बालोतरा (नागाणा)।
सिद्धपीठ श्री दूधेश्वरनाथ मठ महादेव मंदिर के पीठाधीश्वर, श्री पंच दशनाम जूना अखाड़ा के अंतरराष्ट्रीय प्रवक्ता एवं दिल्ली संत मंडल के अध्यक्ष श्री महंत नारायण गिरि महाराज राजस्थान की 8 दिवसीय संत मिलन एवं देव दर्शन यात्रा पर हैं। इसी क्रम में सोमवार को महाराजश्री ने विख्यात श्री नागणेच्या माता मंदिर में कुंवर हरिश्चंद्र सिंह जसोल के साथ पूजा-अर्चना कर दर्शन लाभ लिया।
मंदिर परिसर में उन्होंने भक्तों को आशीर्वाद दिया तथा नागणेच्या माता मेले का भ्रमण भी किया। उन्होंने बताया कि नागणेच्या माता को चक्रेश्वरी देवी के नाम से भी जाना जाता है, जो मारवाड़, जोधपुर और बीकानेर के राठौड़ राजपूतों की कुलदेवी हैं। देवी का यह मुख्य मंदिर बालोतरा के समीप नागाणा गाँव, कल्याणपुर में स्थित है।
ऐतिहासिक मान्यता:-
ऐतिहासिक मान्यता के अनुसार, विक्रम संवत 1248 में मारवाड़ नरेश राव धुहड़ कर्नाटक से कुलदेवी चक्रेश्वरी की स्वर्णमूर्ति लाकर नागाणा में स्थापित की थी। इसके बाद से यह मंदिर नागणेच्या माता के रूप में विख्यात हुआ। नागणेच्या माता सूर्यवंशी राठौड़ राजपूतों और सोढ़ा राजपुरोहितों की कुलदेवी मानी जाती हैं। वर्तमान में मंदिर के अध्यक्ष जोधपुर के महाराजाधिराज गज सिंह एवं उपाध्यक्ष रावल किशन सिंह जसोल हैं, जिनके नेतृत्व में यह धाम विश्वभर के भक्तों के लिए आस्था का प्रमुख केंद्र बना हुआ है। यहाँ प्रतिवर्ष सप्तमी के दिन विशाल मेला आयोजित होता है, जिसमें देश-विदेश से लाखों श्रद्धालु शामिल होकर माता की पूजा-अर्चना करते हैं।






इसके पश्चात श्री महंत नारायण गिरि महाराज ने कुंवर हरिश्चंद्र सिंह जसोल के साथ जसोल नगर पालिका के प्राचीन शिव तालाब पर स्थित श्री नर्बदेश्वर महादेव मंदिर में भी विधिपूर्वक पूजा-अर्चना और महाभिषेक किया। यह मंदिर लगभग 300 वर्ष पूर्व जसोल की महारानी श्री राणीसा स्वरूप कंवर (श्री राणीसा भटियाणीसा) द्वारा स्थापित किया गया था। महाराज श्री ने यहाँ संपूर्ण भारत राष्ट्र के अभ्युदय एवं जनकल्याण की मंगलकामना भी की।