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आचार्य सुधांशु महाराज के विराट भक्ति सत्संग महोत्सव में शामिल हुए श्रीमहंत नारायण गिरि महाराज


महाराजश्री बोले, आचार्य सुधांशु महाराज जैसे सिद्ध व तपस्वी संत के प्रवचन सुनने का सौभाग्य ईश्वर कृपा से ही मिलता है
आचार्य सुधांशु महाराज में संत के साथ माता-पिता के दर्शन भी होते हैंः आचार्य प्रमोद कृष्णम
परमात्मा के साथ अपना संबंध जोड़िएः आचार्य सुधांशु महाराज
गाजियाबादः
विश्व जागृति मिशन मण्डल गाजियाबाद द्वारा रामलीला मैदान घंटाघर में आचार्य सुधांशु महाराज के चार दिवसीय विराट भक्ति सत्संग महोत्सव का आयोजन किया जा रहा है। महोत्सव के तीसरे दिन श्री दूधेश्वर पीठाधीश्वर, दिल्ली संत महामंडल के राष्ट्रीय अध्यक्ष, श्री पंच दशनाम जूना अखाडा के अंतरराष्ट्रीय प्रवक्ता व हिंदू यूनाइटिड फ्रंट के अध्यक्ष श्रीमहंत नारायण गिरि महाराज मुख्य अतिथि व कल्कि पीठाधीश्वर आचार्य प्रमोद कृष्णम विशिष्ट अतिथि के रूप में शामिल हुए। उत्तर प्रदेश सरकार के राज्य मंत्री नरेन्द्र कश्यप व लोनी के विधायक नन्द किशोर गुर्जर भी मौजूद रहे। आचार्य सुधांशु महाराज ने श्रीमहंत नारायण गिरि महाराज व आचार्य प्रमोद कृृष्णम उनका स्वागत अभिनंदन किया। श्रीमहंत नारायण गिरि महाराज ने कहा कि गाजियाबाद के निवासी बहुत ही सौभाग्यशाली हैं कि उन्हें आचार्य सुधांशु महाराज जैसे सिद्ध व तपस्वी संत के प्रवचन सुनने का अवसर मिला है। आचार्य सुधांशु महाराज ऐसे सरल संत हैं, जिनके प्रवचन सुनने वाले के सीधे ह्रदय में उतर जाते हैं, जिससे जीवन ही बदल जाता है। उनके प्रवचनों ने भारत ही नहीं दुनिया भर के लोगों के जीवन को ज्ञान, आध्यात्म व भक्ति के उजाले से प्रकाशित करने का कार्य किया है। उनका व महाराजश्री का सम्बंध बहुत पुराना है और उन्हें जब भी मौका मिलता है, वे उनके प्रवचनों का श्रवण अवश्य करते हैं। भक्ति व आध्यात्म ही नहीं सेवा कार्यो में भी वे मिसाल कायम कर रहे हैं। हजारों बच्चों के जीवन में आज वे शिक्षा का उजाला भर रहे हैं। जरूरतमंदों की मदद करने से लेकर गौ सेवा आदि के कार्य रहे हैं और पूरंे विश्व में सनातन धर्म की पताका फहरा रहे हैं।

आचार्य प्रमोद कृष्णम ने कहा कि वैसे तो सारे संत ही आदर-सम्मान व श्रद्धा के पात्र हैं, मगर उनके लिए आचार्य सुधंांशु महासज उनके लिए सबसे अलग हैं क्योंकि उनके अंदर उन्हें संत के साथ ही अपने माता-पिता के दर्शन भी होते हैं। कल्कि पीठाधीश्वर धाम की स्थापना के दौरान महाराजश्री उनकी चिंता ऐसे ही करते थे, जैसे माता-पिता करते हैं। ऐसे संत के प्रवचन श्रवण करने से जीवन धन्य हो जाता है। आचार्य सुधांशु महाराज ने कहा कि जीवन लगातार नदी की प्रवाह की तरह बह रहा है, जो जल बह गया वह वापस नहीं आता। जो बीत गया, वह बीत गया। अब कुछ नया सोचने का समय आ गया है। जीवन का समय बेहद कीमती है। रिश्ता कीमती है लेकिन उसका पता उसके खो जाने पर ही चलता है कि कितना कीमती था। मनुष्य का देह मिलना आसान नहीं होता है। यही सही समय और सही मौका है कि हम खुद को बदल सकते हैं। परमात्मा के साथ अपना संबंध जोड़िए परमात्मा दयानिधानए कृपानिधान और संकटमोचक हैं और वे हम सबके सभी कष्ट व संकट दूर कर देंगे।

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