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दीपावली का पर्व 31 अक्टूबर को मनाया जाएगाः श्रीमहंत नारायण गिरि महाराज

दीपावली पर्व को लेकर लोगों के भ्रम को महराजश्री ने किया दूर
1 नवंबर की रात्रि में अमावस्या तिथि ना होने से पर्व मनाना उचित नहीं होगा
गाजियाबादः
देश के सबसे प्रमुख पर्व दीपावली को लेकर लोगों में भ्रम की स्थिति बनी हुई है। उन्हें समझ नहीं आ रहा कि दीपावली का पर्व 31 अक्टूबर को मनाना सही होगा या 1 नवंबर को मनाना ठीक रहेगा। लोगों के इस भ्रम को श्री दूधेश्वर नाथ मंदिर के पीठाधीश्वर, श्री पंच दशनाम जूना अखाडा के अंतरराष्ट्रीय प्रवक्ता दिल्ली संत महामंडल के राष्ट्रीय अध्यक्ष व हिंदू यूनाइटिड फ्रंट के अध्यक्ष श्रीमहंत नारायण गिरि महाराज ने दूर किया और कहा कि 31 अक्‍टूबर की रात को ही दीपावली मनाना तर्कसंगत व शास्त्रसंगत होगा।
धनतेरस का पर्व 29 अक्टूबर को मनेगा:-

महाराजश्री ने बताया कि पांच दिवसीय दीपावली महापर्व की शुरूआत धनतेरस के पर्व से होती है, जो इस बार मंगलवार 29 अक्टूबर का मनाया जाएगा। इस दिन सोने चांदी के आभूषण और नए बर्तन खरीदने की परंपरा बरसों से चली आ रही है। धनतेरस का पर्व भगवान धनवंतरी की जयंती के रूप में भी मनाया जाता है। इस दिन धन के देवता कुबेरजी के साथ ही धन की देवी मां लक्ष्‍मी और गणेशजी की पूजा की जाती है। धनतेरस के शुभ अवसर पर घर में नई झाड़ू और धनिया लाने से मां लक्ष्‍मी प्रसन्‍न होकर पूरे साल धन समृद्धि बढ़ाती हैं और कृपा बरसाती हैं। छोटी दीपावली का पर्व जिसे नरक चतुर्दशी भी कहा जाता है, 30 अक्‍टूबर को मनाया जाएगा। छोटी दीपावली को हनुमानजी की जयंती भी मनाई जाती है। इसी कारण इस दिन इस दिन हनुमानजी को बूंदी के लड्डू का भोग लगाना और चोला चढ़ाना भी बहुत शुभ माना जाता है। इस दिन दक्षिण दिशा में यम देवता के नाम का दीपक भी जलाया जाता है।


अमावस्या के चलते 31 अक्टूबर को ही मनेगी दीपावली
श्रीमहंत नारायण गिरि महाराज ने बताया कि दीपावली का त्‍योहार कार्तिक मास की अमावस्‍या तिथि को मनाया जाता है और प्रदोष काल के बाद दीपावली की पूजा की जाती है। पंचांग के अनुसार इस बार अमावस्‍या तिथि 31 अक्‍टूबर को दोपहर के बाद 3 बजकर 52 पर शुरू होकर 1 नवंबर को शाम 6 बजकर 16 मिनट तक रहेगी। ऐसे में 31 अक्‍टूबर की रात को अमावस्‍या तिथि विद्यमान रहने से 31 अक्‍टूबर की रात को ही दीपावली मनाना तर्कसंगत होगा। वैदिक पंडितों ने भी 31 अक्‍टूबर को रात में ही दीपावली मनाने तथा लक्ष्‍मी पूजन, काली पूजन, निशिथ काल व मध्य रात्रि की पूजा करने का निर्णय लिया है। 1 नवंबर की रात्रि में अमावस्या तिथि ना होने से दीपावली मनाना सही नहीं होगा। अमावस्‍या से जुड़े दान पुण्‍य के कार्य और पितृ कर्म आदि 1 नवंबर को सुबह के वक्‍त किए जा सकते हैं।
2 नवंबर को होगी गोवर्द्धन पूजा

गोवर्द्धन पर्व जिसे अन्‍नकूट पर्व भी कहा जाता है, वह 2 नवंबर को मनाया जाएगा। इसी दिन भगवान कृष्‍ण ने गोवर्द्धन पर्वत को अपनी एक उंगली पर उठाकर सभी मथुरावासियों की भीषण वर्षा से रक्षा की थी। तब से ही गोवर्द्धन पर्व मनाकर भगवान कृष्ण की पूजा की जाती है और उन्हें अन्‍नकूट का भोग लगाया जाता है। वहीं भाई दूज का पर्व 3 नवंबर को मनाया जाएगा।

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