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जन्माष्टमी पर्व पर श्री दूधेश्वर नाथ मठ महादेव मंदिर में भक्तों का सैलाब उमड़ा

श्रीमहंत नारायण गिरि महाराज के पावन सानिध्य व अध्यक्षता में पुरुष सूक्त द्वारा महाभिषेक पूर्वक गोपाल सहस्त्रनाम पाठ तथा गोपाल सहस्रनामावली से तुलसीदल तथा नानाविध पुष्पों द्वारा भगवान कृष्ण का सहस्रार्चन दूधेश्वर वेद विद्यालय के आचार्यों द्वारा वैदिक रीति से सम्पन्न कराया।
जन्माष्टमी पर्व पर व्रत रखकर भगवान कृष्ण की पूजा करने से जन्म-जन्मांतर के पाप भी नष्ट हो जाते हैंः महाराजश्री
भगवान के प्रकट होने पर श्रीमहंत नारायण गिरि महाराज ने महाआरती की, जिसके बाद प्रसाद का वितरण किया गया
गाजियाबादः
श्री दूधेश्वर नाथ महादेव मठ मंदिर गौशाला मार्ग में मंदिर के पीठाधीश्वर श्रीपंचदशनाम जूना अखाड़ा के अंतरराष्ट्रीय प्रवक्ता व दिल्ली संत महामंडल के अध्यक्ष श्रीमहंत नारायण गिरि महाराज के पावन सन्निधि व अध्यक्षता में जन्माष्टमी का पर्व बहुत हर्षोल्लास व श्रद्धा भाव से मनाया गया। मंदिर को रंग बिरंगी लाइटों, विभिन्न प्रकार के फूलों व गुब्बारो से आकर्षक ढंग से सजाया गया। भगवान कृष्ण की पूजा-अर्चना करने व उनकी झांकियों के दर्शन करने के लिए मंदिर में भक्तों का सैलाब उमड़ पड़ा। सांय 7 बजे के बाद महाराजश्री की अध्यक्षता में धार्मिक आयोजन शुरू हुए। श्री दूधेश्वर वेद विद्यालय संस्थान के विद्यार्थियों ने भगवान कृष्ण की लीलाओं पर आधारित नृत्य नाटिका प्रस्तुत कर सभी को भाव-विभोर कर दिया। उन्होंने भगवान कृष्ण के जीवन पर आधारित सुंदर झांकियां सजाईं, जिन्हें देखने के लिए रात्रि 2 बजे तक भक्तों की भीड लगी रही।

विजय मित्तल जी श्रृंगार सेवा समिति दूधेश्वर श्रृंगार सेवा समिति के सभी सदस्यों ने भाव से भगवान का श्रृंगार किया और सारी व्यवस्थाओं को उन्होंने देखा ये सारा कार्य महाराज जी की देखरेख में सम्पन्न हुआ। रंगारंग कार्यक्रम जो प्रस्तुत किया गया उसका मंच संचालन योगी रमेश मंगल जी ने किया और विजय मित्तल, अमितगोस्वामी ,मुकेश ,शंकर झा, धीरज झा आदि ने रंगारंग कार्यक्रम की व्यवस्था प्रबंधन संभालने में महनीय योगदान व भूमिका प्रस्तुत की।
भगवान श्री कृष्ण के बाल रूप लड्डू गोपाल का दूध, दही, घी, शहद, शक्कर, इत्र, गंगाजल, फूलों के रस व फलों के रस से महाभिषेक पूर्वक नानाविध पुष्पों तथा तुलसीदल से पूजन पूर्वक माखन मिश्री का भोग भी लगाया तथा वैदिक रीति से पूजन संपन्न किया।
श्रीमहंत नारायण गिरि महाराज ने कहा कि जन्माष्टमी का वैदिक सनातन धर्म में बहुत अधिक महत्व है। जन्माष्टमी पर्व पर व्रत रखकर भगवान श्रीकृष्ण के बाल रूप लड्डू गोपाल की तुलसीदल से पूजा अर्चना करने व उनकी लीलाओं का गुणगान करने से जन्म-जन्मांतर के पाप भी नष्ट हो जाते हैं। सभी रोग, दुख व कष्टों से मुक्ति मिलती है और भगवान की कृपा से जीवन हमेशा के लिए खुशियों से भर जाता है। रात्रि 12 बजे जैसे ही भगवान का प्राकट्य हुआ, घंटे-घडियाल, नंद के आनंद भए जय कन्हैया लाल की के जयकारों से मंदिर परिसर ही नहीं आसपास का क्षेत्र भी गूंज उठा। महाराजश्री ने भगवान की महाआरती की जिसके बाद रात्रि 2 बजे तक भक्तों को प्रसाद का वितरण किया गया। इस पावन पर्व पर महाराज श्री के शिष्य रमेशानंद गिरी ,मंगल गिरी तथा विद्यालय के सचिव श्री लक्ष्मीकांत पाढी, प्राचार्य तोयराज उपाध्याय, वरिष्ठ आचार्य नित्यानंद, आचार्य रोहित त्रिपाठी, आचार्य अजय दाधीच, आचार्य किशन शर्मा, दीपक सिंह, श्री अनिल पाढ़ी,पुजारी नंदकिशोर पांडेय आदि सहित अनेक भक्तगण उपस्थित रहे।

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