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श्रीमहंत नारायण गिरि महाराज की अध्यक्षता व पावन सानिध्य में देश में पांच स्थानों पर नवरात्र पर्व पर विशेष अनुष्ठान शुरू हुआ

श्री राणी भटियाणी मंदिर संस्थान, श्री दूधेश्वर नाथ मठ महादेव मंदिर, प्राचीन देवी मंदिर दिल्ली गेट, सिद्धेश्वर महादेव कुटी मंदिर मकरेडा व वृंदावन आश्रम में नौ दिन तक चलेगा अनुष्ठान
अपने भीतर की ऊर्जा जगाना ही देवी उपासना का मुख्य प्रयोजन हैः महाराजश्री
राजस्थान:
श्री दूधेश्वर नाथ मंदिर के पीठाधीश्वर, श्री पंच दशनाम जूना अखाडा के अंतरराष्ट्रीय प्रवक्ता, दिल्ली संत महामंडल के राष्ट्रीय अध्यक्ष व हिंदू यूनाइटिड फ्रंट के अध्यक्ष श्रीमहंत नारायण गिरि महाराज की अध्यक्षता व पावन सानिध्य में देश में पांच स्थानों विश्व प्रसिद्ध श्री राणी भटियाणी मंदिर संस्थान, जसोल बालोतरा राजस्थान, सिद्धपीठ श्री दूधेश्वर नाथ मठ महादेव मंदिर, सिद्धपीठ प्राचीन श्री देवी मंदिर दिल्ली गेट गाजियाबाद, सिद्धेश्वर महादेव कुटी मंदिर पाईप लाइन रोड मकरेडा मुरादनगर व वृदावन आश्रम में नवरात्र पर्व नौ दिवसीय विशेष अनुष्ठान गुरूवार से शुरू हो गया। विश्व प्रसिद्ध श्री राणी भटियाणी मंदिर संस्थान, जसोल बालोतरा राजस्थान में श्री दूधेश्वर वेद विद्या पीठ के आचार्य तयोराज उपाध्याय,सिद्धपीठ श्री दूधेश्वर नाथ मठ महादेव मंदिर में श्री दूधेश्वर वेद विद्या पीठ के सचिव लक्ष्मीकांत पाढी व आचार्य रोहित त्रिपाठी सामवेदी, सिद्धपीठ प्राचीन देवी मंदिर दिल्ली गेट गाजियाबाद में महंत गिरिशानंद गिरि महाराज, सिद्धेश्वर महादेव कुटी मंदिर पाईप लाईन रोड मकरेडा में महंत मुकेशानंद गिरि महाराज वैद्य व नित्यानंद आश्रम वृंदावन में आचार्य उमेश शर्मा अनुष्ठान करा रहे हैं।

वे भक्तों को पूजा’-अर्चना भी कराएंगे। महाराजश्री ने बताया कि नवरात्र के पहले दिन घट स्थापना का शुभ मुहूर्त प्रातः 6 बजकर 15 मिनट से लेकर 7 बजकर 22 मिनट तक व अभिजीत मुहूर्त जो सुबह 11 बजकर 46 मिनट से लेकर दोपहर 12 बजकर 33 मिनट तक रहा। उन्होंने सभी भक्तों को नवरात्र पर्व की बधाई दी और कहा कि दुर्गा पूजा और नवरात्र मानसिक.शारीरिक और आध्यात्मिक शक्ति का प्रतीक हैं। अध्यात्म पथ पर प्रगतिशील साधकों के लिए नवरात्रि के त्यौहार की अनुपम महिमा है। नवरात्रि उत्सवपूर्ण नवीनीकरण के अवसर की नौ रात्रियां हैं। वस्तुतः नवरात्र अंतःशुद्धि का महापर्व है। आज वातावरण में चारों तरफ विचारों का प्रदूषण है। ऐसी स्थिति में नवरात्र का महत्व और भी अधिक बढ़ जाता है। अपने भीतर की ऊर्जा जगाना ही देवी उपासना का मुख्य प्रयोजन है।

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