देश भर से आए भक्तों ने महाराजश्री का पूजन किया, आरती उतारकर भोग लगाया
अज्ञान के अंधकार से ज्ञान के प्रकाश की ओर ले जाना वाला ही गुरू हैः श्रीमहंत नारायण गिरि महाराज
सभी भक्त पर्यावरण संरक्षण के लिए एक पेड़ गुरू के नाम लगाएं
गाजियाबादः
सिद्धपीठ श्री दूधेश्वर नाथ मठ महादेव मंदिर में गुरू पूर्णिमा के पर्व पर मंदिर के पीठाधीश्वर श्री पंच दशनाम जूना अखाड़े के अंतर्राष्ट्रीय प्रवक्ता व दिल्ली संत महामंडल के अध्यक्ष श्रीमहंत नारायण गिरि महाराज से गुरू दीक्षा लेने के लिए भक्तों की भीड़ उमड़ पड़ी। आम आदमी से लेकर वीआईपी तक महाराजश्री से गुरू दीक्षा गुरू मंत्र लेने के लिए पहुंचे। मंदिर के मीडिया प्रभारी एस आर सुथार ने बताया कि प्रातकालः श्रीमहंत नारायण गिरि महाराज ने सबसे पहले ब्रहमलीन श्रीमहंत गौरी गिरि महाराज, ब्रहमलीन श्रीमहंत राम गिरि महाराज समेत सभी गुरू मूर्तियों की समाधि का पूजन किया। उसके बाद भगवान दूधेश्वर, जूना अखाडे के आदि गुरू दत्तात्रेय भगवान, सत्यनारायण भगवान, नवग्रह पूजन, जगदगुरू शंकराचार्य पूजन, मंदिर में विराजमान सभी देवी-देवताओं व गौमाता का पूजन किया। उसके बाद श्री दूधेश्वर वेद विद्या पीठ के आचार्यो व विद्यार्थियों ने महाराजश्री का पूजन किया।
महाराजश्री के शिष्यों महंत गिरिशानंद गिरि महाराज, महंत कन्हैया गिरि महाराज, महंत विजय गिरि महाराज, महंत जगदीश गिरि महाराज, रमेशानंद गिरि महाराज, मंगल गिरि महाराज, शंकर झा, आचार्य कृष्णकांत पाढी, आचार्य नित्यानंद, आचार्य अमित , आचार्य तयारोज उपाध्याय, आचार्य रोहित त्रिपाठी, अजय दधीचि, दूधेश्वर श्रृंगार सेवा समिति केअध्यक्ष विजय मित्तल ने उनका पूजन किया व आरती उतारकर भोग लगाया। उसके बाद देश भर से पहुंचे भक्तों ने श्रीमहंत नारायण गिरि महाराज का पूजन कर उनसे गुरू दीक्षा ली। शहर विधायक संजीव शर्मा, भाजपा के महानगर अध्यक्ष मयंक गोयल, पवनपुत्र अजय चोपडा, बी के शर्मा हनुमान, आंध प्रदेश से किशोर सिंह राजपुरोहित, मोती लाल चौधरी समेत उत्तर प्रदेश, दिल्ली, उत्तराखंड, मध्य प्रदेश, राजस्थान, गुजरात, पंजाब, झारखंड, तमिलनाडु आदि से आए भक्तों ने महाराजश्री का पूजन किया।

















श्रीमहंत नारायण गिरि महाराज ने कहा:-
श्रीमहंत नारायण गिरि महाराज ने कहा कि गुरू संस्कृत शब्द है। गु का अर्थ अंधकार व रू का अर्थ प्रकाश है। यानि जो अज्ञान के अंधकार को दूर हमें ज्ञान रूपी प्रकाश की ओर ले जाए, वहीं गुरू है। जीवन में जिस किसी से भी सीखने का मौका मिले व जिससे भी प्रेरणा वह गुरू के समान ही होता है और गुरू पूर्णिमा पर्व उनको आभार व्यक्त करने का दिन होता है। श्री पंच दशनाम जूना अखाड़े के आदि गुरू श्री दत्तात्रेय भगवान ने छोटे बालक से लेकर मजदूर तक 24 गुरू बनाकर हमें यह संदेश दिया कि जिससे भी कुछ सीखने का मौका मिले, उसको गुरू मान लेना चाहिए।

ऐसा करके हमारा जीवन गुणों से भर जाएगा और अवगुण अपने आप ही समाप्त हो जाएंगे। महाराजश्री ने कहा कि गुरू पूर्णिमा को व्यास पूर्णिमा व वेद व्यास जयंती के रूप में भी मनाया जाता है क्योंकि इसी दिन उन महर्षि वेदव्यास का जन्म हुआ था, जिन्होंने हमें श्रीमद भागवत जैसा महान ग्रंथ दिया जो पूरे विश्व को जीवन जीने की कला सिखा रहा है और ज्ञान का प्रकाश फैला रहा है। उन्होंने महाभारत, 18 पुराणों व ब्रहम पुराण की रचना की और वेदों का संकलन किया। गुरू पूर्णिमा पर हमें महर्षि वेद व्यास जैसा ही बनने का संकल्प लेना चाहिए। उन्होंने कहा कि गुरू पूर्णिमा पर सभी भक्तों को अपने गुरू के नाम पर एक पौधा भी अवश्य लगाना चाहिए। श्री पंच दशनाम जूना अखाड़े के संरक्षक श्रीमहंत हरि गिरि महाराज ने एक पेड़ गुरू के नाम लगाने का आहवान किया है। उनका कहना है कि यदि हर व्यक्ति अपने गुरू के नाम से एक पेड़ लगाएगा तो यह सृष्टि पुनः हरियाली से झूम उठेगी और प्रकृति खुश होगी तो हम सबका जीवन भी खुशियों से भर जाएगा।