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दिल्ली संत महामंडल का रजत जयंती समारोह 21 नवंबर को अक्षरधाम मंदिर में धूमधाम से मनाया जाएगा


संस्था के अध्यक्ष श्रीमहंत नारायण गिरि महाराज की अध्यक्षता में होने वाले समारोह के मुख्य अतिथि स्वामी चिदानंद सरस्वती महाराज, विशिष्ट अतिथि देवकीनंदन ठाकुर व सुधांशु जी महाराज होंगे

नई दिल्लीः
महामंडलेश्वर राघवानंद महाराज उदासीन आश्रम पंचकुइया रोड पहाडगंज दिल्ली ने वर्ष 1999 में 4 नवंबर को दिल्ली संत महामंडल की स्थापना की थी। दिल्ली संत महामंडल आज सनातन धर्म व भारतीय संस्कृति का परचम देश ही नहीं विदेश में भी फहरा रहा है। आध्यात्म, धर्म व समाज सेवा के क्षेत्र में अपनी अलग पहचान बनाने वाले दिल्ली संत महामंडल का रजत दिवस समारोह गुरूवार 21 नवंबर को अक्षर धाम मंदिर में धूमधाम से मनाया जाएगा। समारोह के मुख्य अतिथि अखाडा परिषद के सचिव रामानंद पुरी महाराज, परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानंद सरस्वती महाराज, विशिष्ट अतिथि विश्व प्रसिद्ध श्रीमद् भागवत कथा वाचक देवकीनंदन ठाकुर, विश्व जागृति मिशन के संस्थापक सुधांशु जी महाराज व कल्कि पीठाधीश्वर आचार्य प्रमोद कृष्णनम होंगे। दिल्ली संत महामंडल के अध्यक्ष श्री दूधेश्वर पीठाधीश्वर, श्री पंच दशनाम जूना अखाडा के अंतरराष्ट्रीय प्रवक्ता श्रीमहंत नारायण गिरि महाराज की अध्यक्षता व पावन सानिध्य में होने वाले रजत जयंती समारोह में संस्था के महामंत्री महामंडलेश्वर नवल किशोर दास महाराज, संगठन मंत्री महामंडलेश्वर कंचन गिरि महाराजएकोषाध्यक्ष महंत धीरेंद्र पुरी महाराजए महामंडलेश्वर धर्म देव महाराज समेत देश भर से संत व हजारों श्रद्धालु शामिल होगे। दिल्ली संत महामंडल की स्थापना वर्ष 1999 में 4 नवंबर को उदासीन आश्रम में महामंडलेश्वर राघवानंद महाराज ने मठ-मंदिरों, हिंदू धर्म की रक्षा व भारतीय संस्कृति के प्रचार-प्रसार के लिए की थी।

उस समय मठ मंदिरों को अवैध बताकर निशाना बनाया जा रहा था। बिजली कनेक्शन आदि को लेकर भी दिक्कत होती थी। इस सबको देखते हुए ही महामंडलेश्वर राघवानंद महाराज ने मठ-मंदिरों व साधु.संतों की रक्षा के लिए सभी संतों को साथ लेकर संस्था की स्थापना की और इसके पहले अध्यक्ष ब्रहमलीन महामंडलेश्वर स्वामी प्रज्ञानंद गिरि महाराज खडदर्शन साधु बने। वे दो बार संस्था के अध्यक्ष बने और उनके कार्यकाल में संतों ने संगठित होकर अनेक मठ.मदिरों को ध्वस्त होने से बचाया। उसके बाद श्रीमहंत रामकिशन दास महाराज महात्यागी रामलीला मैदान संस्था के अध्यक्ष बने। उनके कार्यकाल में सनातन धर्म पर होने वाले हमलों का विरोध किया गया व संतों को एकजुट करने का कार्य किया गया। संस्था के तीसरे अध्यक्ष महामंडलेश्वर स्वामी नीजस्वरूपानंद पुरी दाती महाराज के कार्यकाल में संस्था की डायरेक्टरी बनी व कई प्रकल्पों के माध्यम से सेवा कार्य किए गए। उनके बाद संस्था के चौथे अध्यक्ष संस्था के संस्थापक महामंडलेश्वर राघवानंद गिरि महाराज बने। उनके कार्यकाल में संस्था जहां और अधिक मजबूत हुई, वहीं शिक्षा-चिकित्सा आदि के क्षेत्र में भी अनेक सेवा कार्य हुए। संस्था की पांचवीं अध्यक्ष महामंडलेश्वर साध्वी विद्यानंद गिरि महाराज के कार्यकाल में सेवा कार्यो को और अधिक तेज किया गया। कोरोना काल में ऑक्सीजन सिलेंडरए सेनेटाइजरए दवाईयां आदि भेंटकर अनेक लोगों की जान बचाई गई।

दिल्ली संत महामंडल:-

संस्था के वर्तमान अध्यक्ष श्रीमहंत नारायण गिरि महाराज के कार्यकाल में दिल्ली संत महामंडल ने आध्यात्म, धर्म, समाज सेवा की एक मिसाल कायम की। पर्यावरण संरक्षण को लेकर पूरे दिल्ली एसीआर में पौधरोपण कर लोगों को जागरूक किया गया जिससे लोग पौधरोपण के लिए आगे आए। बीमार लाचार गौ माता की सेवा करने के साथ ही उनकी चिकित्सा की जा रही है। गौ माता के लिए निशुल्क एम्बुलेंस सेवा शुरू की गई है। जरूरतमंदों को भी निशुल्क चिकित्सा व एक्बुलेंस सेवा उपलब्ध कराई जा रही है। जरूरतमंद बच्चों के लिए स्कूल की सुविधा उपलब्ध कराने के साथ उन्हें स्टेशनरी, किताबें, कपडे आदि भी उपलब्ध कराए जा रहे हैं। सनातन धर्म व भारतीय संस्कृति का प्रचार.प्रसार करने के अलावा संतों व हिंदुओं को एकजुट किया जा रहा है। बांग्लादेश में हिंदुओं पर हुए अत्याचारों व सनातन धर्म पर अभद्र टिप्पणी का उनके नेतृत्व में पुरजोर विरोध किया गया। सनातन धर्म को मजबूत करने के लिए धर्म चर्चा, गोष्ठी आदि का आयोजन हो रहा है। दिल्ली संत महामंडल की आज देश-विदेश में जो पहचान हैए उसमें संस्था के पूर्व अध्यक्षों व वर्तमान अध्यक्ष श्रीमहंत नारायण गिरि महाराज समेत सभी संतों का समर्पण व सहयोग का ही अहम योगदान है। यह संस्था आज राष्ट्र रक्षा, धर्म रक्षा, हिंदू रक्षा का कार्य कर रहा है। सभी धार्मिक संगठनों को साथ लेकर राष्ट्र व समाज चेतना की इस यात्रा को और अधिक दृढता व मजबूती के साथ आगे बढाने के संकल्प के साथ ही 21 नवंबर को दिल्ली के विश्व प्रसिद्ध अक्षरधाम मंदिर में संस्था अपना रजत जयंती समारोह मनाएगी और जो संत अभी संस्था के सदस्य नहीं बने हैं, उन्हें भी सदस्य बनाकर समाज व राष्ट्र चेतना की इस यात्रा में शामिल किया जाएगा।

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