विश्व प्रसिद्ध शक्तिपीठ श्री राणीसा भटियाणीसा मंदिर, जसोलधाम में महाअष्टमी पर आस्था व भक्ति का अभूतपूर्व सैलाब उमड़ा। महाराजश्री ने मंदिर संस्थान के संयोजक कुंवर हरिश्चंद्र सिंह जसोल के साथ कन्या पूजन किया।
राजस्थान।
सिद्धपीठ श्री दूधेश्वरनाथ मठ महादेव मंदिर के पीठाधीश्वर, श्री पंचदशनाम जूना अखाड़ा के अंतरराष्ट्रीय प्रवक्ता एवं दिल्ली संत मंडल के अध्यक्ष श्रीमहंत नारायण गिरि महाराज के पावन सान्निध्य व श्री राणी भटियाणी मंदिर संस्थान के संयोजक कुंवर हरिश्चंद्र सिंह के संयोजन में मंगलवार को विश्व प्रसिद्ध शक्तिपीठ श्री राणी भटियाणी मंदिर, श्रीधाम जसोल, बालोतरा में महाअष्टमी पर्व पर महागौरी, श्री राणीसा भटियाणीसा की पूजा-अर्चना, हवन व कन्या पूजन हुआ। महागौरी व श्री राणीसा भटियाणीसा की पूजा-अर्चना के लिए मंदिर में आस्था व भक्ति का अभूतपूर्व सैलाब उमड़ पड़ा। महाराजश्री के पावन सान्निध्य में रूपादे, मल्लिनाथ, गढ़ और शिवतालाब में आयोजित नवरात्र महोत्सव में भी मंगलवार को महागौरी पूजन, हवन व कन्या पूजन हुआ और सभी जगह देवी भक्तों की भीड़ लगी रही। मां के जयकारों से श्री राणी भटियाणी मंदिर, रूपादे, मल्लिनाथ, गढ़ और शिवतालाब व आसपास का क्षेत्र भी गूंजायमान हो रहा है।









श्री राणी भटियाणी मंदिर में महाराजश्री ने श्री राणी भटियाणी मंदिर संस्थान के संयोजक कुंवर हरिश्चंद्र सिंह के साथ मां की पूजा-अर्चना की एवं हवन में आहुति देकर विश्व कल्याण, सुख-समृद्धि और जनमंगल की कामना की। महाराजश्री ने कुंवर हरिश्चंद्र सिंह जसोल के साथ वैदिक विधि से चतुर्वेदोक्त मंत्रों के साथ कन्या पूजन किया। पूजनोपरांत कन्याओं को फल, मिष्ठान्न व दक्षिणा भेंट की गई।
श्रीमहंत नारायण गिरि महाराज ने कहा :-
श्रीमहंत नारायण गिरि महाराज ने कहा कि नवदुर्गा के नौ रूपों में मां महागौरी का स्वरूप शुद्धता, तपस्या और सिद्धि का प्रतीक माना जाता है। अष्टमी के दिन महिलाएं अपने सुहाग के लिए देवी मां को चुनरी भेंट करती हैं। महागौरी के पूजन से सभी नौ देवियां प्रसन्न होती हैं। इनका स्वरूप श्वेत वर्ण, अत्यंत तेजस्वी, निर्मल और दिव्य आभा से युक्त है। महागौरी शब्द का अर्थ अत्यंत उज्ज्वल, शुद्ध और पूर्णतः निर्मल है। इनकी आराधना से मनुष्य का चित्त निर्मल होता है और वह सत्य, धर्म, प्रेम और ज्ञान की ओर अग्रसर होता है। महागौरी की कृपा से जीवन में सकारात्मक ऊर्जा आती है और पापों का नाश होता है। मां महागौरी का रूप अहंकार, क्रोध और भ्रम को शांत करता है।







हवन, पूजा-अर्चना व कन्या पूजन दूधेश्वर वेद विद्यालय संस्थान के प्राचार्य वैदिक घनपाठी विद्वान आचार्य तोयराज उपाध्याय, वरिष्ठ आचार्य घनपाठी विद्वान नित्यानंद आचार्य, ऋग्वेदी आचार्य अनिल पाढ़ी, आचार्य अभिषेक एवं संस्थान के वैदिक युवा बटुक संपूर्ण विधि-विधान से करा रहे हैं। श्री राणी भटियाणी मंदिर, रानी रूपादे, मल्लिनाथ, गढ़ और शिवतालाब में 21 ब्राह्मण दुर्गा सप्तशती का पाठ कर रहे हैं।