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मां की आठवीं महाविद्या मां बगलामुखी की पूजा-अर्चना शत्रुओं पर विजय व भय से मुक्ति के लिए की जाती हैः श्रीमहंत नारायण गिरि महाराज

श्री दूधेश्वर नाथ मठ महादेव मंदिर में आयोजित गुप्त नवरात्रि अनुष्ठान में कई शहरों से आए साधकों ने मां बगलामुखी की पूजा-अर्चना की

गाजियाबादः
सिद्धपीठ श्री दूधेश्वर नाथ मठ महादेव मंदिर में मंदिर के पीठाधीश्वर श्रीमहंत नारायण गिरि महाराज के पावन सानिध्य व अध्यक्षता में चल रहे गुप्त नवरात्रि अनुष्ठान के आठवें दिन मां की आठवीं महाविद्या मां बगलामुखी की पूजा-अर्चना कई शहरों से आए साधकों ने की। साधकों ने मां की पूजा.अर्चना करने के बाद श्रीमहंत नारायण गिरि महाराज से भेंटकर उनका आशीर्वाद भी लिया। महाराजश्री ने कहा कि माँ बगलामुखी दस महाविद्याओं में आठवीं महाविद्या हैं और बहुत ही शक्तिशाली देवी हैं। मां बगलामुखी शत्रुओं पर विजय, वाद-विवाद में सफलता और अज्ञात भय से मुक्ति दिलाने के लिए जानी जाती हैं। उन्हें स्तंभन की देवी भी कहा जाता है और उनकी पूजा तंत्र-मंत्र से जुड़ी साधनाओं में विशेष महत्व रखती है। उनकी पूजा मुख्य रूप से शत्रुओं को नियंत्रित करने, वाद.विवाद में जीत हासिल करने और अज्ञात भय से मुक्ति पाने के लिए की जाती है। बगलामुखी महाविद्या भगवान विष्णु के तेज से युक्त होने के कारण वैष्णवी है।

मंगलयुक्त चतुर्दशी की अर्धरात्रि में इसका प्रादुर्भाव हुआ था। श्री बगलामुखी को ब्रह्मास्त्र के नाम से भी जाना जाता है। साथ ही इन्हें माता पीताम्बरा भी कहते हैं। सम्पूर्ण सृष्टि में जो भी तरंग है वो इन्हीं की वजह से है। ये भोग और मोक्ष दोनों प्रदान करने वाली देवी है। व्यष्ठि रूप में शत्रुओ को नष्ट करने की इच्छा रखने वाली तथा समिष्टि रूप में परमात्मा की संहार शक्ति ही बगला है। मां का प्रमुख मंत्र श्ॐ ह्लीं बगलामुखि सर्वदुष्टानां वाचं मुखं पदं स्तंभय जिव्हां कीलय बुद्धिं विनाशय ह्लीं ॐ स्वाहा है, जो शत्रुओं से सुरक्षा और विवादों में विजय प्रदान करता है। माँ बगलामुखी की पूजा विशेष रूप से मंगलवार और शनिवार को की जाती है और उनके उपासकों को पीले वस्त्र धारण करके उनकी पूजा करनी चाहिए। कांगड़ा ;हिमाचल प्रदेश और दतिया ;मध्य प्रदेश में उनके प्रमुख मंदिर हैं, जहाँ लाखों भक्त दर्शन के लिए आते हैं।

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