्ट्रीय प्रवक्ता, दिल्ली संत महामंडल के राष्ट्रीय अध्यक्ष व हिंदू यूनाइटिड फ्रंट के अध्यक्ष श्रीमहंत नारायण गिरी महाराज रहे। गुरूवार को पहले बाबा हिम्मत गिरी महाराज की समाधि का पूजन फिर श्रीमद भागवत कथा की पूर्णाहुति हुई व संत सम्मेलन का आयोजन हुआ। अंत में वार्षिक भंडारा हुआ। संत सम्मेलन के मुख्य अतिथि श्रीमहंत नारायण गिरी महाराज ने कहा कि दुनिया में जो भी आया है, उसको एक दिन तो दुनिया से जाना ही है। एक दिन सभी की मौत आनी है, मगर मरने से पहले हमें ऐसे कार्य करने चाहिए कि हमारे बाद भी दुनिया हमें याद रखे। बाबा हिम्मत गिरी महाराज ने सदैव धर्म के मार्ग का अनुसरण किया, लोगों को सच्चा ज्ञान दिया और उनका सही मार्गदर्शन किया। यही कारण है कि वे आज भी भक्तों के दिलों में जिंदा हैं।
महाराजश्री ने कहा :-
महाराजश्री ने कहा कि मनुष्य को जीवन में सिर्फ मौत ही नहीं अपने सम्मान, अपने स्टेटस, अपने बच्चों आदि ना जो कितने भय लगे रहते हैं। भय होना भी चाहिए क्योंकि इससे हम मर्यादा में बंध जाते हैं और जो व्यक्ति मर्यादा में बंध जाता है, उसका अंतकरण शुद्ध, निर्मल हो जाता है और वह सभी प्रकार के भय पर विजय प्राप्त कर लेता है। इसी कारण कहा गया है कि डर के आगे ही जीत है। उन्होंने कहा कि पंजाबी की भूमि संतांें की भूमि है और देवभूमि है। पंजाब ने ही हमें यह संदेश दिया है कि भूखे को अन्न व नंगे को कपडा देने से उसके जीवन आनंद से भर जाता है। अन्न दान से बढकर कोई पुण्य का कार्य नहीं है। जो भी व्यक्ति अन्न का दान करता है, उसके जीवन में कोई कष्ट नहीं रहता है। वहीं जो व्यक्ति वस्त्र का दान करता है, उसका जीवन भी हमेशा खुशियों से भरा रहता है, क्योंकि उसे जीवन में कभी भी लक्ष्मी की कमी नहीं होती है।
पंजाब ने ही हमें सिखाया है:-
पंजाब ने ही हमें सिखाया है कि गुरू के द्वार से कभी भी कोई खाली हाथ नहीं लौटता है। गुरू के द्वार यानि गुरूद्वारे में जो भी आता है, उसे बिना प्रसाद के नहीं आने दिया जाता है और वहां जो प्रसाद मिलता है, उससे आत्मा तक तृप्त हो जाती है। दाता का काम देना, दिलवाना व रास्ता बताना है और पंजाब ने हमेशा देने व रास्ता बताने यानि सही मार्गदर्शन करने का काम किया है क्योंकि पंजाब की धरती गुरूओं की धरती है। दिल्ली संत महामंडल के महामंत्री महामंडलेश्वर नवल किशोर दास महाराज ने कहा कि गुरूओं की धरती पंजाब में जन्म लेने वाला व रहने वाले व्यक्ति का जीवन धन्य है। यहां की धरती का प्रताप ही है कि यहां पर बाबा हिम्मत गिरी महाराज जैसे संत हुए जिन्होंने समाज ही नहीं पूरे देश को मार्ग दिखाने का कार्य किया है। दिल्ली संत महामंडल के संगठन मंत्री महामंडलेश्वर कंचन गिरि महाराज ने कहा कि बाबा हिम्मत गिरी महाराज ने धर्म व समाज सेवा के जो कार्य किए उन्हें कभी भी भुलाया नहीं जा सकेगा। वार्षिक भंडारे में हजारों लोगों ने प्रसाद ग्रहण किया। समारोह के आयोजक संयोजक श्रीमहंत धर्मेंद्र गिरी महाराज ने सभी संतों का स्वागत अभिनंदन किया। श्रीमहंत धीरेंद्र पुरी महाराज, श्रीमहंत मनोहर गिरी महाराज, महंत गिरीशानंद गिरी महाराज प्राचीन देवी मंदिर दिल्ली गेट, बबलू गिरी महाराज, स्वामी वैद्य मुकेशानंद गिरी महाराज सिद्धेश्वर महादेव कुटी पूर्व सचिव श्रीमहंत सुरेंद्र गिरी महाराज पंजाब समेत पंजाब मंडल के संत व देश भर से आए संत भी मौजूद रहे।