वसंत पंचमी( Basant Panchami 2022) का त्योहार हिंदू धर्म में एक विशेष महत्व रखता है। इस दिन विद्या की देवी सरस्वती की पूजा की जाती है। यह पूजा पूर्वी भारत में बड़े उल्लास से की जाती है। इस दिन स्त्रियाँ पीले वस्त्र धारण कर पूजा-अर्चना करती हैं। पूरे साल को जिन छः मौसमों में बाँटा गया है, उनमें वसंत लोगों का मनचाहा मौसम है।
वसंत पंचमी-ऋषि पंचमी:-
जब फूलों पर बहार आ जाती है, खेतों में सरसों का सोना चमकने लगता है, जौ और गेहूँ की बालियाँ खिलने लगती हैं, आमों के पेड़ों पर बौर आ जाती है और हर तरफ तितलियाँ मँडराने लगती हैं, तब वसंत पंचमी का त्योहार आता है। इसे ऋषि पंचमी भी कहते हैं।
कल बसंत पंचमी के महोत्सव में श्री महंत नारायण गिरी जी के अध्यक्षता में दूधेश्वर वेद विद्यालय परिसर में बसंत के आगमन पर माघ शुक्ल बसंत पंचमी के उपलक्ष में विद्यालय परिसर में प्रथम गणपति पूजन कलश का पूजन एवं महाकाली महालक्ष्मी महासरस्वती पूजन दूधेश्वर वेद विद्यालय के समस्त आचार्य गण एवं विद्यार्थियों के द्वारा चारों वेदों का पारायण किया जाएगा कार्यक्रम के अंतिम सत्र में महाराज जी द्वारा सभी को आशीर्वाद स्वरुप प्रसाद वितरण किया जाएगा
8 बजे से 9 :50 तक पूजन चलेगा।
2022 में सरस्वती पूजा 5 फरवरी 2022 को है।
वसंत पंचमी उत्सव श्री दूधेश्वरनाथ महादेव मठ मंदिर में:-
श्री दूधेश्वरनाथ महादेव मठ मंदिर में श्री महंत नारायण गिरी जी की उपस्तिथि में भव्य तरीके से माँ सरस्वती की पूजा वेद मन्त्र के उच्चारण के साथ की जाती है। अगर आप इसका दर्शन लाभ लेना चाहते है तो 5 फरवरी को मंदिर प्रांगण में जरूर पधारे.
वसंत पंचमी की कथा:-
सृष्टि के प्रारंभिक काल में भगवान विष्णु की आज्ञा से ब्रह्माजी ने मनुष्य योनि की रचना की, परंतु वह अपनी सर्जना से संतुष्ट नहीं थे, तब उन्होंने विष्णु जी से आज्ञा लेकर अपने कमंडल से जल को पृथ्वी पर छि़ड़क दिया, जिससे पृथ्वी पर कंपन होने लगा और एक अद्भुत शक्ति के रूप में चतुर्भुजी सुंदर स्त्री प्रकट हुई। जिनके एक हाथ में वीणा एवं दूसरा हाथ वर मुद्रा में था। वहीं अन्य दोनों हाथों में पुस्तक एवं माला थी। जब इस देवी ने वीणा का मधुर नाद किया तो संसार के समस्त जीव-जंतुओं को वाणी प्राप्त हो गई, तब ब्रह्माजी ने उस देवी को वाणी की देवी सरस्वती कहा।
संगीत की उत्पत्ति:-
सरस्वती को बागीश्वरी, भगवती, शारदा, वीणावादनी और वाग्देवी सहित अनेक नामों से पूजा जाता है। संगीत की उत्पत्ति करने के कारण वह संगीत की देवी भी हैं। वसंत पंचमी के दिन को इनके जन्मोत्सव के रूप में भी मनाते हैं। पुराणों के अनुसार श्रीकृष्ण ने सरस्वती से खुश होकर उन्हें वरदान दिया था कि वसंत पचंमी के दिन तुम्हारी भी आराधना की जाएगी। इस कारण हिंदू धर्म में वसंत पंचमी के दिन विद्या की देवी सरस्वती की पूजा की जाती है।
पर्व का महत्व:-
वसंत ऋतु में मानव तो क्या पशु-पक्षी तक उल्लास भरने लगते हैं। यूं तो माघ का पूरा मास ही उत्साह देने वाला होता है, पर वसंत पंचमी का पर्व हमारे लिए कुछ खास महत्व रखता है। प्राचीनकाल से इसे ज्ञान और कला की देवी माँ सरस्वती का जन्मदिवस माना जाता है, इसलिए इस दिन मां शारदे की पूजा कर उनसे ज्ञानवान, विद्यावान होने की कामना की जाती है। वहीं कलाकारों में इस दिन का विशेष महत्व है। कवि, लेखक, गायक, वादक, नाटककार, नृत्यकार अपने उपकरणों की पूजा के साथ मां सरस्वती की वंदना करते हैं।
पूजन की विधि :-
वसंत पंचमी इसमें प्रातः उठकर बेसनयुक्त तेल का शरीर पर उबटन करके स्नान करना चाहिए। इसके बाद स्वच्छ पीले वस्त्र धारणकर माँ शारदे की पूजा करना चाहिए। साथ ही केशरयुक्त मीठे चावल अवश्य घर में बनाकर उनका सेवन करना चाहिए।
श्री दूधेश्वरनाथ महादेव मठ मंदिर में वसंत पंचमी की हरवर्ष की कुछ झलकियां:-
गाजियाबाद स्थित प्राचीन सिद्ध पीठ श्री दूधेश्वर नाथ मंदिर के परिसर में, श्री महंत नारायण गिरी जी महाराज दूधेश्वर पीठाधीश्वर अन्तर्राष्ट्रीय प्रवक्ता सचिव श्रीपंचदशनाम जूना अखाड़ा के नेतृत्व में, हर वर्ष दूधेश्वर वेद विद्यालय संस्थान के परिसर में बसंत पंचमी के अवसर पर माँ सरस्वती की पूजा की जाती है ।