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श्री पंच दशनाम जूना अखाड़ा का अद्भुत प्रयास कटने से बचेंगे 26 बड़े पेड़?

श्री पंच दशनाम जूना अखाड़ा की अद्भुत पहल पर्यावरण की रक्षा के साथ साथ परंपरा पूर्ण धर्म ध्वजा का भी मान रखा . धर्म के नाम पर कई लोग अपने हित का सोच मानवता के हित को पीछे छोड़ देते है। लेकिन श्री पंच दशनाम जूना अखाड़ा की ये प्रेरणा दायक प्रयास हम सभी को सिख देती है। अगर सबके हित की भावना हमारे अंदर होगी तो कैसे हम धर्म की भी रक्षा करते हुए मानवता की रक्षा कर सकते है। आयी जानते है इसके बारे में।

श्रीमहंत नारायण गिरि जी (प्रवक्ता जूना अखाड़ा) के द्वारा सम्पूर्ण जानकारी:-

श्री गुरु दत्तात्रेय विजय तेतराम्

श्री महंत हरी गिरी जी महाराज संरक्षक श्री पंच दशनाम जूना अखाड़ा अंतर्राष्ट्रीय महामंत्री अखाड़ा परिषद जी महाराज ने कहा है कि इस बार पर्यावरण संरक्षक के लिए पर्यावरण की रक्षा के लिए ( kumbh 2021) कुंभ में धर्म ध्वजा में हम लकड़ी का उपयोग नहीं करेंगे स्टील का पाइप लगाएंगे.

श्री महंत हरी गिरी जी

जूना अखाड़ा परंपरा:-

अखाड़े नगर प्रवेश के बाद अपनी धर्म ध्वजा छावनियों में स्थापित करते आये हैं जिसके लिए एक विशेष कद-काठी के पेड़ के तने को जंगल से काटकर लाया जाता रहा है, लेकिन इस बार पेड़ों को बचाने के लिए सदियों पुरानी यह परंपरा बदलने जा रही है। इन बार धर्मध्वजा के लिए पेड़ों को नहीं काटा जाएगा, बल्कि स्टील के बड़े पोल पर पूजा-अर्चना कर धर्म ध्वजा ससम्मान स्थापित की जाएगी। अखाड़ों की छावनियों में स्थापित होने वाली धर्म ध्वजाओं को लगाने के लिए 108 फीट से 151 फीट तक की लकड़ी का प्रयोग किया जाता रहा है।

जिसे आसपास के जंगलों से काटकर लाया जाता है। लेकिन इस बार जूना, अग्नि और आह्वान अखाड़े ने पेड़ों का कटान न करने का एक बड़ा संदेश देने के लिए सदियों पुरानी परंपरा को बदलने का निर्णय लिया है जिसमें कई अन्य अखाड़े भी साथ आ रहे हैं। मेला प्रशासन को इन अखाड़ों ने धर्म ध्वजा स्थापित करने के लिए हाईमास्ट लाइट वाले पोल स्थापित करने को कहा है जिसकी ऊंचाई अखाड़े अपने हिसाब से बताएंगे। इस पोल पर रोशनी की पर्याप्त व्यवस्था के साथ पूरे साल अखाड़े का ध्वज लहराएगा। इस पोल पर अच्छी किस्म का गेरुआ रंग करने को कहा गया है। 

कटने से बचेंगे 26 बड़े पेड़:-

कुंभ(kumbh 2021) के दौरान अखाड़े अपनी परंपरा के अनुसार धर्म ध्वजा की ऊंचाई रखते हैं जिसके लिए उसी ऊंचाई के पेड़ों को काटकर जंगल से मंगवाया जाता है। हर बार 26 पेड़ों को काटा जाता है जिन्हें बड़ा होने में दो दशक से अधिक का समय लगता है।

किसी भी पेड़ को निशान स्थापित होने लायक बनने में करीब 25 साल लगते हैं और कुंभ में इन बड़े वृक्षों को काट दिया जाता है। पर्यावरण की रक्षा के लिए इस बार इन पेड़ों की जगह पाइप पर ससम्मान ध्वजा स्थापित करने का विचार है जिसके लिए कई अखाड़े फिलहाल राजी हैं। बस सरकार पोल पर लगने वाले ध्वज के सम्मान में कोई कमी न रखे।  

श्रीमहंत नारायण गिरि प्रवक्ता जूना अखाड़ा

मीडिया कवरेज:-

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