महाराजश्री ने महोत्सव में सहयोग देने वाले भक्तों को पुरस्कार देकर सम्मानित किया
महाराजश्री से भेंट कर आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए भक्तों का तांता लगा रहा
केरलः
सिद्धपीठ श्री दूधेश्वरनाथ मठ महादेव मंदिर के पीठाधीश्वर, जूना अखाड़ा के अंतरराष्ट्रीय प्रवक्ता एवं दिल्ली संत मंडल के अध्यक्ष श्रीमहंत नारायण गिरि महाराज ने कहा कि केरल के पवित्र शहर गुरुवायूर में आयोजित ऐतिहासिक नारायणीयम् महोत्सव ‘वैकुंठमृतम्’ आज विश्वभर में अपनी अलग पहचान बना चुका है।
उन्होंने कहा कि यह महोत्सव पूरे विश्व में धर्म, आध्यात्म, ज्ञान, भारतीय संस्कृति, विरासत और परंपरा का जो प्रकाश फैला रहा है, वह भारत को पुनः विश्व के सबसे ऊँचे शिखर पर पहुँचाने में सहायक सिद्ध होगा।
महाराजश्री ने आयोजकों को बधाई देते हुए कहा कि वैकुंठमृतम् के माध्यम से वे देश की भावी पीढ़ी को धर्म, आध्यात्म, संस्कृति और संस्कार का जो पाठ पढ़ा रहे हैं, वह विकसित एवं आत्मनिर्भर भारत के संकल्प को साकार करेगा।









महोत्सव में मुख्य अतिथि के रूप में पधारे श्रीमहंत नारायण गिरि महाराज का भव्य स्वागत-अभिनंदन किया गया। महाराजश्री से भेंट कर उनका आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए भक्तों का तांता लगा रहा। उन्होंने वैकुंठमृतम् में सहयोग देने वाले तथा धर्म, शिक्षा आदि क्षेत्रों में उल्लेखनीय योगदान देने वाले भक्तों को पुरस्कार देकर सम्मानित किया।
महोत्सव का शुभारंभ बुधवार को गणपति होमम से हुआ। सुदर्शन पूजा के आचार्य ब्रह्मश्री पूलीयूर प्रशांत नंबूथिरी रहे। वडक्कनचेरी, थुलिक्कलम, मथिक्कलम, कन्नूर और कासरगोड जिलों द्वारा नारायणेय परायणम का आयोजन किया गया।
प्रज्ञा प्रवाह के राष्ट्रीय समन्वयक जे. नंदकुमार ने “हिंदुत्व ने देश को कैसे संभाला” विषय पर विचार व्यक्त किए। दोपहर को श्रीकृष्ण चैतन्य महोत्सव का उद्घाटन राज्य मंत्री वी. मोहनन ने किया। लक्ष्मी कुमारी ने सभी को शुभकामनाएँ दीं, जबकि स्वागत शाजी के. नायर, राष्ट्रीय संयुक्त सचिव ने किया। राष्ट्रीय गान और प्रार्थना में बड़ी संख्या में श्रद्धालु सम्मिलित हुए।






इस्कॉन गुरुवायूर के एच. जी. विजय मुकुंद दास ने अपने प्रवचन से सभी को मंत्रमुग्ध कर दिया। सम्मान डॉ. टी. एम. वासुदेवन ने किया तथा पुरस्कार वितरण परप्पनंगाड़ी के डॉ. उन्नीकृष्णन पनिक्कर, श्रीनिवासन साईशंकरम, गोपन (चेयरमैन, अथानी वीर हनुमान मंदिर) और अराविंद एस. (अरामुला) द्वारा किया गया। भक्ति सत्संग का संचालन वी. पी. रविंद्रन (राज्य संयुक्त सचिव) ने किया। थिरुवनंतपुरम जिला एवं नेदुम्बास्सेरी क्षेत्र द्वारा नारायणेय परायणम किया गया। डॉ. उन्नीकृष्णन नंबूथिरी, पूर्व प्राचार्य, सरकारी संस्कृत कॉलेज, थिरुवनंतपुरम ने “नारायणेयम् और भागवतम्” विषय पर विचार व्यक्त किए। कंजिकोड, मलप्पुरम और थिरुविल्लमाला क्षेत्रों द्वारा भी नारायणेय परायणम किया गया।

तुलसी पूजा उत्सव, दीपम पूजा, तथा गुरुवायूरप्पन की परिक्रमा और अर्पण की पेशकश में हजारों भक्तों ने सहभागिता की और भगवान के दिव्य सान्निध्य का लाभ प्राप्त किया।