!! श्री दत्तात्रेयो विजयतेतराम् !!
प्रयागराज माघ मेला पंचकोसी परिक्रमा-द्वितीय दिवस:-
प्रयागराज माघ मेला पंचकोसी परिक्रमा में द्वितीय दिवस यात्रा प्रातः काल त्रिवेणी संगम तट पर आचमनी लेकर यात्रा प्रारम्भ हुई जिसमें प्रथम शंख माधव में दर्शन पूजन हुआ ,
दुर्वासा ऋषि आश्रम:- में महर्षि दुर्वासा के दर्शन पूजन भगवान शिव का अभिषेक पूजन किया कृपा अवतार श्री महर्षि दुर्वासा जी महाराज शिव स्वारूप साक्षात् दशम् रूद्र है महर्षि अत्रि एवं परमसती अनुसुइया के घनघोर तप के फलस्वरूप स्वयं भगवान शिव ही दुर्वासा जी के रूप में दत्तात्रेय एवं चन्द्रमा के साथ अवतीर्ण हुये , मन्दिर में महर्षि दुर्वासा जी , शिवलिंग,पार्वती एवं गणेश जी की प्रतिमाए स्थापित है ,
श्री पंचदशनाम जूना अखाड़ा का कुम्भ मेला पेशवाई स्थान रोकड़िया हनुमान मन्दिर रामापुर प्रयाग क्षेत्र में हनुमान जी के दर्शन पूजन ,पाण्डेश्वर नाथ महादेव मन्दिर में दर्शन पूजन :-किवदन्ति के अनुसार महाभारत काल में पाण्डवों के अज्ञात वास के दौरान लाक्षागृह जाते समय रात्री विश्राम के लिये साफ सफाई करते समय यह शिवलिंग दिखाई दिया उत्सुकता वश खुदाई में कहीं इस शिवलिंग का अन्त नहीं मिला यह अनन्त है इसको स्वीकार कर पाण्डवों ने अपना नाथ स्वीकार किया इसलिए इनका नाम पाण्डेश्वर नाथ नाम पड़ा ,इस मठ के निहंग महन्त बाबा श्याम गिरि जी महाराज जी की जीवित समाधी है ,
प्राचीन नाग वासुकी नाथ के दर्शन पूजन :-यह मन्दिर नागराज वासुकी को समर्पित है इनकी गणना प्रयाग के प्रमुख देवो में की जाती है पुराणों के अनुसार देश एवं असुरो द्वारा किये आते सागर मंथन में मथनी बने मंदराजचल पर्वत के चारों ओर रस्सी के रूप में नागराज वासुकी ने अपने को प्रयुक्त होने हेतु समर्पित किया था स्कन्द पुराण में इस स्थान को पृथ्वी पर नागहृद तीर्थ कहा गया है , प्रतिवर्ष नाग पंचमी के दिन यहां पर विशाल मेले का आयोजन होता है ऐसी मान्यता है कि गंगा स्नान के बाद नाग वासुकी मन्दिर में दर्शन से पापों का नाश होता है तथा काल में सर्पदोष सदा सदा के दिनेश समाप्त हो जाता है ,
असि माधव दर्शन पूजन :- श्री असि माधव भगवान प्रयाग के ईशान भाग में नाग वासुकी मन्दिर के पास निवास करते हैं ,इनके दर्शन एवं पूजन सी तीर्थ उपद्रवकारी तत्वों का नाश होता है तथा यह अपने भक्तजनों की रक्षा करते हैं ,
माता आरोपी शंकरी देवी पूजन दर्शन :-अलोपी देवी की कथा की बार करें तो यह हमे उस समय ले जाती है जब देवी सती ने अपने पिता दक्ष के विरुद्ध जाकर भगवान शिव से विवाह किया था। उनके विवाह के कुछ समय पश्चात दक्ष ने एक यज्ञ का आयोजन किया जिसमे उन्होंने शिव जी को अपमानित करने के लिए उन्हें छोड़कर बाकी सभी देवी देवतायों को आमंत्रित किया। लेकिन उसके बाबजूद देवी सती उस यज्ञ में पहुच जाती है जहाँ उनको और शिव जी को आपमान क्या जाता है और अपने पति के खिलाफ अपने पिता के शब्दों को बर्दाश्त करने में सक्षम नहीं होने पर देवी सती उसी अग्नि कुंड में कूदकर अपने प्राण त्याग दे देती है,लेकिन जब इस घटना की सूचना शिव जी को मिलती है तो वह दुखी और क्रोधित हो जाते है और वीरभद्र को पैदा करके संहार करते हुए दक्ष का वध कर देते है। उसके बाद देवी सती के मृत शरीर को लेकर तांडव करने लगते है जिससे ब्रम्हांड पर सर्वनाश का खतरा मडराने लगता है। इसी से चिंतित होकर भगवान विष्णु अपने सुदर्शन चक्र से देवी सती के मृत शरीर के टुकड़े कर देते है जो जाकर धरती के अलग अलग हिस्सों में गिरते है। और बाद में देवी सती के शरीर के गिरे उन्हें टुकडो वाली जगहों पर उनके सम्मान में एक शक्ति पीठ का निर्माण किया गया था। माना जाता है जिस स्थान पर यह मंदिर स्थापित है इस स्थान पर देवी सती के शरीर के हिस्से का अंतिम भाग गिरा था।
जंगम वाडी मठ राजेश्वर महादेव में पूजन नगर देवता वेणीमाधव में दर्शन पूजन :-सृष्टिकर्ता ब्रह्मा ने सृष्टि कार्य पूर्ण होने के बाद प्रयाग में प्रथम यज्ञ किया था ,पुराणों के अनुसार प्रयाग सभी तीर्थों का उद्गम है इस पावन नगरी के अधिष्ठाता भगवान श्री विष्णु स्वयं है और वे यहां भगवान वेणी माधव रूप में विराजमान हैं भगवान विष्णु के प्रयाग में 12 स्वारूप विराजमान हैं जिन्हे द्वादश माधव कहा जाता है जिसमें से भगवान श्री वेणी माधव प्रयाग के प्रधान देवता माने गये है ,क्योंकि इनका निवास गंगा जमुना और सरस्वती नदियों के संगम से बने त्रिवेणी क्षेत्र के मध्य में स्थित है ,संगम स्नान पर्यंत भगवान वेणीमाधव श्री वेणी माधव जी का दर्शन करने से ही पूर्ण पुण्य की प्राप्ति होती है ,ऐसी मान्यता पुराणों और रामचरित मानस में वर्णित है इस प्राचीनतम मन्दिर के प्रांगण में श्री चैतन्य महाप्रभु जी वेणी माधव जी का दर्शन करते हुये संकीर्तन एवं नृत्य किया करते थे ।
सायंकाल त्रिवेणी संगम पर दर्शन करके आचमनी लेकर द्वितीय दिवस परिक्रमा विश्राम हुआ,
यात्रा विशेष रूप से श्रीपंचदशनाम जूना अखाड़ा के अन्तर्राष्ट्रीय संरक्षक श्रीमहन्त हरि गिरि जी महाराज महामंत्री अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद् के पूर्ण प्रयास व नेतृत्व से यात्रा चल रही है ,अध्यक्षता श्रीमहन्त प्रेम गिरि जी महाराज अन्तर्राष्ट्रीय अध्यक्ष श्रीपंचदशनाम जूना अखाड़ा, जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी नरेंद्रानंद सरस्वती जी महाराज काशी सुमेरु पीठ ,संयोजक अन्तर्राष्ट्रीय प्रवक्ता श्रीमहन्त नारायण गिरि जी महाराज दूधेश्वर पीठाधीश्वर गाजियाबाद,श्रीमहन्त आनन्द पुरी जी महाराज, मंत्री श्रीमहन्त राम गिरि जी ,मंत्री प्रयागराज चेतन पुरी जी , आनन्देश्वर मठ कानपुर थानापति अरूण भारती जी ,जूना अखाड़ा के सलाहकार मुन्नी लाल पाण्डेय जी मेला प्रसासन की ओर चण्डिका प्रसाद जी,पी एन द्विवेदी जी ,सिटी मजिस्ट्रेट, , किन्नर अखाड़ा के महामण्डलेश्वर भावानी शंकर गिरि जी , महामण्डलेश्वर पवित्रा गिरि जी ,एवं अन्य किन्नर अखाड़ा के सन्त ,आवाहन अखाड़ा ,निरंजनी अखाड़ा,जूना अखाड़ा,अखाड़ा परिषद के सन्तों की उपस्थिति में यात्रा पूर्ण हुई यात्रा में विशेष सहयोग पुलिस प्रसासन ,मेला प्रशासन ,जिला प्रसासन का पूर्ण सहयोग से यात्रा भव्य रूप से चल रही है ।
हर हर महादेव
विश्व संवाद सम्पर्क सचिव अमित कुमार शर्माश्री दूधेश्वरनाथ महादेव मठ मन्दिरगाजियाबाद उत्तर प्रदेश