बाल्मीकि रामायण सभी कष्टों व दुखों से मुक्ति दिलाती हैः श्रीमहंत नारायण गिरी महाराज
गाजियाबादः सिद्धपीठ श्री दूधेश्वर नाथ मठ महादेव मंदिर में 10 दिवसीय संत सनातन कुंभ में आयोजित वाल्मीकि रामायण राम कथा के चौथे दिन कथा व्यास वेदांती महाराज ने कहा कि मनुष्य का सबसे बडा शत्रु उसका अहंकार होता है। अहंकार ही मनुष्य के पतन का कारण बनता है। रावण इसका सबसे बडा उदाहरण है। रावण का अहंकार ही उसके पतन व वध का कारण बना। वशिष्ठ पीठाधीश्वर ब्रह्मॠषि वेदांती महाराज ने कहा कि हमारा अहंकार ही हमें भगवान से भी दूर कर देता है। अहंकार जितना बढता जाएगा, भगवान भी हमसे दूर होते जाएंगे। जिस दिन हम अभिमान से दूर हो जाएंगे उस दिन भगवान को अपने पास पाएंगे। राजा रघु व रावण प्रसंग का वर्णन करते हुए उन्होंने कहा कि ब्रह्माजी का वरदान प्राप्त होने के कारण रावण को यह अभिमान था कि उसे कोई भी हरा नहीं पाएगा।
इसी के चलते वह अयोध्या के राजाओं का शत्रुओं बन गया। महाराज रघु के अयोध्या राजा बनने पर रावण अयोध्या पहुंचा और द्वारपाल से संदेश भेजा कि रघु से कहो कि राक्षसराज दशानन आया है और उनसे युद्ध करना चाहता है। दशानन का संदेश सुनकर महामंत्री द्वार पर पहुंचे। उन्होंने कहा कि राजा रघुए नगर में नहीं हैं आप किसी और समय यहां आएं। पता नहीं क्यों आपको मरने की इतनी जल्दी है, थोड़ी प्रतीक्षा कर लीजिए। इससे चिढकर उसने कहा कि पृथ्वी पर एक ही चक्रवर्ती सम्राट है और वो मैं हूं। किसी की सामर्थ्य नहीं कि मेरे सामने टिक सके। जब महाराज रघु लौटे तो महामंत्री से रावण की चुनौती का पता चला। इस पर उन्होंने धनुष की प्रत्यंचा चढ़ा लंका की तरफ ऐसा तीर छोड़ा जिससे लाखों तीर लंका में चारों और बिखर गए। लंका में त्राहि.त्राहि हो गई। रावण ने पहचान लिया कि राजा रघु ने नारायण शस्त्र का प्रयोग किया है। इस पर उसने घोषणा की कि कोई रथ पर न बैठे और ना ही कोई किसी प्रकार का अस्त्र-शस्त्र हाथ में न ले।
महाराज रघु की शरण:-
सभी हाथ ऊपर उठाकर कहें कि हम महाराज रघु की शरण में हैं। रावण ने खुद भी ऐसा ही किया। उसके बाद जब तक राजा रघु रहे तब तक रावण अयोध्या की ओर कूच करने का साहस नहीं कर पाया। उसके बाद अयोध्या के राजा अज व राजा दशरथ से भी वह पराजित हुआ और अंत में भगवान राम ने उसका वध किया। मंदिर के पीठाधीश्वर श्रीमहंत नारायण गिरी महाराज ने कहा कि आज के समय में बाल्मीकि रामायण ही हमें सभी कष्टों व दुखों से मुक्ति दिला सकती है। श्रीमहंत नारायण गिरी महाराज ने बताया कि राम कथा 9 जुलाई तक चलेगी और 10 जुलाई को श्रद्धांजलि सभा में मंदिर के ब्रहमलीन गुरू मूर्तियों को श्रद्धांजलि अर्पित की जाएगी। श्रद्धांजलि सभा में मुख्य अतिथि ऊर्ध्वाम्नाय श्री काशी सुमेरु पीठाधीश्वर अनन्त श्री विभूषित पूज्य जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी नरेन्द्रानन्द सरस्वती जी महाराज व जूना अखाड़े के अंतरराष्ट्रीय संरक्षक एवं अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के महामंत्री श्रीमहंत हरि गिरी महाराज होंगे।
विशिष्ट अतिथि के रूप:-
अध्यक्षता श्रीमहन्त प्रेम गिरी महाराज अंतर्राष्ट्रीय अध्यक्ष श्रीपंच दसनाम जूना अखाड़ा करेंगे। विशिष्ट अतिथि के रूप में श्रीमहन्त पृथ्वी गिरि जी महाराज गादीपति बालक हिसार हरियाणा, श्रीमहन्त मोहन भारती जी महाराज सचिव श्रीपंचदशनाम जूना अखाडा डेरा भगाना हरियाणा, श्रीमहन्त महेश पुरी महाराज सचिव श्रीपंचदशनाम जूना अखाडा हरिद्वार, श्रीमहन्त शैलेंद्र गिरि महाराज सचिव श्रीपंचदशनाम जूना अखाडा श्री शिव मंदिर गुलजारी वाला धाम कैराना रोड शामली, आनंद पीठाधीश्वर आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी बालकानन्द गिरी महाराज, दिल्ली संत महामंडल के संस्थापक स्वामी राघवानन्द गिरी महाराज, महामंडलेश्वर नवल किशोर दास महाराजए महामंडलेश्वर स्वामी कंचन गिरी महाराज शामिल होंगे। सभी कार्यक्रमों की व्यवस्था महंत धीरेंद्र पुरी महाराज, महामंडलेश्वर यति नरसिंहानंद गिरी महाराज, महंत गिरिशानंद गिरी महाराज, महंत कन्हैया गिरी महाराज, महंत विजय गिरी महाराज, महंत मुकेशानंद गिरी महाराज वैद्य कर रहे हैं। संतों का स्वागत धर्मपाल गर्ग, अनुज गर्ग, विजय मित्तल, शंकर झा, अमित कुमार शर्मा व दीपांकर पांडेय करेंगे। कथा में डॉ राधवेंद्र दास महाराज, महंत गिरीशानंद गिरी महाराज, महंत मुकेशानंद गिरी महाराज, महंत विजय गिरी महाराज, महंत शैलेंद्र गिरी महाराज, महंत कैलाश गिरी महाराज श्मशानवासिनी, विजय मित्तलए अजय चोपडा आदि भी मौजूद रहे।