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श्रीमहंत नारायण गिरी महाराज ने टुमकुर स्थित विश्व प्रसिद्ध भोग नरसिंह मंदिर के दर्शन किए-दो दिवसीय धर्म यात्रा में कर्नाटक पहुंचने पर महाराजश्री का हुआ जोरदार स्वागत

कर्नाटकः
श्री दूधेश्वर पीठाधीश्वर, श्री पंच दशनाम जूना अखाडा के अंतरराष्ट्रीय प्रवक्ता, दिल्ली संत महामंडल के राष्ट्रीय अध्यक्ष व हिंदू यूनाइटिड फ्रंट के अध्यक्ष श्रीमहंत नारायण गिरि महाराज अपनी दो दिवसीय धर्म यात्रा के दौरान जिला टुमकुर पहुंचे। महाराजश्री का भक्तों ने जोरदार स्वागत किया व उनका आशीर्वाद लिया। उन्होंने भगवान विष्णु के अवतार भगवान नरसिंह और लक्ष्मी को समर्पित भोग नरसिंह मंदिर के दर्शन किए और पूजा-अर्चना की। श्रीमहंत नारायण गिरी ने बताया कि भगवान भोग नरसिंह मंदिर को भोग लक्ष्मीनारायण मंदिर के नाम से भी जाना जाता है। यहां पर भगवान नरसिंह व भगवान भोग नरसिंह के नाम से दो मंदिर हैं और दोनों मंदिरों की देश-विदेश में ख्याति है। यहां वर्ष भर भक्तों की भीड लगी रहती है और देश-विदेश से पूजा-अर्चना करने के लिए लोग आते हैं। भोग नरसिंह मंदिर से कोई भी खाली हाथ नहीं जाता है। जो भी भक्त यहां पर सच्चे मन से पूजा-अर्चना करते हैं, उस पर माता लक्ष्मी व भगवान नरसिंह कृपा करते हैं, जिससे उसकी झोली हमेशा धन-धान्य, सुख-सृमद्धि व खुशहाली से भरी रहती है। सभी दुख-दर्द दूर होते हैं और उसकी हर मनोकामना पूर्ण होती है।

श्रीमहंत नारायण गिरी ने बताया कि ये मंदिर देवरायणदुर्गा नाम के हिल स्टेशन पर स्थित है। इस हिल स्टेशन का नाम इन दोनों मंदिरों के नाम पर ही रखा गया है। देवरायणदुर्गा का एक समृद्ध इतिहास है जो विजयनगर साम्राज्य से जुड़ा है। इस क्षेत्र पर विजयनगर के राजाओं का शासन था, जिन्होंने इस क्षेत्र में कई मंदिर और स्मारक बनवाए थे। मान्यताओं के अनुसार विजयनगर के राजा देवराज वोडेयार ने इस क्षेत्र में शिकार करते समय एक पवित्र झरने की खोज की थी। झरने में उपचार करने की शक्ति थी। राजा ने इसके चारों ओर एक छोटा मंदिर बनवाया था। मंदिर की लोकप्रियता बढ़ती गई, जिससे हिल स्टेशन आध्यात्मिक और धार्मिक गतिविधियों का केंद्र बन गया। दोनों मंदिर सड़कों से जुड़े हैं और पर्यटक पहाड़ी की चोटी तक अपने वाहन से जा सकते हैं। योग नरसिंह मंदिर पहाड़ी की चोटी पर स्थित है और यह भगवान नरसिंह और लक्ष्मी को समर्पित है। देवरायणदुर्गा की तलहटी में स्थित भोग नरसिंह मंदिर भगवान विष्णु के अवतारों में से एक भगवान नरसिंह को समर्पित है और यह 1000 साल से भी ज़्यादा पुराना है। शहर में साल भर कई त्यौहार मनाए जाते हैंए जिनमें ब्रह्मोत्सव भी शामिल हैए जो भोग नरसिंह मंदिर में मनाया जाने वाला वार्षिक त्यौहार है।

1 Comment

  • Sandeep Suryawanshi
    September 10, 2024

    Har har Mahadev

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