दीपज्ज्योतिर्नमोस्तुते
काशी विद्वत् परिषद् वाराणसी में देशभर के धर्माचार्यों व विद्वानों ने एकमत से 20 अक्टूबर को दीपावली पर्व मनाने का निर्णय लिया
महाराजश्री बोले, 21 अक्टूबर को अमावस्या तिथि सूर्यास्त होने से पहले ही समाप्त हो जाएगी
गाजियाबादः
सिद्धपीठ श्री दूधेश्वरनाथ मठ महादेव मंदिर के पीठाधीश्वर, जूना अखाड़ा के अंतरराष्ट्रीय प्रवक्ता एवं दिल्ली संत मंडल के अध्यक्ष श्रीमहंत नारायण गिरि महाराज ने कहा कि पाँच दिवसीय दीपावली का त्योहार 18 अक्टूबर से प्रारंभ हो जाएगा। दीपावली का मुख्य पर्व 20 अक्टूबर को मनाया जाएगा।





दीपावली का पर्व :-
इस संबंध में काशी विद्वत् परिषद्, वाराणसी में देशभर के धर्माचार्यों व विद्वानों की बैठक में एकमत निर्णय लिया गया कि दीपावली का पर्व 20 अक्टूबर को ही मनाया जाए, क्योंकि अमावस्या तिथि 21 अक्टूबर को सूर्यास्त से पहले ही समाप्त हो जाएगी।
महाराजश्री ने कहा कि:-
महाराजश्री ने कहा कि प्रदोष काल और निषीथ काल भी 20 अक्टूबर को ही हैं। माँ लक्ष्मी का पूजन अमावस्या तिथि में प्रदोष काल और निषीथ काल में ही किया जाता है। 21 अक्टूबर को सूर्यास्त के बाद न तो अमावस्या तिथि होगी और न ही प्रदोष काल व निषीथ काल, इसलिए उस दिन माँ लक्ष्मी का पूजन भी नहीं किया जा सकेगा।
‘निर्णय सागर’ व ‘निर्णय सिंधु’ के अनुसार भी दीपावली का पर्व 20 अक्टूबर को ही है। अतः भक्त किसी भ्रम में न पड़ें और 20 अक्टूबर को ही दीपावली पर्व मनाएँ। उस दिन माँ लक्ष्मी के पूजन का शुभ मुहूर्त रात्रि 7 बजे से रात्रि 10.30 बजे तक रहेगा।
- श्रीमहंत नारायण गिरि महाराज ने बताया कि
धनतेरस का पर्व 18 अक्टूबर को मनाया जाएगा, - 19 अक्टूबर को छोटी दीपावली,
- 20 अक्टूबर को दीपावली,
- 22 अक्टूबर को गोवर्धन अर्थात् अन्नकूट, तथा
- 23 अक्टूबर को भाई दूज का पर्व मनाया जाएगा।
दीपावली का पर्व भगवान श्रीराम के 14 वर्ष के वनवास से अयोध्या लौटने की स्मृति में मनाया जाता है। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ वर्षों से वैसी ही दीपावली मनाते आ रहे हैं, जैसी दीपावली त्रेता युग में अयोध्या में मनाई गई थी।
हजारों वर्षों का अंधकार भी केवल एक दीप जलाने से दूर हो जाता है। दीपावली का पर्व अंधकार को मिटाने का पर्व है— अंधकार से प्रकाश की ओर ले जाने वाला यह दिव्य पर्व मानव जीवन में ज्ञान, श्रद्धा और भक्ति का प्रकाश फैलाता है।
श्रीमहंत नारायण गिरि महाराज ने कहा कि दीपावली की रात्रि को भगवान गणेश, भगवान राम, माँ लक्ष्मी समेत सभी देवी-देवताओं को विराजमान कर विधि-विधान से पूजा-अर्चना करनी चाहिए। किसी विद्वान ब्राह्मण को घर पर बुलाकर उसका सम्मान करने, माँ लक्ष्मी का पूजन कराने और दक्षिणा देने से माँ लक्ष्मी प्रसन्न होकर घर को धन-धान्य से परिपूर्ण करती हैं।
इसके अतिरिक्त, घर की लक्ष्मी — चाहे वह पत्नी, माता, बहन, बेटी या अन्य कोई स्त्री-रिश्तेदार हों — उनका अपमान न करके सदैव उनका सम्मान करना चाहिए। ऐसा करने से माँ लक्ष्मी की कृपा सदैव बनी रहती है। माँ लक्ष्मी के मंत्रों का जप करने से भी उनकी कृपा प्राप्त होती है।
श्रीं ह्रीं श्रीं कमले कमलालये प्रसीद प्रसीद श्रीं ह्रीं श्रीं।
विद्यावन्तं यशस्वन्तं लक्ष्मीवन्तं जनं कुरु।
रूपं देहि जयं देहि यशो देहि द्विषो जहि।।
इन मंत्रों का शुद्ध अवस्था में आसन पर बैठकर दीपावली की रात्रि को जप करना चाहिए।’