हिंदू धर्म में श्रावणी उपाकर्म का बहुत अधिक महत्व हैः श्रीमहंत नारायण गिरि महाराज
महाराजश्री के आशीर्वाद से विद्यालय के सभी नए विद्यार्थियों का मुंडन, कर्णभेदन व उपनयन संस्कार हुआ
महाराजश्री ने विद्यार्थियों से कहा, वेदों का अध्ययन कर पूरे विश्व में सनातन धर्म, भारतीयता व भारतीय संस्कृति की ध्वजा फहराएं
गाजियाबाद
श्री दूधेश्वर नाथ मठ महादेव मंदिर में संचालित दूधेश्वर वेद विद्यालय संस्थान में शनिवार को श्रावणी पूर्णिमा पर श्रावणी उपाकर्म महोत्सव का आयोजन किया गया। महोत्सव का आयोजन श्री दूधेश्वर पीठाधीश्वर, विद्यालय के संस्थापक
अध्यक्ष, श्रीपंचदशनाम जूना अखाड़ा के अंतरराष्ट्रीय प्रवक्ता व दिल्ली संत महामंडल के अध्यक्ष श्रीमहंत नारायण गिरि महाराज की अध्यक्षता में हुआ, जिसमें गुरुकुल में अध्ययनरत नए विद्यार्थियों का सामूहिक उपाकर्म व उपनयन (यज्ञोपवीत) संस्कार कराया गया। विश्व संवाद संपर्क सचिव अमित गोस्वामी ने बताया कि शुक्रवार को सभी नए विद्यार्थियों का मुण्डन संस्कार तथा कर्णभेदन संस्कार भी हुआ। सभी विद्यार्थियों ने उपनयन संस्कार के बाद महाराजश्री से आशीर्वाद लिया।







महाराजश्री ने विद्यार्थियों से कहा:-
महाराजश्री ने विद्यार्थियों से कहा कि वे देश का भविष्य हैं। अतः वेदों का सभी बटुक पूरी श्रद्धा, विश्वास व आस्था के साथ अध्ययन करें और उसे बाद पूरे विश्व में वेद, भारतीय संस्कृति, परम्परा, विरासत व सनातन धर्म की ध्वजा फहराकर भारत को पुनः विश्व गुरू बनाएं। श्रीमहंत नारायण गिरि महाराज ने कहा कि आज पूरा विश्व यह समझ रहा है कि पूरी मानवता का कल्याण भारत व सनातन धर्म ही कर सकता है। ऐसे में हम सबकी जिम्मेदारी और भी बढ जाती है। हमें सनातन धर्म व यहां की गुरूकुल शिक्षा पद्धति से पूरे विश्व को प्रकाशित करना है, तभी वसुधैव कुटुंबकम् की परिकल्पना साकार हो पाएगी। श्रीमहंत नारायण गिरि महाराज ने कहा कि श्रावणी उपाकर्म एक महत्वपूर्ण हिंदू संस्कार है जो विशेष रूप से ब्राह्मणों द्वारा मनाया जाता है। यह श्रावण मास की पूर्णिमा के दिन आयोजित किया जाता है और इसमें दशविध स्नान प्रायश्चित संकल्प ऋषि पूजन नूतन यज्ञोपवीत (पवित्र धागा) धारण, वैदिक मंत्रों का पाठ व जाप करना इत्यादि सम्मिलित हैं। यह संस्कार आध्यात्मिक नवीनीकरण और ज्ञान के मार्ग पर चलने की प्रतिबद्धता का प्रतीक है। यज्ञोपवीत संस्कार, जिसे यज्ञोपवीत संस्कार भी कहा जाता है,यह संस्कार हिन्दू धर्म का एक महत्वपूर्ण संस्कार है। यह 16 संस्कारों में से एक है, जो विद्यारम्भ और ब्रह्मचर्य की शुरुआत का प्रतीक है। इस संस्कार में बालक को यज्ञोपवीत (जनेऊ) पहनाया जाता है, जो तीन धागों वाला एक पवित्र सूत्र होता है। इस पवित्र सूत्र का हिंदू धर्म में बहुत अधिक महत्व है क्योंकि इसे त्रिदेव यानि ब्रह्मा, विष्णु व महेश का प्रतीक माना जाता है। विद्यालय के सचिव लक्ष्मीकांत पाढ़ी, प्रधानाचार्य तोयराज उपाध्याय, आचार्य नित्यानंद, आचार्य रोहित त्रिपाठी, आचार्य किशन शर्मा, आचार्य अजय दाधीच, विद्यालय के कोषाध्यक्ष विवेक गोयल आदि भी मौजूद रहे।