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रूद्राभिषेक किसे कहते है ? भगवान शिव जी का रूद्राभिषेक विधि क्या है ?

!! ॐ श्री दुधेश्वराय नम: !!

भगवान शिव जी परम कल्याणकारी हैं। ये हम सभी जानते है, उनकी पूजा ,आराधना समस्त मनोरथ को पूर्ण करती है। धर्मशास्त्रों के मुताबिक भगवान सदाशिव का विभिन्न प्रकार से पूजन करने से विशिष्ठ लाभ की प्राप्ति होती हैं।

यजुर्वेद में बताये गये विधि से रुद्राभिषेक करना अत्यंत लाभप्रद माना गया हैं।

सावन और महाशिवरात्रि:-

सावन और महाशिवरात्रि पर शिव-आराधना करने से उनकी विशेष कृपा प्राप्त होती है। अधिकांश शिव भक्त इस दिन शिवजी का अभिषेक करते हैं।

अभिषेक शब्द का शाब्दिक अर्थ:- स्नान करना या कराना।

रुद्राभिषेक का मतलब है :- भगवान रुद्र का अभिषेक यानि कि शिवलिंग पर रुद्रमंत्रों के द्वारा अभिषेक करना।

रुद्राभिषेक:-

यह पवित्र-स्नान भगवान मृत्युंजय शिव को कराया जाता है। अभिषेक को आजकल रुद्राभिषेक के रुप में ही ज्यादातर जाना जाता है। अभिषेक के कई प्रकार तथा रुप होते हैं। रुद्राभिषेक करना शिव आराधना का सर्वश्रेष्ठ तरीका माना गया है। शास्त्रों में भगवान शिव को जलधाराप्रिय माना जाता है। रुद्राभिषेक मंत्रों का वर्णन ऋग्वेद, यजुर्वेद और सामवेद में किया गया है।

रुद्राभिषेक के बारे में और अधिक जाने:-

शिव जी को प्रसंन्न करने का सबसे श्रेष्ठ तरीका है रुद्राभिषेक करना अथवा श्रेष्ठ ब्राह्मण विद्वानों के द्वारा कराना। वैसे भी अपनी  जटा में गंगा को धारण करने से भगवान शिव को जलधाराप्रिय  माना गया है।

रुद्राभिषेक क्यों करते हैं? (Why do Rudrabhishek ):-

रुद्राष्टाध्यायी के अनुसार शिव ही रूद्र हैं और रुद्र ही शिव है। रुतम्-दु:खम्, द्रावयति-नाशयतीतिरुद्र:  अर्थात रूद्र रूप में प्रतिष्ठित शिव हमारे सभी दु:खों को शीघ्र ही समाप्त कर देते हैं। वस्तुतः जो दुःख हम भोगते है उसका कारण हम सब स्वयं ही है हमारे द्वारा जाने अनजाने में किये गए प्रकृति विरुद्ध आचरण के परिणाम स्वरूप ही हम दुःख भोगते हैं।

रुद्राभिषेक का आरम्भ कैसे हुआ ? :-

प्रचलित कथा के अनुसार भगवान विष्णु की नाभि से उत्पन्न कमल से ब्रह्मा जी की उत्पत्ति हुई। ब्रह्माजी जबअपने जन्म का कारण जानने के लिए भगवान विष्णु  के पास पहुंचे तो उन्होंने ब्रह्मा की उत्पत्ति का रहस्य बताया और यह भी कहा कि मेरे कारण ही आपकी उत्पत्ति हुई है। परन्तु  ब्रह्माजी यह मानने के लिए तैयार नहीं हुए और दोनों में भयंकर युद्ध हुआ। इस युद्ध से नाराज भगवान  रुद्र लिंग रूप में प्रकट हुए। इस लिंग का आदि अन्त जब ब्रह्मा और विष्णु को कहीं पता नहीं चला तो  हार मान लिया और लिंग का अभिषेक किया, जिससे भगवान प्रसन्न हुए।  कहा जाता है कि यहीं से रुद्राभिषेक का आरम्भ हुआ।

एक अन्य कथा के अनुसार –

एक बार भगवान शिव सपरिवार वृषभ पर बैठकर विहार कर रहे थे। उसी समय माता पार्वती ने मर्त्यलोक में रुद्राभिषेक कर्म में प्रवृत्त लोगो को देखा तो भगवान शिव से जिज्ञासा कि की हे नाथ मर्त्यलोक में इस इस तरह आपकी पूजा क्यों की जाती है? तथा इसका फल क्या है? भगवान शिव ने कहा – हे प्रिये! जो मनुष्य शीघ्र ही अपनी कामना पूर्ण करना चाहता है वह आशुतोषस्वरूप मेरा विविध द्रव्यों से विविध फल की प्राप्ति हेतु अभिषेक करता है। जो मनुष्य शुक्लयजुर्वेदीय रुद्राष्टाध्यायी से अभिषेक करता है उसे मैं प्रसन्न होकर शीघ्र मनोवांछित फल प्रदान करता हूँ। जो व्यक्ति जिस कामना की पूर्ति के लिए  रुद्राभिषेक करता  है  वह उसी प्रकार के द्रव्यों का प्रयोग करता है  अर्थात यदि कोई वाहन प्राप्त करने की इच्छा से रुद्राभिषेक करता है तो उसे दही से अभिषेक करना चाहिए यदि कोई रोग दुःख से छुटकारा पाना चाहता है तो उसे कुशा के जल से अभिषेक करना या कराना चाहिए।

रुद्राभिषेक से क्या क्या लाभ मिलता है ?:-

शिव पुराण के अनुसार किस द्रव्य से अभिषेक करने से क्या फल मिलता है अर्थात आप जिस उद्देश्य की पूर्ति हेतु रुद्राभिषेक करा रहे है उसके लिए किस द्रव्य का इस्तेमाल करना चाहिए का उल्लेख शिव पुराण में किया गया है आप से अनुरोध है की आप इसी के अनुरूप रुद्राभिषेक कराये तो आपको पूर्ण लाभ मिलेगा।

रुद्राभिषेक कैसे करे:-

जल से अभिषेक– हर तरह के दुखों से छुटकारा पाने के लिए भगवान शिव का जल से अभिषेक करें–

  • भगवान शिव के बाल स्वरूप का मानसिक ध्यान करें–
  • ताम्बे के पात्र में शुद्ध जल भर कर पात्र पर कुमकुम का तिलक करें–
  • ॐ इन्द्राय नम: का जाप करते हुए पात्र पर मौली बाधें–
  • पंचाक्षरी मंत्र ॐ नम: शिवाय” का जाप करते हुए फूलों की कुछ पंखुडियां अर्पित करें–
  • शिवलिंग पर जल की पतली धार बनाते हुए रुद्राभिषेक करें–
  • अभिषेक करेत हुए ॐ तं त्रिलोकीनाथाय स्वाहा मंत्र का जाप करें–
  • शिवलिंग को वस्त्र से अच्छी तरह से पौंछ कर साफ करें

दूध से अभिषेक

फलों का रस

सरसों के तेल से अभिषेक

चने की दाल

काले तिल से अभिषेक

शहद मिश्रित गंगा जल

घी व शहद

कुमकुम केसर हल्दी

क्या आप रुद्राभिषेक कराना चाहते है ?:-

देश के प्रमुख मठों में है एक(श्री दूधेश्वर नाथ मठ):-श्री दूधेश्वर नाथ मठ मंदिर में कई वैदिक आचार्य है जिनको गहन शिव जी के रुद्राभिषेक का ज्ञान है। और श्रद्धालु लोग रुद्राभिषेक करवाते रहते है। महाशिवरात्रि आने ही वाली है कहते है महाशिवरात्रि और सावन में रुद्राभिषेक करवाने से तुरंत ही लाभ होता है। अगर आप में से कोई करवाना चाहता हो या कुछ पूछना हो इससे संबंधित आप व्हाट्सप्प कर सकते है(ऊपर जाकर व्हाट्सएप्प आइकॉन पे क्लिक करे) या contact।

!! ॐ श्री दुधेश्वराय नम: !!

1 Comment

  • Mahesh Tyagi
    February 17, 2021

    !! ॐ श्री दुधेश्वराय नम: !!

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