श्रीमहंत हरि गिरि महाराज की अध्यक्षता में हुई बैठक में लोगों के लिए आवास, विद्यालय व अस्पताल के पुनर्निर्माण में उत्तराखंड सरकार का सहयोग करने का निर्णय लिया गया। 2027 के अर्धकुंभ के अमृत स्नान की तिथियों का निर्णय 18 सितंबर को होने वाली बैठक में लिया जाएगाः श्रीमहंत रविंद्र पुरी महाराज। हरिद्वार। उत्तराखंड में आई प्राकृतिक आपदा के पीड़ितों की मदद के लिए अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद आगे आया है। शीघ्र ही परिषद का एक प्रतिनिधिमंडल आपदाग्रस्त क्षेत्रों में जाकर वहां किए जाने वाले कार्यों का प्राथमिकता के आधार पर सर्वेक्षण करेगा तथा प्रदेश सरकार के साथ मिलकर उन क्षेत्रों में सहायता व निर्माण कार्यों का सहयोग करेगा। यह निर्णय परिषद की रविवार को निरंजनी अखाड़े में जूना अखाड़े के अंतरराष्ट्रीय संरक्षक एवं अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के महामंत्री श्रीमहंत हरि गिरि महाराज की अध्यक्षता में हुई बैठक में लिया गया। बैठक का संचालन मनसा देवी मंदिर के अध्यक्ष, निरंजनी अखाड़ा परिषद के सचिव एवं अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष श्रीमहंत रविंद्र पुरी महाराज ने किया। इस अवसर पर जूना अखाड़े के सभापति श्रीमहंत मोहन भारती महाराज, जूना अखाड़े के अंतरराष्ट्रीय प्रवक्ता, श्री दूधेश्वरनाथ महादेव मठ मंदिर के पीठाधीश्वर व दिल्ली संत महामंडल के अध्यक्ष श्रीमहंत नारायण गिरि महाराज, हिमालय पीठाधीश्वर महामंडलेश्वर वीरेंद्र आनंद महाराज, बड़ा अखाड़ा उदासीन के महामंडलेश्वर हरि चेतनानंद महाराज, निरंजनी अखाड़ा के राष्ट्रीय सचिव श्रीमहंत राम रतन गिरी महाराज, अखाड़ा परिषद के पूर्व अध्यक्ष श्रीमहंत बलवंत सिंह महाराज, भारत माता मंदिर के महामंडलेश्वर ललितानंद गिरी महाराज समेत सभी अखाड़ों के साधु-संत बैठक में शामिल हुए। बैठक में मनसा देवी मंदिर हादसे सहित उत्तराखंड, पंजाब समेत देश के विभिन्न राज्यों की प्राकृतिक आपदाओं में मारे गए लोगों को श्रद्धांजलि अर्पित की गई।







श्रीमहंत हरि गिरि महाराज ने कहा कि उत्तराखंड के विभिन्न क्षेत्रों में आई आपदा :-
श्रीमहंत हरि गिरि महाराज ने कहा कि उत्तराखंड के विभिन्न क्षेत्रों में आई आपदा में जानमाल का काफी नुकसान हुआ है, कई लोगों की जान गई तथा कई गांव पूरी तरह से तबाह हो गए, शिक्षण संस्थान व लोगों के आवास ध्वस्त हो गए। आपदाग्रस्त लोगों की सहायता करना हम सबकी जिम्मेदारी है। समाज या देश पर कोई संकट आता है या कोई प्राकृतिक आपदा आती है तो नवनिर्माण के लिए संत ही सबसे आगे रहते हैं। संत धर्म की तो रक्षा करते ही हैं, साथ ही समाज व देश के प्रति अपने कर्त्तव्य पालन में भी सबसे आगे रहते हैं। इसी के चलते अखाड़ा परिषद ने निर्णय लिया है कि शीघ्र ही परिषद का एक प्रतिनिधिमंडल आपदाग्रस्त क्षेत्र में जाकर वहां का सर्वेक्षण करेगा तथा प्रदेश सरकार के साथ मिलकर उन क्षेत्रों में सहायता कार्य, निर्माण कार्य व अन्य कार्य करेगा। इसके लिए सभी अखाड़े मिलकर व्यवस्था करेंगे। उन्होंने कहा कि इन क्षेत्रों में उच्च शिक्षण संस्थान व उच्च चिकित्सालय की नितांत आवश्यकता है, इसके लिए शासन-प्रशासन और अखाड़ा परिषद मिलकर कार्य करेगा ताकि इन क्षेत्रों का आर्थिक विकास हो सके और यहां के युवकों को रोजगार मिले जिससे पलायन पर रोक लग सके। महामंडलेश्वर वीरेंद्र आनंद गिरि महाराज ने कहा कि उत्तराखंड के सीमांतवर्ती दुर्गम क्षेत्रों में आवासीय विद्यालय खोलने के लिए प्रदेश सरकार से मांग की जाएगी, जिसमें अखाड़े भी सहयोग करेंगे। इन विद्यालयों में आपदा में अनाथ हुए बच्चों तथा आर्थिक रूप से कमजोर बच्चों को निशुल्क शिक्षा, आवास व भोजन की व्यवस्था की जाएगी।


दूधेश्वर पीठाधीश्वर श्रीमहंत नारायण गिरि महाराज ने बताया कि:-
दूधेश्वर पीठाधीश्वर श्रीमहंत नारायण गिरि महाराज ने बताया कि बैठक में जिन क्षेत्रों में विद्यालय व अस्पताल ध्वस्त हो गए हैं उनके पुनर्निर्माण तथा जिन लोगों के पास रहने को घर तक नहीं रह गए हैं उनके लिए घर बनवाने में सरकार का सहयोग करने का निर्णय लिया गया। लोगों को सहायता पहुंचाने के लिए साधु-संत पूरे देश में भ्रमण करेंगे और उद्योगपतियों व सक्षम लोगों से फंड एकत्रित कर इन क्षेत्रों में विकास कार्य करेंगे। बैठक का संचालन कर रहे मनसा देवी मंदिर के अध्यक्ष, निरंजनी अखाड़ा परिषद के सचिव व अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष श्रीमहंत रविंद्र पुरी महाराज ने कहा कि बैठक में अर्धकुंभ के अमृत स्नान की तिथियों पर भी चर्चा की जानी थी लेकिन पितृपक्ष के चलते कई महत्वपूर्ण पदाधिकारी नहीं आ पाए, इसी कारण अब अर्धकुंभ के अमृत स्नान की तिथियों का निर्णय 18 सितंबर को होने वाली बैठक में लिया जाएगा। बैठक में जूना अखाड़े के महामंत्री श्रीमहंत महेश पुरी महाराज, श्रीमहंत शैलेन्द्र गिरि महाराज, रमता पंच के महंत सुंदर गिरी महाराज, जूना अखाड़े के मंत्री श्रीमहंत ओम भारती महाराज, मंत्री श्रीमहंत महाकाल गिरि महाराज, मंत्री श्रीमहंत मनोज गिरि महाराज, मंत्री श्रीमहंत रंधीर गिरी महाराज, श्रीमहंत पशुपति गिरी महाराज, आवाहन अखाड़े के महंत, आनंद अखाड़े के कारोबारी महंत राजेंद्र पुरी महाराज, अखाड़ों के रमता पंच, शंभू पंच, श्रीपंच व दिल्ली संत महामंडल के महामंडलेश्वर, श्रीमहंत व महंत आदि भी मौजूद रहे।