जय दूधेश्वर महादेव
(शारदीय नवरात्रि 2022 चतुर्थ दिवस)
सुरासम्पूर्णकलशं रुधिराप्लुतमेव च। दधाना हस्तपद्माभ्यां कुष्मांडा शुभदास्तु मे।।
आज मां भगवती जगद् जननी मां जगदम्बा के चतुर्थ स्वरूप मां कूष्मांडा का पूजन पूज्य गुरुदेव श्रीमहन्त नारायण गिरि जी महाराज श्री दूधेश्वर पीठाधीश्वर गाजियाबाद अन्तर्राष्ट्रीय प्रवक्ता श्रीपंचदशनाम जूना अखाड़ा के अध्यक्षता एवं सा साान्निध्य में सिद्धपीठ श्री दूधेश्वर नाथ महादेव मठ मन्दिर गाजियाबाद में मां भगवती का पूजन श्री दुर्गासप्तशती का पाठ नवार्ण मंत्र का जाप आचार्य नित्यानंद जी एवं दूधेश्वर वेद विद्यालय के छात्रों द्वारा चल रहा है ,साथ ही दूधेश्वर मठ की शाखा प्राचीन सिद्ध पीठ बाला त्रिपुरा सुन्दरी देवी मन्दिर दिल्ली गेट में महन्त गिरिशा नन्द गिरि जी के आयोजन में पं राम मनोहर अग्निहोत्री जी एवं अन्य ब्राह्मणों द्वारा पाठ पूजन जाप हवन यज्ञ चल रहा है ,
नित्यानंद आश्रम श्रीधाम वृन्दावन में महन्त वी पी गिरि जी के आयोजन में आचार्य अमित कुमार शर्मा जी के द्वारा शतचंडी अनुष्ठान चल रहा है , कोटेश्वर महादेव मन्दिर गुडानाला सिवाना राजस्थान में पूज्य गुरुदेव श्रीमहन्त नारायण गिरि जी महाराज के पावन सान्निध्य एवं मुख्य आतिथ्य में योगीराज महन्त सत्यम गिरि जी के आयोजन में चल रहे शतचंडी महायज्ञ,श्रीमद् भागवत कथा में आज कथा प्रवक्ता श्री विचाराराम जी ने भागवत के बहुत मार्मिक प्रसंग उपस्थिति जनमानस को श्रवण कराया ,जसोल धाम बालोतरा बाड़मेर राजस्थान में माता राणी भटियाणी माता के चरणों में आचार्य अभिषेक जोशी जी के नेतृत्व में शतचंडी यज्ञ अनुष्ठान चल रहा है ,
साथ ही रानी रूपादे,रावल मल्लीनाथ जी की समाधी पालिया , नर्मदेश्वर महादेव,जसोल गढ़ में आचार्य तोयराज उपाध्याय जी , आचार्य विकास पाण्डेय जी,दीपक भट्ट जी , दीपांकर पाण्डेय जी के द्वारा मां भगवती का पूजन पाठ जप चल रहा है , विशेष रूप से महाराज श्री का नवरात्रि अनुष्ठान रानी भटियानी माता के चरणों में चल रहा है ,जिसके यजमान एवं आयोजक रावल किशन सिंह जी,कुंवर हरिश्चन्द्र सिंह जी महाराज श्री के सान्निध्य में अनुष्ठान में भाग लेकर धर्मलाभ प्राप्त कर रहे हैं ,चतुर्थ स्वरूप मां कूष्मांडा:-नवरात्रि में चौथे दिन देवी को कुष्मांडा के रूप में पूजा जाता है। अपनी मंद, हल्की हंसी के द्वारा अण्ड यानी ब्रह्मांड को उत्पन्न करने के कारण इस देवी को कुष्मांडा नाम से अभिहित किया गया है। जब सृष्टि नहीं थी, चारों तरफ अंधकार ही अंधकार था,
तब इसी देवी ने अपने ईषत् हास्य से ब्रह्मांड की रचना की थी। इसीलिए इसे सृष्टि की आदिस्वरूपा या आदिशक्ति कहा गया है। इस देवी की आठ भुजाएं हैं, इसलिए अष्टभुजा कहलाईं। इनके सात हाथों में क्रमशः कमण्डल, धनुष, बाण, कमल-पुष्प, अमृतपूर्ण कलश, चक्र तथा गदा हैं। आठवें हाथ में सभी सिद्धियों और निधियों को देने वाली जप माला है। इस देवी का वाहन सिंह है और इन्हें कुम्हड़े की बलि प्रिय है। संस्कृत में कुम्हड़े को कुष्मांड कहते हैं इसलिए इस देवी को कुष्मांडा कहा जाता है,इस देवी का वास सूर्यमंडल के भीतर लोक में है। सूर्यलोक में रहने की शक्ति क्षमता केवल इन्हीं में है। इसीलिए इनके शरीर की कांति और प्रभा सूर्य की भांति ही दैदीप्यमान है। इनके ही तेज से दसों दिशाएं आलोकित हैं। ब्रह्मांड की सभी वस्तुओं और प्राणियों में इन्हीं का तेज व्याप्त है।
अचंचल और पवित्र मन से नवरात्रि के चौथे दिन इस देवी की पूजा-आराधना करना चाहिए। इससे भक्तों के रोगों और शोकों का नाश होता है तथा उसे आयु, यश, बल और आरोग्य प्राप्त होता है। ये देवी अत्यल्प सेवा और भक्ति से ही प्रसन्न होकर आशीर्वाद देती हैं। सच्चे मन से पूजा करने वाले को सुगमता से परम पद प्राप्त होता है। विधि-विधान से पूजा करने पर भक्त को कम समय में ही कृपा का सूक्ष्म भाव अनुभव होने लगता है। ये देवी आधियों-व्याधियों से मुक्त करती हैं और उसे सुख-समृद्धि और उन्नति प्रदान करती हैं। अंततः इस देवी की उपासना में भक्तों को सदैव तत्पर रहना चाहिए।
हर हर महादेव
विश्व संवाद सम्पर्क सचिवअमित कुमार शर्माश्री दूधेश्वर नाथ महादेव मठ मन्दिर गाजियाबाद उत्तर प्रदेश