कार्तिक मास की पूर्णिमा जैसे पावन पर्व के महत्व को तो सभी सनातनी जानते हैं, लेकिन तीनों लोकों से न्यारी काशी में यह पर्व देवताओं की दीपावली के तौर पर …
कार्तिक मास-देवताओं की दीपावली
इस दिन देवताओं का पृथ्वी पर आगमन होता है और उनके स्वागत में धरती पर दीप जलाये जाते हैं। शास्त्रों के अनुसार संध्या के समय शिव-मन्दिर में भी दीप जलाये जाते हैं। शिव मन्दिर के अलावा अन्य मंदिरों में, चौराहे पर और पीपल के पेड़ व तुलसी के पौधे के नीचे भी दीये जलाए जाते हैं।
दीपक जलाने के साथ ही भगवान शिव के दर्शन करने और उनका अभिषेक करने की भी परंपरा है । ऐसा करने से व्यक्ति को ज्ञान और धन की प्राप्ति होती है। साथ ही स्वास्थ्य अच्छा रहता है और आयु में बढ़ोतरी होती है।
इस माह में ब्रह्मा, विष्णु, शिव, अंगिरा और आदित्य आदि ने महापुनीत पर्वों को प्रमाणित किया है। इसके साथ ही इस माह में उपासना, स्नान, दान, यज्ञ आदि का भी अच्छा परिणाम मिलता है।
गुरुदेव नानक देव जयंती:-
गुरुदेव नानक देव सिख धर्म के संस्थापक और सबसे पहले गुरू थे। उनकी जयंती को सिख धर्म में प्रकाश पर्व या गुरू परब के नाम से मनाया जाता है। ये सिख धर्म के सबसे बड़े त्योहारों में से एक है। इस दिन सुबह प्रभात फेरियां निकाली जाती हैं और गुरू द्वारों में सबद कीर्तन का आयोजन होता है। लोग अपने घरों और गुरूद्वारों को रोशनी से सजाते हैं और शहर भर में लंगरों लगाए जाते हैं। गुरू नानक जयंति या गुरू परब कार्तिक मास की पूर्णिमा तिथि को मानाई जाती है।
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