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देवी कात्यायनी की पूजा से जीवन का हर दुख दूर हो जाता हैः महाराजश्री के पावन सानिध्य में आठ स्थानों पर चल रहे नवरात्रि अनुष्ठान में देश भर के देवी भक्त शामिल हुए

श्री रानी भटियाणी मंदिर संस्थान के अध्यक्ष रावल किशन सिंह व संयोजक कुंवर हरिशचंद्र सिंह ने कन्या पूजन किया राजस्थानः श्री दूधेश्वर नाथ मंदिर के पीठाधीश्वर, श्री पंच दशनाम जूना अखाडा के अंतरराष्ट्रीय प्रवक्ता, दिल्ली संत महामंडल के राष्ट्रीय अध्यक्ष व हिंदू यूनाइटिड फ्रंट के अध्यक्ष श्रीमहंत नारायण गिरि महाराज की अध्यक्षता व पावन सानिध्य में देश में आठ स्थानों सात मंदिरों व एक आश्रम पर चल रहे नवरात्रि अनुष्ठान के छठें दिन मंगलवार को मां के छठे स्वरूप मां कात्यायनी की पूजा-अर्चना हुई। मां कात्यायनी की पूजा.अर्चना के लिए आठों स्थानों पर भक्तों की भीड लगी रही। विश्व प्रसिद्ध श्री रानी भटियाणी मंदिर संस्थान जासोल धाम बालोतरा राजस्थान में मंदिर के अध्यक्ष रावल किशन सिंह की अध्यक्षता में चल रहे अनुष्ठान में हजारों भक्तों ने पूजा-अर्चना की। रावल किशन सिंह व मंदिर के संयोजक कुंवर हरिशचंद्र सिंह ने मां कात्यायनी व मां रानी भटियाणी की पूजा.अर्चना की। उन्होंने हवन में आहुति देकर विश्व कल्याण की कामना की महाराजश्री के सानिध्य में रावल किशन सिंह व कुंवर हरिशचंद्र सिंह ने कन्या पूजन भी किया। श्रीमहंत नारायण गिरि महाराज ने कहा कि शारदीय नवरात्रि के छठे दिन की देवी मां कात्यायनी है। ये देवी ऋषि कात्यायन की पुत्री हैं। इसी कारण इन्हें मां कात्यायनी के नात से जाना जाता है। महाराजश्री ने कहा कि प्राचीन समय में महर्षि कात्यायन नाम के ने देवी को प्रसन्न करने के लिए कठोर तपस्या की थी। तपस्या से प्रसन्न होकर देवी ने उन्हें दर्शन दिए। महर्षि कात्यायन ने देवी से वरदान मांगा कि ष्मुझे आप जैसीे गुणों वाली पुत्री चाहिए। मां के गुणों जैसी पुत्री होना संभव नहीं है। इसी के चलते देवी ने स्वयं महर्षि कात्ययान की पुत्री के रूप में जन्म लेकर इस वरदान को पूरा किया।

महर्षि कात्यायन के घर जन्म लेने के कारण ही मां का नाम देवी कात्यायनी पडा। देवी कात्यायनी की चार भुजाएं हैं। इनका वाहन शेर है। इनका रूप बहुत ही सौम्य है। देवी कात्यायनी की पूजा से जीवन का हर दुख दूर हो जाता है। इनकी पूजा से रोग, शोक व डर दूर हो जाते हैं। श्री रानी भटियाणी मंदिर संस्थान बालोतरा राजस्थान में आचार्य तोयराज उपाध्याय, पंडित आयुष, दीपांशु मिश्रा, भगवत शर्मा, मनोहर लाल अवस्थीए खनाल जी मालाजाल और निज मन्दिर में मोहित पांडे ने मां कात्यायनी व मां रानी भटियाणी की पूजा.अर्चना कराई। महाराजश्री के सानिध्य में गढ़ में तीर्थराज दहाल व विकास शर्मा, पलिया रूपादे मंदिर में आचार्य गौरव शर्मा व विपिन शुक्ला तथा शिव तलाब नर्मदेश्वर मंदिर में आचार्य शिव गौतम व आदित्य शर्मा ने पूजा-अर्चना कराई। विश्व के प्रमुख मंदिर सिद्धपीठ श्री दूधेश्वर नाथ मठ महादेव मंदिर में मंदिर में बडी संख्या में भक्तों ने मां कात्यायनी की पूजा-अर्चना की शतचंडी महायज्ञ में पूजा-अर्चना की। श्रृंगार समिति के अध्यक्ष विजय मित्तल, मां के सेवक अजय चोपडा माता रानी की पूजा-अर्चना कर शतचंडी महायज्ञ में आहुति दी। पूजा-अर्चना श्री दूधेश्वर वेद विद्या पीठ के सचिव आचार्य लक्ष्मीकांत पाढी, आचार्य रोहित त्रिपाठी सामवेदी, अतुल शर्मा ने पूजा-अर्चना कराई। शंकर झा व गौरव शर्मा ने सभी व्यवस्थाएं कराईं। सिद्धपीठ प्राचीन श्री देवी मंदिर दिल्ली गेट गाजियाबाद में महंत गिरिशानंद गिरि महाराज व महंत विजय गिरि महाराज ने माता बाला त्रिपुर सुंदरी व मां कात्यायनी की पूजा-अर्चना की। सिद्धेश्वर महादेव कुटी मंदिर पाईप लाईन रोड मुरादनगर में महंत मुकेशानंद गिरि महाराज वैद्य ने मां कात्यायनी का पूजन व हवन कराया। वृंदावन के नित्यानंद आश्रम में आचार्य अमित शर्मा, नित्यानंद व विष्णु प्रयाग गिरि महाराज ने मां कात्यायनी की पूजा-अर्चना की।

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