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शारदीय नवरात्र 2022 अष्टम् दिवस हवन यज्ञ-पूज्य गुरुदेव श्रीमहन्त नारायण गिरि जी महाराज

जय दूधेश्वर महादेव

(शारदीय नवरात्र 2022 अष्टम् दिवस हवन यज्ञ)
श्वेते वृषे समारूढ़ा श्वेताम्बरधरा शुचिः। महागौरी शुभं दद्यान्महादेवप्रमोदया॥
शारदीय नवरात्रि के अवसर पर पूज्य गुरुदेव श्रीमहन्त नारायण गिरि जी महाराज श्री दूधेश्वर पीठाधीश्वर गाजियाबाद अन्तर्राष्ट्रीय प्रवक्ता श्रीपंचदशनाम जूना अखाड़ा के अध्यक्षता में एवं पावन सानिध्य में आयोजित पांच स्थानों पर शतचंडी यज्ञ अनुष्ठान में आज माजीसा धाम जसोल राणी भटियाणी माता के सम्मुख मन्दिर प्रांगण में स्थिति यज्ञशाला में  शतचंडी पाठ पूर्ण होने के उपरान्त प्रातः काल 9बजे से 12बजे तक पूज्य गुरुदेव ने कुंवर हरिश्चन्द्र सिंह जी उनकी लाडी सा के साथ हवन किया जो कि आचार्य अभिषेक जोशी जी एवं अन्य ब्राह्मणों ने पूर्ण विधि विधान से पूर्ण कराया जिसमें श्री दुर्गासप्तशती के 13 अध्याय नवार्ण मंत्र,श्री सूक्त से हवन करके पूर्णाहुति के साथ जसोल धाम शतचंडी यज्ञ अनुष्ठान सम्पन्न हुआ , दूधेश्वर वेद विद्यालय के प्राचार्य तोयराज उपाध्याय जी,विकास पाण्डेय जी ,शेषराज जी ,दीपक भट्ट, दीपांकर पाण्डेय एवं अन्य ब्राह्मणों के द्वारा नर्मदेश्वर महादेव मंदिर मे सोमवार के अवसर पर रूद्राभिषेक के उपरान्त शतचंडी पाठ समापन करके श्री दुर्गासप्तशती से नवार्ण मंत्र से हवन यज्ञ हुआ ,रांणी रूपादे पालिया में रात्रीकालीन वैदिक ब्राह्मणों द्वारा पूर्ण विधि विधान से शतचंडी पाठ सम्पन्न होने के उपरान्त सम्पूर्ण वैदिक विधि विधान से हवन यज्ञ पूज्य गुरुदेव के द्वारा कुंवर हरिश्चन्द्र सिंह जी के साथ दूधेश्वर वेद विद्यालय के आचार्यों द्वारा सम्पन्न हुआ ,

साथ ही श्रीधाम वृन्दावन में महन्त वी पी गिरि जी के मुख्य यजमान के रूप में उपस्थित में वैदिक ब्राह्मणों द्वारा  शतचंडी श्री दुर्गासप्तशती पाठ नवार्ण मंत्र जाप पूर्ण होने के उपरान्त रात्रीकाल हवन यज्ञ के साथ अनुष्ठान सम्पन्न हुआ , सिद्धपीठ श्री दूधेश्वर नाथ महादेव मठ मन्दिर गाजियाबाद में आचार्य नित्यानंद जी एवं छात्रों के द्वारा शतचंडी पाठ सम्पन्न करके महाराज श्री के शिष्य शिवानन्द गिरि जी के मुख्य यजमान के द्वारा चण्डी यज्ञ सम्पन्न हुआ , प्राचीन बाला त्रिपुरा सुन्दरी देवी मन्दिर दिल्ली गेट में महन्त गिरिशानन्द गिरि जी के द्वारा आयोजित एवं मुख्य यजामान के रूप में चल रहे शतचंडी अनुष्ठान में आज श्री दुर्गासप्तशती के 100 पाठ पूर्ण होने के उपरान्त पं राम मनोहर अग्निहोत्री जी एवं अन्य ब्राह्मणों द्वारा हवन यज्ञ श्री दुर्गासप्तशती से सम्पन्न हुआ ,जसोल गढ़ में रावल किशन सिंह जी के द्वारा यज्ञ सम्पन्न हुआ , कोटेश्वर महादेव मन्दिर गुडानाल सिवाना में योगीराज महन्त सत्यम गिरि जी महाराज के द्वारा आयोजित शतचंडी यज्ञ अनुष्ठान पूज्य गुरुदेव श्रीमहन्त नारायण गिरि जी महाराज के पावन सानिध्य एवं अध्यक्षता में आज हवन यज्ञ के साथ सम्पन्न हुआ ,इस वर्ष शारदीय नवरात्र पूज्य गुरुदेव के अध्यक्षता एवं सानिध्य में 8 स्थानो पर हुआ आज हवन यज्ञ के साथ शतचंडी यज्ञ अनुष्ठान सम्पन्न हुआ कल कन्या पूजन होगा ।

महागौरी : नवरात्रि में आठवें दिन महागौरी शक्ति की पूजा की जाती है। नाम से प्रकट है कि इनका रूप पूर्णतः गौर वर्ण है। इनकी उपमा शंख, चंद्र और कुंद के फूल से दी गई है। अष्टवर्षा भवेद् गौरी यानी इनकी आयु आठ साल की मानी गई है। इनके सभी आभूषण और वस्त्र सफेद हैं। इसीलिए उन्हें श्वेताम्बरधरा कहा गया है। 4 भुजाएं हैं और वाहन वृषभ है इसीलिए वृषारूढ़ा भी कहा गया है इनको। इनके ऊपर वाला दाहिना हाथ अभय मुद्रा है तथा नीचे वाला हाथ त्रिशूल धारण किया हुआ है। ऊपर वाले बाँये हाथ में डमरू धारण कर रखा है और नीचे वाले हाथ में वर मुद्रा है। इनकी पूरी मुद्रा बहुत शांत है। पति रूप में शिव को प्राप्त करने के लिए महागौरी ने कठोर तपस्या की थी। इसी वजह से इनका शरीर काला पड़ गया लेकिन तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने इनके शरीर को गंगा के पवित्र जल से धोकर कांतिमय बना दिया। उनका रूप गौर वर्ण का हो गया। इसीलिए ये महागौरी कहलाईं।ये अमोघ फलदायिनी हैं और इनकी पूजा से भक्तों के तमाम कल्मष धुल जाते हैं। पूर्वसंचित पाप भी नष्ट हो जाते हैं। महागौरी का पूजन-अर्चन, उपासना-आराधना कल्याणकारी है। इनकी कृपा से अलौकिक सिद्धियां भी प्राप्त होती हैं।हवन यज्ञ:-नवरात्र की अष्टमी तिथि को मां दुर्गा की पूजा के बाद हवन करने का विधान है। शास्त्रों में बताया गया है कि हवन में दिए गए हविष्य को अग्नि देव जिस देवता के नाम से हवन किया जाता है उन तक उनका अंश पहुंचा देते हैं। हवन से संतुष्ट होकर देवी-देवता भक्तों की मनोकामना पूर्ण करते हैं। इतना ही नहीं हवन से जहां भी हवन किया जाता है उसके आस-पास के क्षेत्र भी जहां तक हवन का धुआं पहुंचता है वह शुद्ध और पवित्र हो जाता है। इसलिए प्राचीन काल में ऋषि मुनि नियमित हवन किया करते थे। आज के जमाने में ऐसा कर पाना हर किसी के लिए संभव नहीं है ऐसे में नवरात्र की अष्टमी  तिथि को हवन करने भी बहुत ही शुभ फल मिलता है। इस दिन किया गया हवन भक्तों की कामना को पूर्ण करके आरोग्य प्रदान करता है।


   हर हर महादेव
विश्व संवाद सम्पर्क सचिवअमित कुमार शर्माश्री दूधेश्वर नाथ महादेव मठ मन्दिर गाजियाबाद उत्तर प्रदेश

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