श्रीराम कथा का आयोजन परशुराम पीठाधीश्वर महामंडलेश्वर सूरज स्वरूप मुनि महाराज के सानिध्य में हो रहा है
भगवान परशुराम ने विश्व प्रसिद्ध पुरा महादेव मंदिर में शिवलिंग की स्थापना की थी
बागपतः
भगवान परशुराम धाम पुरा महादेव में मानस मर्मज्ञ अंतरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त कथा व्यास अतुल कृष्ण भारद्वाज श्रीराम कथा का अमृत पान करा रहे हैं। भगवान परशुराम पीठाधीश्वर महामंडलेश्वर सूरज स्वरूप मुनि महाराज के सानिध्य में आयोजित श्रीराम कथा में रोजानां हजारों श्रद्धालु इस अमृत का पान कर अपने जीवन को धन्य बना रहे हैं। मंगलवार को श्रीराम कथा में श्री दूधेश्वर नाथ मंदिर के पीठाधीश्वर, श्री पंच दशनाम जूना अखाडा के अंतरराष्ट्रीय प्रवक्ता, दिल्ली संत महामंडल के राष्ट्रीय अध्यक्ष व हिंदू यूनाइटिड फ्रंट के अध्यक्ष श्रीमहंत नारायण गिरि महाराज का मुख्य अतिथि के रूप में आगमन हुआ तो हजारों श्रद्धालुओं ने उनका स्वागत भगवान राम के जयकारों से किया और उनका आशीर्वाद प्राप्त किया। महाराजश्री ने कहा कि जीवन की सभी व्यथा का एकमात्र समाधान श्रीराम कथा है। यह सिर्फ कथा नहीं है, बल्कि जीवन जीने की कला है और अनादि काल से ही श्रीराम कथा हमारे जीवन के सभी कष्टों-दुखों को हरकर हमारी सफलता का मार्ग प्रशस्त करती आ रही है। राम नाम ही एकमात्र ऐसा महामंत्र है, जो जीवन के हर मोड पर हमारा साथ देता है। अंत समय में भी राम नाम ही हमारे साथ रहता है। कथा व्यास अतुल कृष्ण भारद्वाज पूरे विश्व में श्रीराम कथा के माध्यम से भक्ति, आध्यात्म, संस्कार, सनातन धर्म व मानवता की ज्योत प्रज्जवलित कर रहे है। भगवान परशुराम धाम पुरा महादेव के पीठाधीरवर महामंडलेश्चर सूरज स्वरूप मुनि महाराज व उनके शिष्य देव स्वरूप मुनि महाराज व कैलाश स्वरूप मुनि महाराज हिंदू सनातन धर्म को मजबूत करने का कार्य कर रहे हैं और भक्तों का मार्गदर्शन कर रहे हैं। महाराजश्री ने बताया कि पुरा गांव के श्री परशुरामेश्वर महादेव मंदिर की ख्याति तो पूरे विश्व में है। परशुरामेश्वर महादेव मंदिर उस कजरी वन में स्थित है,
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जहां पर जमदग्नि ऋषि अपनी पत्नी रेणुका के साथ रहा करते थे। आश्रम में ऋषि की पत्नी रेणुका प्रतिदिन कच्चा घड़ा बनाकर हिंडन नदी से जल भरकर भगवान शिव का जलाभिषेक किया करती थी। यहां एक बार राजा सहस्त्रबाहु शिकार खेलते हुए पहुंचे तो कुटिया में सिर्फ रेणुका थी। राजा कुटिया रेणुका को जबरन अपने साथ हस्तिनापुर ले गए। एक दिन बाद रेणुका बंधनमुक्त होकर दोबारा कजरी वन पहुंची तो ऋषि ने यह कहते हुए उन्हें अपनाने से इंकार कर दिया कि वह परपुरुष के साथ रहकर आईं हैं। ऋषि की इस बात को रेणुका ने नहीं माना तो ऋषि के कहने पर परशुराम ने मां का सिर धड़ से अलग कर दिया। जमीन पर पड़े मां के सिर को देख परशुराम विचलित हो गया और वहीं बैठकर भगवान शिव की तपस्या शुरू कर दी। शिव प्रसन्न होकर प्रकट हुए। परशुराम ने अपनी मां को दोबारा जिंदा कराने का वचन मांगा। भगवान शिव ने परशुराम को फरसा दिया। इसी फरसे से परशुराम ने राजा सहस्रबाहु का वध किया और अधर्मियों का विनाश किया। पुरा महादेव मंदिर में स्थित शिवलिंग की स्थापना भगवान परशुराम ने ही की थी।
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कजरी वन में पंच तीर्थ हिंडन के किनारे ही जमदग्नि ऋषि का आश्रम था, जो आज परशुराम खेडा के नाम से विख्यात है। यहां भगवान परशुराम ने कठोर तपस्या कर शिवलिंग की स्थापना की थी,जो परशुरामेश्वर महादेव मंदिर के नाम से विख्यात है। इसी तपो भूमि पर भगवान परशुराम ने अपने गुरूकुल में पितामह भीष्म, दानवीर कर्ण, गुरू द्रोणाचार्य जसे महारळिथयों को शिक्षा दी थी। पीठाधीश्वर महामंडलेश्वर सूरज स्वरूप मुनि महाराज वर्ष 2005 से इस तपोभूमि पर सर्व समाज के सहयोग से भव्य निर्माण करा रहे हैं। इस दिव्य मंदिर का वर्ष 2013 से निर्माण कार्य शुरू हुआ और 22 जनवरी 2024 कांे मूर्ति प्राण प्रतिष्ठा का भव्य समारोह आयोजित किया गया। मंदिर को और अधिक दिव्यता व भव्यता प्रदान करने के लिए निर्माण कार्य जारी है और इसमें सर्व समाज सहयोग कर रहा है।