श्रीमहंत हरि गिरि महाराज के पावन सानिध्य में अनेक धार्मिक आयोजन हुए
उज्जैन, मध्य प्रदेशः
श्री पंच दशनाम जूना अखाड़ा नीलगंगा उज्जैन की ओर से आयोजित गंगा दशहरा महोत्सव में संतों व भक्तों का सैलाब उमड पडा। महोत्सव के चलते उज्जैन में सिंहसथ महाकुंभ जैसा नजारा रहा। श्री पंच दशनाम जूना अखाड़ा के मुख्य संरक्षक व अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के महामंत्री श्रीमहंत हरि गिरि महाराज के पावन सानिघ्य में महोत्सव का शुभारंभ गुरूवार को प्रातः 4 बजे गौरी गणेश पूजन व अभिषेक से हुआ। प्रातः 10.30 बजे अखाडा परिषद से नगर शोभा यात्रा पेशवाई निकाली गई जिसमें देश भर से आए संत शामिल हुए। श्रीमहंत आनंद पुरी महाराज, श्रीमहंत परमानंद गिरि महाराज व श्रीमहंत सहदेवानंद गिरि महाराज मंत्री कनार्टक देवताओं को लेकर चले। सिद्धपीठ श्री दूधेश्वर महादेव मंदिर गाजियाबाद के पीठाधीश्वर, श्री पंच दशनाम जूना अखाड़ा के अंतर्राष्ट्रीय प्रवक्ता व दिल्ली संत महामंडल के अध्यक्ष श्रीमहंत नारायण गिरि महाराज ने बताया कि अखाडा परिषद से शुरू हुई शोभा-यात्रा ने पूरा नगर भ्रमण किया।

नीलगंगा:-
नीलगंगा स्नान कर नीलकंठ महादेव का दर्शन-पूजन किया गया। शोभा-यात्रा में शामिल अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष श्रीमहंत रविंद्र पुरी महाराज, श्रीमहंत सुंदर पुरी महाराज पीर श्री दत्त अखाड़ा, कैलाशवासी सोमनाथ गिरि महाराज पायलट बाबा नीलगंगा पीठाधीश्वर, अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के वरिष्ठ सभापति श्रीमहंत प्रेम गिरि महाराज, वरिष्ठ सभापति श्रीमहंत उमाशंकर भारती महाराज, अंर्तराष्ट्रीय सभापति श्रीमहंत मोहन भारती महाराज, उपाध्यक्ष श्रीमहंत केदारपुर पुरी महाराज, श्रीमहंत आनंदपुरी महाराज, महामंत्री श्रीमहंत शैलेंद्र गिरि महाराज, श्रीमहंत महेश पुरी महाराज, अंर्तराष्ट्रीय प्रवक्ता श्रीमहंत नारायण गिरि महाराज, आय व्यव निरीक्षक मंत्री श्रीमहंत शिवानंद सरस्वती महाराज, प्रचार मंत्री श्रीमहंत चांद गिरि महाराज, सचिन अंर्तराष्ट्रीय मंत्री श्रीमहंत कंचन गिरि महाराज, श्रीमहंत ओम भारती महाराज, श्रीमहंत रामेश्वर गिरि महाराज, श्रीमहंत मृत्युंजय पुरी महाराज, श्रीमहंत थानापति काशी श्रीमहंत आनंद गिरि महाराज, श्रीमंहत सहदेवानंद गिरि महाराज कर्नाटक, जूनागढ की निर्वाण मंत्री श्रीमहन्त साध्वी शैलजा गिरि महाराज, श्रीमहंत परमात्मा नंद गिरि महाराज, किन्नर अखाडे की महामंडलेश्वर साध्वी पवित्रानंद गिरि महाराज, श्रीमहंत वेद व्यास पुरी महाराज आदि संतों का स्वागत करने के लिए जगह-जगह भक्तों की भीड लगी रही। नृसिंह घाट पर जूना दत्तार अखाडे में श्रीमहंत हरि गिरि महाराज की अध्यक्षता में कोरोना महामारी के पूर्ण नाश व विश्व शांति सिंहस्थ 2028 के निविघ्न पूर्ण होने की कामना से 24 मई से चल रहे 11 दिवसीय शतचंडी महारूद्र महायज्ञ की पूर्णाहुति भी हुई, जिसमें हजारों संतों व भक्तों ने आहुति दी। श्रीमहंत रविंद्र पुरी महाराज व श्रीमहंत हरि गिरि महाराज ने देवताओं का पूजन किया। राजसी स्नान दोपहर 12.05 से शुरू हुआ। सांय 7 बजे अभिषेक व महागंगा की आरती हुई। सांय 7.30 बजे से नीलगंगा पडाव स्थल गंगा स्तुति नृत्य नाटिका प्रस्तुत की गई। सभी महंत, श्रीमहंत, जगतगुरु महामंडलेश्वर, सभी संतों के विश्राम, भोजन प्रसादी, संत सेवा आदि की व्यवस्था अखाड़ा परिषद के प्रवक्ता पत्रकार गोविंद सोलंकी, राहुल कटियार, संदीप आदि ने की। सभी कार्यक्रम श्रीमहंत हरि गिरि महाराज कीअध्यक्षता में हुए.













मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव मुख्य अतिथि रहे:-
गंगा दशहरा महोत्सव के मुख्य अतिथि डॉ मोहन यादव रहे। उन्होंने महोत्सव का शुभारंभ किया और सभी को गंगा दशहरा पर्व की बधाई दी। डॉ मोहन यादव ने संतो को वर्ष 2028 में होने वाले सिंहस्थ महाकुंभ के लिए आमंत्रित किया और बताया कि सिंहस्थ 2028 को लेकर संतों ने जो सुझाव दिए हैं, उनके अनुसार ही सिंहस्थ 2028 को लेकर तैयारियां की जा रही हैं ताकि उसे ऐतिहासिक व यादगार बनाया जा सके। उप आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी कपिल पुरी महाराज, गोकर्ण तीर्थ रोहतक हरियाणा जगतगुरू वीरभद्रानंद गिरि महाराज , महामंडलेश्वर साध्वी श्रद्धानंद गिरि महाराज, महामंडलेश्वर साध्वी चेतनानंद गिरि महाराज, महामंडलेश्वर शैलेषानंद गिरि , महामंडलेश्वर स्वामी शांति स्वरूपानंद गिरि महाराज पीठाधीश्वर चार धाम मंदिर उज्जैन, महामंडलेश्वर स्वामी प्रेमानंद पुरी महाराज पीठाधीश्वर अर्जी वाले हनुमान मुरलीपुरा उज्जैन, महामंडलेश्वर स्वामी भक्तानंद गिरि महाराज श्री पंचायती अखाडा निरंजनी उज्जैन आदि भी मौजूद रहे।


मुख्यमंत्री ने श्रीमहंत हरि गिरि महाराज के सभी सुझावों को माना:-
देश में कहीं भी कोई बडा धार्मिक आयोजन हो, उसे सफल व ऐतिहासिक बनाने में श्रीमहंत हरि गिरि महाराज की अहम भूमिका रहती है। यही कारण रहा कि सिंहस्थ 2028 को लेकर उनके द्वारा दिए गए सभी सुझावों को मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव ने मान लिया। श्रीमहंत हरि गिरि महाराज ने 30 किमी तक दोनों तरफ घाट बनवाने का सुझाव दिया था ताकि सिंहस्थ 2028 में स्नान के लिए आने वाले करोडों लोगों को कोई असुविधा ना हो। मुख्यमंत्री ने इस सुझाव को मान लिया और बताया कि समय से पूर्व ही 30 किमी तक दोनों तरफ सुंदर घाट तैयार हो जाएंगे। अखिल भारतीय अखाडा परिषद के सभी 13 अखाडों को आर्थिक मदद के साथ उनके लिए पक्के निर्माण, यात्रियों के लिए शौचालय, अस्पताल, पक्की सडक आदि कार्य भी समय से पूर्व पूर्ण कर लिए जाएंगे। इंदौर एयरपोर्ट से 6 लेन का मार्ग भी तेजी से तैयार हो रहा है। करोडों की लागत से कराए जा रहे सभी कार्य समय से पहले ही पूरे हो जाएंगे।
नीलगंगा का पौराणिक महत्व है:-
श्री पंच दशनाम जूना अखाड़ा के मुख्य संरक्षक व अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के महामंत्री श्रीमहंत हरि गिरि महाराज ने बताया कि प्राचीन नीलगंगा सरोवर का पौराणिक महत्व है। स्कंद पुराण में इसके महत्व का जिक्र किया गया है। यह बहुत बडा तीर्थ है और इस तीर्थ में सभी फलों की प्राप्ति होती है। नीलगंगा स्नान व संगमेश्वर शिव की पूजा करने से सभी कष्ट दूर होते हैं और जीवन में हमेशा सुख-समृद्धि व खुशहाली रहती है। अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष श्रीमहंत रविंद्र पुरी महाराज ने बताया कि मनुष्यों के पापों के चलते गंगा का रंग काला हो जाने से उन्होंने ब्रहमाजी के कहने पर रमणीय अमरावती पुरी में पावन शिप्रा में प्रवेश किया तो उनका वर्ण शरदचंद्र जैसी निर्मल हो गया, इसी से यहां पर मां गंगा नाम नीलगंगा पडा। यहां गंगा स्नान से जन्म-जन्मांतर के पाप भी नष्ट हो जाते हैं। उप आचार्य श्री श्री 1008 स्वामी कपिल पुरी महाराज ने बताया कि नीलगंगा के किनारे पर ही अंजनि पुत्र आश्रम है। यहां अंजनि देवी ने ब्रहमचर्य भाव से अजंनि पुत्र कर प्राप्ति के लिए ब्रहमचर्य व्रत रखकर तप किया था। इससे भी इसका बहुत अधिक महत्व है। यहां पर गंगा स्नान और हनुमान जी के पूजन से सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। सिद्धपीठ श्री दूधेश्वर महादेव मंदिर गाजियाबाद के पीठाधीश्वर, श्री पंच दशनाम जूना अखाड़ा के अंतर्राष्ट्रीय प्रवक्ता व दिल्ली संत महामंडल के अध्यक्ष श्रीमहंत नारायण गिरि महाराज ने बताया कि नीलगंगा सरोवर का पौराणिक महत्व है। इसके एक किनारे पर हनुमान मंदिर आदि तो दूसरे किनारे पर जूना अखाड़ा का नया भवन है। सरोवर के बीच माता गंगा की प्रतिमा विराजित की गई है। प्रतिमा तक जाने के लिए पुल का निर्माण भी किया है। यहां रोज सुबह शाम गंगा आरती भी होती है। इससे यह तीर्थ जीवंत हो उठा है। यहां पर गंगा स्नान व पूजा-अर्चना से जहां हर प्रकार का कष्ट दूर होता है और जीवन सुख-समृद्धि से भर जाता है, वहीं यहां श्राद्धकर्म से पितरों की अक्षय तृप्ति होती है।