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सूर्य ग्रहण के अवसर पर 13 अखाड़ों के सभी सन्त महात्माओ ने बेल तीर्थ पार्वती सरोवर त्र्यंबकेश्वर नाशिक महाराष्ट्र में

जय दूधेश्वर महादेव 
सूर्य ग्रहण के अवसर पर 13 अखाड़ों  के सभी सन्त महात्माओ ने बेल तीर्थ पार्वती सरोवर त्र्यंबकेश्वर नाशिक महाराष्ट्र में 3:30 बजे मध्यान्ह स्नान पूजन जाप किया ,नील गिरि पर्वत श्रीपंचदशनाम जूना अखाड़ा से सूर्यकान्त भाला देवता को लेकर सन्त लोगो ने शोभायात्रा निकाली गई जो कि अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के महामंत्री श्रीमहन्त हरि गिरि जी महाराज अन्तर्राष्ट्रीय संरक्षक श्रीपंचदशनाम जूना अखाड़ा के नेतृत्व एवं अध्यक्षता में सूर्य ग्रहण के अवसर पर यात्रा एवं स्नान जाप हुआ ,साथ ही अन्तर्राष्ट्रीय प्रवक्ता श्रीमहन्त नारायण गिरि जी महाराज श्री दूधेश्वर पीठाधीश्वर गाजियाबाद अध्यक्ष हिन्दू युनाइटेड हिन्दू फ्रंट नई दिल्ली,आनन्द अखाड़ा के श्री महन्त शंकरानन्द सरस्वती जी ,गिरिजानन्द सरस्वती जी ,देवराज पुरी जी , जूना अखाड़ा के समस्त पदाधिकारी सन्त गणो ने नीलगिरी पर्वत जूना अखाड़ा से पदयात्रा प्रारम्भ करके बेल तीर्थ पार्वती सरोवर पर स्नान करके जाप किया ,

जूना अखाड़ा के पुरोहित त्रिविक्रम जोशी जी ने पूजन करवाया ,मन्दिर ट्रस्ट के सदस्यों ने 13 अखाड़ों के सन्तों के साथ 2  घंटे तक जाप किया 6:32 पर ग्रहण पारायण होने पर स्नान करके दत्त भगवान मन्दिर में जाकर सूर्य प्रकाश भाला देवता को स्थापित किया , तदोपरान्त सन्तों ने श्रीमहन्त हरि गिरि जी के साथ नीलकंठ महादेव,नीलाम्बिका माता , नवदुर्गा दंश महाविद्या का पूजन किया ।

ग्रहण के अवसर पर जाप करने के लाभ :-” सूर्य ग्रहण से सीख “* सूर्य ग्रहण का पर्व मानव जीवन को तीन प्रमुख सीखें प्रदान करता है। पहली – इस सृष्टि में सब कुछ परिवर्तनशील है। इस भू मण्डल पर शाश्वत जैसा कुछ भी नहीं। समस्त चराचर जगत को प्रकाशित करने वाले सूर्य देव की किरणों को भी कुछ समय के लिए ही सही मगर पृथ्वी तक पहुँचने में असमर्थता हो जाती है अथवा पृथ्वी से सूर्य किरणों का ह्रास हो जाता है। दूसरी – जीवन में सदैव अवरोध आते रहेंगे। यात्रा जितनी लंबी होगी अथवा लक्ष्य जितना श्रेष्ठ होगा अवरोध भी उतने ही उत्पन्न होंगे। बस उन क्षणों में धैर्य का परिचय देते हुए ये विचार करें कि जब सुख ही शाश्वत नहीं रहा तो दुख की क्या औकात है..? समय बुरा हो सकता है मगर जीवन कदापि नहीं। ये वक्त भी गुजर जायेगा, बस इतना ध्यान रहे। तीसरी –  एक महत्वपूर्ण बात और वो ये कि जिस प्रकार सूर्य ग्रहण लगने पर भी मूल रूप से भगवान सूर्य नारायण में कोई परिवर्तन नहीं आता। दूर से देखने पर लगेगा कि सूर्य पर अंधेरा छा गया है जबकि यथार्थ में सूर्य की स्थिति सम बनी रहती है। ऐसे ही जीवन के सुख – दुख, मान – अपमान, अनुकूलता – प्रतिकूलता एवं यश – अपयश में आत्मा भी निर्लेप ही रहती है। जीवन में बाहरी स्थितियाँ अवश्य परिवर्तनशील हैं मगर आत्मा सदैव इन सब से परे अपनी आनंद अवस्था में ही रहती है। बस हमारी दृष्टि बदल जाए और ये भीतर का शाश्वत आनंद हमारे जीवन में भी छलक पड़े। 
हर हर महादेव
विश्व संवाद सम्पर्क सचिवअमित कुमार शर्मा श्री दुधेश्वर नाथ महादेव मठ मन्दिर गाज़ियाबादउत्तर प्रदेश

1 Comment

  • Sandeep Suryawanshi
    October 26, 2022

    Har har Mahadev 🙏💐

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