श्रद्धा भाव से की गई आराधना नाथ तक जरूर पहुँचती है। उनकी आराधना के लिए आपको दूधेश्वर नाथ मंदिर प्रागण के अंदर ही पूजा के लिए सामग्री मिल जाएगी। उसमे निम्न प्रकार के सामान होते है :-
दूध, गंगा जल, फूल, बेलपत्र, नारियल गोला, फूल माला, मिश्री और फल
अगर आप पूजा किसी विद्वान या पंडित जी से करवाना चाहते है तो आपको मंदिर में ही पंडित जी मिल जायेंगे जो आपकी विधिवत पूजा करवाते है।
श्री दूधेश्वर पूजा-विधान:-
सिद्धपीठों ,शक्तिपीठों ,ज्योतिर्लिंगों और सामान्य देवालयों –शिवालयों में पूजन-विधान एक सा नहीं है | स्थान विशेष पर पूजा-विधानों में विशेषताएँ व भेद देखे जाते हैं | भीड़ वाले विशेष अवसरों पर व सामान्य दिनों की पूजा-विधि में भी अंतर होता है | वास्तव में देव पूजन तो श्रद्धा से ही फलदायी होता है | चौसठ उपचार से पूजा करें और श्रद्धा .ध्यान व एकाग्रता का अभाव हो तो पूजा का विशेष फल अप्राप्य ही रहता है | श्रद्धालु भक्तों को पूजन की विधि से पूर्व यह अवश्य जान लेना चाहिए की भगवत कृपा उसी को प्राप्त होती है जो ऐसे स्थान पर दूसरों का भी अपने समान ही ध्यान रखे |
सिद्धपीठ या तीर्थ स्थलों:-
सिद्धपीठ या तीर्थ स्थलों में जब भी पूजा करने पहुंचें तो यह ध्यान रहे कि आपके पीछे पूजा करने वालों की भारी भीड़ है और सभी को समय से पूजा करनी है | इसी परहित ख्याल है जो वैद्यनाथ धाम व पुरा महादेव मंदिर में कांवड़ियों को दूर से ही कांवड़ चढाने की प्रेरणा देता है | चंडी देवी ,मनसा माता ,कोलकाता की माँ काली ,वैष्णो देवी ,चिंतपूर्णी एवं ज्योतिर्लिंगों के दर्शन-पूजन करने जाने वालों को ,बाला जी के दर्शनार्थियों को ,दूर से से ही दर्शन कर पूजन –सामग्री पुजारियों को देकर ही सन्तोष प्राप्त करना पड़ता है कि हमारी पूजा स्वीकार हो गई और देव कृपा से उनकी मनौती भी पूर्ण होती है | जिस देव की जहाँ पूजा हो रही है उस स्थान विशेष के विधान का पालन भी अवश्य होना चाहिए तभी पूजा भी फलित होगी |
भगवान् दूधेश्वर के भक्त:-
भगवान् दूधेश्वर के भक्त भाग्यशाली हैं कि उन्हें गर्भगृह में प्रवेश सुलभ है तथा वहाँ भगवान् दूधेश्वर महादेव की पूजा स्वयं करने की सुविधा मिलती है | अब भक्तों का भी यह कर्तव्य है कि वे दुसरे भक्तों को भी पूजा-अर्चना करने में सहयोग दें | कम-से-कम समय में दूधेश्वर भगवान् का पूजन-अर्चन करके वे मुख्य मंदिर से बाहर निकलते चलें तो दुसरे श्रद्धालु भी समय से पूजा के सुअवसर का लाभ पा सकेंगे |
मुख्य –मंदिर में जल-फूल:-
मुख्य –मंदिर में जल-फूल –दक्षिणा आदि अर्पण कर ;धुपबत्ती .ध्यान ,स्तुति-पाठ आदि धूने या अन्य नियत स्थान या शिव –विग्रह के पास करना अधिक एकाग्रता से सम्भव हो सकेगा | पूजा में शान्ति का विशेष महत्त्व बताया गया है और इसीलिये भगवान् दूधेश्वर महादेव के मुख्य मंदिर में सूक्ष्म –पूजा का विधान बनाया गया है | पूजा –विधि को पूरी तरह अपनाकर श्रद्धालुओं को मनोवांछित फल प्राप्त हो इसी प्रार्थना के साथ विधि -क्रम पूजा के विवरण सहित निम्न प्रकार से है–
- दूधेश्वर नाथ महादेव के मुख्य मंदिर के बाहर विराजमान नन्दी प्रतिमा को केवल प्रणाम निवेदन करें ,उन पर दूध-जल-फल-फूल आदि न चढ़ाये |
- मंदिर में प्रवेश कर क्रम से श्री गणेश ,माता पार्वती एवं कार्तिकेय की पूजा करें ;इसके बाद भगवान् दूधेश्वर का दूध ,जल से अभिषेक करें ,फूल-फल-मिष्ठान्न –नारियल व दक्षिणा चढ़ाएं | पूजा में दक्षिणा का विशेष महत्त्व है |यज्ञ –पत्नी दक्षिणा के बिना कोई भी पूजा पूर्ण नहीं मानी जाती |
- गणेश जी की पूजा ‘श्री गणेशाय नम:’ मन्त्र से करें | पार्वती माता की पूजा ‘श्री पार्वत्यै नम: के साथ करें | कार्तिकेय की पूजा ‘श्री कर्तिकेयाय नम:’ से करें | भगवान् दूधेश्वर की पूजा ‘नम:शिवाय ,शिवाय नम: अथवा श्री दुधेश्वराय नम:’ से करें |
- शिव परिवार को प्रणाम कर मंदिर से बाहर आ जायें |
- मुख्य मंदिर के निकास द्वार के पास नियत स्थान पर ही धूपबत्ती –दीपक व अगरबत्ती जलायें मंदिर के बाईं ओर सिद्ध –संतों की समाधियों पर भी दूध-जल-फल-फूल एवं दक्षिणा अर्पण करें | मन्त्र है —-‘नम: शिवाय’ | पीपल पर जल चढ़ायें |भगवान सूर्य नारायण को जल अर्पण करें |
- माता गंगा जी की पूजा ‘श्री गंगायै नम:’ से करें |
- गुरु-गददी धूना की पूजा ‘श्री गुरुवे नम:’ से करें |भगवान् दत्तात्रेय की पूजा ‘श्री दत्तात्रेयाय नम: से करें |
- माता भगवती की पूजा ‘नम:शिवायै या शिवायै नम: से करें |
- ठाकुरद्वारे में श्री लक्ष्मी-गणेश जी की पूजा ‘श्री लक्ष्म्यै नम:,श्री गणेशाय नम: ‘ से करें |
- माता अन्नपूर्णा जी की पूजा ‘श्री अन्नपूर्णायै नम: ‘मन्त्र से करें |
- महामाया बगलामुखी की पूजा ‘श्री बगलामुख्यै नम:’ मन्त्र से करें |
- ’श्री गुरु द्रोणाय नम: से गुरु द्रोणाचार्य की पूजा करें |
- ’श्री शंकराचार्याय नम: ‘से आद्य गुरु शंकराचार्य जी की पूजा करें
- ’श्री गौरी गिरिये नम:’ से परम पूज्य ब्रह्मलीन श्रीमहंत गौरी गिरी जी महाराज का पूजन करें.
- ’श्री परशुरामाय नम:’ से भगवान् परशुराम जी का पूजन करें |
- श्री गौतमाय नम:’ से महर्षि गौतम जी का पूजन करें |
- श्री सत्य नारायणाय नम: ‘मन्त्र से भगवान् सत्यनारायण जी का पूजन करें |
- प्राचीन कुआँ की पूजा-परिक्रमा ‘श्री भवाय नम: या वरुणाय नम:’मन्त्र से करें |
- श्री दुर्गायै नम:’मन्त्र से भगवती दुर्गा माँ की पूजा तथा परिक्रमा करें |
- श्री राधाकृष्णाभ्याम नम:’ से श्री राधा-कृष्ण की पूजा –परिक्रमा करें |
- श्री राम –दरबार की पूजा ‘श्री हनुमते नम:,श्री लक्ष्मणाय नम:,श्री सीतारामाभ्याम नम:’ से करें | परिक्रमा भी करें |
- श्री हनुमते नम:’ से श्री हनुमान जी का पूजन करें |
- वेद माता श्री गायत्री जी की पूजा ‘श्री गायत्र्यै नम: से करें |
- श्री महाकाली माता की पूजा ‘श्री कालिकायै नम:’ से करें|
- ‘श्री गणेशाय नम:,श्री पार्वत्यै नम:,श्री शंकराय नम:’ से सपरिवार शंकर-पूजन करें |
- ‘ऐं सरस्वत्यै नम:’मन्त्र से माता सरस्वती जी का पूजन करें |
- ‘श्री संतोषी देव्यै नम:’ से माँ संतोषी जी की पूजा करें |
- ‘हं हनुमते नम:’ से हनुमान जी महाराज का पूजन करें |
- गददी से प्रसाद-चरनामृत लेकर नवग्रह मंदिर में पूजा के लिये जायें | ‘श्री गणेशाय नम:’से गणेश जी का पूजन कर नवग्रह की पूजा करें |
- नवग्रह की पूजा ‘ह्रीं सूर्याय नम:,सों सोमाय नम:, अं अंगारकाय नम:या मं मंगलाय नम:, बुं बुधाय नमः ,ब्रं ब्रह्स्पत्ये नमः ,शुं शुक्राय नमः ,शं शनेश्चराय नमः ,रां राहवे नमः व कें केतवे नमः ‘मन्त्रों से करें | नौ- ग्रहों की कम-से-कम नौ परिक्रमा अवश्य करें |
- गौशाला में गौ-माता के दर्शन करके घर जायें | गौ-माता के दूध से ही भगवान् दूधेश्वर प्रकट हुए हैं ,अत: भगवान् दूधेश्वरनाथ महादेव की पूजा का पूर्ण फल प्राप्त करने के लिये गौ-दर्शन अवश्य करें |