Back to all Post

पौष पूर्णिमा सूर्य मास के अवसर पर तीर्थराज प्रयाग में नगर देवता वेणी माधव पूजन एवं नगर भ्रमण

जय दूधेश्वर महादेव
आज तीर्थराज प्रयाग उत्तर प्रदेश में द्वादश माधव में प्रमुख नगर देवता भगवान वेणी माधव जी शक्ति स्वरूपा मां लक्ष्मी जी रथ में विराजमान होकर नगर भ्रमण किया , विशेष रूप से पौष पूर्णिमा के अवसर पर श्रीपंचदशनाम जूना अखाड़ा के अन्तर्राष्ट्रीय संरक्षक श्रीमहन्त हरि गिरि जी महाराज महामंत्री अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्षता मुख्य आतिथ्य एवं दिशानिर्देश में वेणी माधव मन्दिर के महन्त महामण्डलेश्वर साध्वी वैभव गिरि जी महाराज के संयोजन में विशिष्ट अतिथि श्रीमहन्त नारायण गिरि जी महाराज श्री दूधेश्वर पीठाधीश्वर गाजियाबाद अन्तर्राष्ट्रीय प्रवक्ता श्रीपंचदशनाम जूना अखाड़ा एवं श्रीपंचदशनाम जूना अखाड़ा,जगद् गुरु रण्डी स्वामी महेशाआश्रम जी महाराज,महन्त शंकर आश्रम जी महाराज महामण्डलेश्वर जगद् गुरु,महन्त दण्डी स्वामी थानापति अभ्यागत सभी सन्तों पदाधिकारियों की उपस्थिति में वेणी माधव भगवान का पूजन करके भगवान को रथ में विराजमान करके बहुत धूम धाम भव्य रूप से नगर भ्रमण यात्रा का निकाली गई.

जिसमें कुम्भ मेला के एस एस पी डा राजीव नारायण मिश्रा जी सपत्नी उपस्थिति हुये ,अयोध्या के पूर्व आई जी एवं वर्तमान में विश्व हिन्दू परिषद के अध्यक्ष के पी सिंह जी ,नरेन्द्र जी , जूना अखाड़ा के सचिव महन्त चेतन पुरी जी ,प्रयागराज के व्यवसाई लोग वकील जज ,पुलिस प्रशासन जिला प्रशासन के अधिकारियों की उपस्थिति रही साथ भगवान वेणी माधव के भक्तो की विशाल उपस्थिति में यात्रा निकाली गई सायं काल त्रिवेणी संगम में वेणी माधव भगवान का स्नान दर्शन हुआ इसके साथ यात्रा पूर्ण हुई।वेणी माधव

भगवान:-त्रिवेणी माधवं सोमं भरद्वांज च वासुकीम्।वंदेक्षय वटं शेषं प्रयागं तीर्थनायकम्।।


इस श्लोक में माधव का संकेत भगवान वेणी माधव जी से है। जो इस महानगर के प्रधान देवता हैं। उक्त सातों तीर्थनायकों में इनका ही प्रमुख स्थान है। तीर्थराज प्रयाग में द्वादश अर्थात बारह माधव का वर्णन ग्रंथों में प्राप्त होता है जिनमें शंख माधव, चक्त्र माधव, गदा माधव, पद्म माधव, अनंत माधव, बिन्दु माधव, मनोहर माधव, असि माधव, संकटहरण माधव, विष्णु माधव, वटमाधव एवं वेणीमाधव का परिगणन होता है। इन सभी माधवों में भी भगवान वेणी माधव का विशेष महत्व है क्योंकि इनका निवास मध्यवेणी पर स्थित है। सभी माधवों के मध्य स्थल पर विराजमान वेणीमाधव जी को नगर का प्रधान देव स्वीकार किया जाता है।श्री वेणी माधव मंदिर के बारे में कहा जाता है, कि सृष्टिकर्ता ब्रह्मा ने सृष्टि कार्य पूर्ण होने के बाद प्रयाग में प्रथम यज्ञ किया था। पुराणों के अनुसार प्रयाग में सभी तीर्थों का उद्गम है। इस पावन नगरी की निर्माता भगवान श्री विष्णु स्वयं है और वह यहां भगवान श्री वेणी माधव के रूप में विराजमान है।

भगवान के प्रयाग में 12 स्वरूप विद्यमान है, जिन्हें द्वादश माधव कहा जाता है। जिनमें से भगवान श्री वेणी माधव प्रयाग के प्रधान देवता माने गए हैं, क्योंकि इनका निवास गंगा यमुना और सरस्वती नदियों के संगम से बने त्रिवेणी क्षेत्र के मध्य में स्थित है। संगम स्नान के बाद भगवान श्री वेणी माधव जी के दर्शन करने से ही पूर्ण पुण्य प्राप्त होता है। ऐसी मान्यता पुराणों एवं रामचरितमानस में वर्णित है। इस प्राचीनतम मंदिर के प्रांगण में चैतन्य महाप्रभु जी वेणी माधव जी के दर्शन करने हेतु संकीर्तन एवं नृत्य किया करते थे।पौष पूर्णिमा का महत्व :-हिंदू धर्म से जुड़ी मान्यता के मुताबिक, पौष सूर्य देव का माह कहलाता है. कहा जाता है कि इस मास में सूर्य देव  की आराधना से मनुष्य को मोक्ष की प्राप्ति होती है. इसलिए पौष पूर्णिमा के दिन पवित्र नदियों में  के पूजन से मनोकामनाएं पूर्ण होती है और जीवन में आने वाली बाधाएं दूर होती हैं. पौष पूर्णिमा के दिन काशी, प्रयागराज और हरिद्वार में गंगा स्नान का बड़ा महत्व होता है.  इस दिन पूजा, जप, तप और दान से न केवल चंद्र देव, बल्कि भगवान श्रीहरि की भी कृपा मिलती है. पूर्णिमा और अमावस्या को पूजा और दान करने से व्यक्ति के समस्त पाप कट जाते हैं।


   हर हर महादेव
विश्व संवाद सम्पर्क सचिवअमित कुमार शर्माश्री दूधेश्वर नाथ महादेव मठ मन्दिर गाजियाबाद उत्तर प्रदेश

Add Your Comment