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श्रीमहंत नारायण गिरि महाराज के पावन सानिध्य में आठ स्थानों पर नवरात्रि अनुष्ठान शुरू हुआ

श्री रानी भटियाणी मंदिर संस्थान जासोल धाम में महाराजश्री से आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए भक्तों की भीड़ उमड़ी
मंदिर के अध्यक्ष रावल किशन सिंह व कुंवर हरिशचंद्र सिंह ने विश्व कल्याण की कामना से हवन में आहुति दी
जसोलधामः
श्री दूधेश्वर नाथ मंदिर के पीठाधीश्वर, श्री पंच दशनाम जूना अखाडा के अंतरराष्ट्रीय प्रवक्ता, दिल्ली संत महामंडल के राष्ट्रीय अध्यक्ष व हिंदू यूनाइटिड फ्रंट के अध्यक्ष श्रीमहंत नारायण गिरि महाराज की अध्यक्षता व पावन सानिध्य में रविवार को देश में आठ स्थानों पर नवरात्रि अनुष्ठान का शुभारंभ हुआ। पहले दिन सभी स्थानों पर मां शैलपुत्री की पूजा.अर्चना करने के लिए भक्तों का सैलाब उमड पडा। सभी मंदिर मां शैलपुत्री की जयकारों से गूंजते रहे। विश्व प्रसिद्ध श्री रानी भटियाणी मंदिर संस्थान जसोल धाम बालोतरा राजस्थान में महाराजश्री के पावन सानिघ्य व मंदिर के अध्यक्ष रावल किशन सिंह की अध्यक्षता में शुरू हुए अनुष्ठान में अभिजीत मुहर्त में कलश स्थापना हुई। मंदिर में पूजा-अर्चना करने के लिए रविवार को देश भर से श्रद्धालु पहुंचे। रावल किशन सिंह व मंदिर के संयोजक कुंवर हरिशचंद्र सिंह ने मां शैलपुत्री व मां रानी भटियाणी की पूजा-अर्चना की व विश्व कल्याण की कामना से हवन में आहुति दी। साथ ही कन्या पूजन भी किया।

मंदिर में मां के दर्शन के लिए आए श्रद्धालुओं ने महाराजश्री से मुलाकात कर उनका आशीर्वाद लिया। श्रीमहंत नारायण गिरि महाराज ने कहा कि शैल का अर्थ हिमालय होता है। पर्वतराज हिमालय के यहां के जन्म लेने के कारण माता पार्वती को शैलपुत्री कहा गया। माता शैलपुत्री का वाहन वृषभ ;बैल है। इसी कारण इन्हें वृषभारूढ़ा भी कहा जाता है। माता के इस स्वरूप की पूजा करने से मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है और सभी दोष दूर होते हैं। मां शैलपुत्री का स्वरूप बेहद सौम्य है। मां बैल पर सवार हैं और उनके दाहिने हाथ में त्रिशूल और बाएं हाथ में कमल का फूल हैण्इस दिन घट स्थापना और विधिवत पूजा-अर्चना की जाती है। ऐसा करने से व्यक्ति को मां शैलपुत्री की कृपा प्राप्त होती है।

मां शैलपुत्री:-

इस दिन मां शैलपुत्री की व्रत कथा पढ़ने तथा सुनने से व्यक्ति की सभी इच्छाएं भी पूरी होती हैंण्मंदिर के अध्यक्ष रावल किशन सिंह ने बताया कि मंदिर की मान्यता देश ही नहीं पूरे विश्व में है। यहां पर सच्चे मन से की गई पूजा-अर्चना से माता रानी प्रसन्न होकर अपने भक्तों के सभी कष्ट दूर कर देती हैं। श्री रानी भटियाणी मंदिर संस्थान बालोतरा राजस्थान में रानी भटियानी मंदिर में आचार्य तोयराज उपाध्याय के साथ तीर्थराज, दीपांशु, अभिषेक पांडेय, अभिषेक द्विवेदी, निखिलेश, विकास, मनोहर ने पूजा-अर्चना कराई। गढ़ में आचार्य मुकेश शुक्ला व रिपुदमन, पालिया रूपादेवी मंदिर में आचार्य उत्तकर्ष व हिमांशु, शिवतालाब में आचार्य संतोष और अर्जुन, मालाजाल में आचार्य बालकृष्ण ने पूजा-अर्चना कराई। सिद्धपीठ श्री दूधेश्वर नाथ मठ महादेव मंदिर में नित्यानंद आचार्य, आचार्य रोहित त्रिपाठी, आचार्य लक्ष्मीकांत पाढी, आचार्य अजय दाधीच समेत 51 पंडित पाठ करा रहे हैं। प्राचीन बाली सुंदरी चतुर्भुजी द्वारका पुरी दिल्ली गेट में महंत गिरिशानंद गिरि महाराज के सानिध्य में आचार्य राममनोहर अग्निहोत्री, जितेंद्र गौतम, श्याम बाबू शुक्ला, सतीश पांडे, सुरेंद्र अवस्थी, शंकरलाल शुक्ला, नरेंद्र तिवारी, महेंद्र द्विवेदी, विनोद द्विवेदी, सर्वेश द्विवेदी, मनीष त्रिपाठी पाठ करा रहे हैं। श्री सिद्धेश्वर महादेव कुटी में महंत मुकेशानंद गिरि महाराज वैद्य के सानिध्य में पाठ हो रहा है।

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