जसोलः श्री राणी भटियाणी मंदिर संस्थान, जसोल में चैत्र नवरात्रि में बुधवार को श्री पंच दशनाम जूना अखाड़ा के अंतर्राष्ट्रीय प्रवक्ता, दिल्ली संत महामंडल के दिल्ली एनसीआर अध्यक्ष व श्री दूधेश्वर महादेव मंदिर, गाजियाबाद के पीठाधीश्वर श्रीमहंत नारायण गिरी महाराज के पावन सानिध्य में स्कंदमाता की भव्य पूजा-अर्चना संपन्न हुई। पूजा-अर्चना के लिए मंदिर में देश भर से भक्त पहुंचे। संस्थान की ओर से अध्यक्ष रावल किशन सिंह जसोल व संयोजक कुंवर हरिशचंद्र सिंह ने मां जसोल के असंख्य भक्तों की सम्पूर्ण मनोकामना पूर्ति हेतु संकल्प के साथ मां कूष्मांडा की पारंपरिक विधि-विधान से पूजा अर्चना की। इस विशेष पूजा का आयोजन श्री दूधेश्वर वेद विद्या पीठ गाजियाबाद के विद्वान आचार्यों एवं पंडितों द्वारा मंत्रोच्चारण के साथ कराया गया। अन्न प्रसादम एवं छप्पन भोग का आयोजन किया पंचमी तिथि के इस पावन अवसर पर श्री बालाजी ;हाल निवास हावड़ाए पश्चिम बंगाल निवासी शजगदीश तापड़िया एवं उनके परिवार द्वारा अन्नपूर्णा प्रसादम एवं छप्पन भोग का आयोजन किया गया। लाभार्थी परिवार ने मंदिर प्रांगण स्थित श्री राणी भटियाणीसा सहित सभी मंदिरों में भोग अर्पित किया। इस दौरान ढोल और थाली की टंकार के साथ जसोल ग्राम के स्थानीय मालाणी सांस्कृतिक कला केंद्र द्वारा प्रस्तुत नृत्य की विशेष प्रस्तुति ने भक्तों को भाव-विभोर कर दिया। कन्या पूजन कर प्रसाद एवं दक्षिणा भेंट की लाभार्थी परिवार द्वारा जसोल ग्राम सर्व समाज की कन्याओं एवं बटुकों का विधि-विधान और पारंपरिक रीति-रिवाज से पूजन किया गया। सभी कन्याओं व बटुकों को फल प्रसादम, अन्न प्रसादम एवं दक्षिणा भेंट की गई। इसके बाद भक्तों को प्रसाद वितरित किया गया।













स्कंदमाता की पूजा-अर्चना:-
स्कंदमाता की पूजा-अर्चना से सभी दुख-दर्द से छुटकारा मिलता है श्रीमहंत नारायणगिरी महाराज ने अपने प्रवचन में कहा कि नवरात्रि की पंचमीतिथि पर देवी स्कंदमाता की पूजा करने से नकारात्मक शक्तियों का नाश होता है और भक्तों के सभी काम बन जाते हैं। असंभव से असंभव कार्य भी उनकी पूजा से पूरे हो जाते हैं। संतान सुख की प्राप्ति होती है। साथ ही व्यक्ति को सभी दुख दर्द से छुटकारा मिलता है पुराणों के अनुसार भगवान स्कंद की माता होने के कारण ही उन्हें स्कंदमाता के नाम से जाना जाता है। देवी स्कंदमाता को पद्मासना देवी भी कहा जाता है क्योंकि वे कमल के आसन पर विराजमान हैं। मां की चार भुजाएं हैं। मां भगवान स्कंद को अपनी गोद में लेकर शेर पर सवार रहती है। मां के दोनों हाथों में कमल है। स्कंदमाता को पीले रंग की वस्तुएं सबसे अधिक प्रिय है। माता को केले का भोग लगाना चाहिए। इससे मां प्रसन्न होती हैं और अपने भक्तों को सौभाग्य और समृद्धि का आशीर्वाद प्रदान करती हैं। उन्हें पीले रंग के फूल और फल अर्पित करने चाहिए। स्कंदमाता को केसर की खीर का भोग भी लगा सकते हैं।