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रामायण रिसर्च काउंसिल द्वारा पुस्तक “मन से मन्दिर तक” सम्मलेन में श्री महंत नारायण गिरी जी मुख्य अतिथि के रूप में सम्म्लित हुए।

“जय दूधेश्वर महादेव” 

 “जय श्री राम”

!! श्रीराम लला मन से मंदिर तक !!         

रामायण रिसर्च काउंसिल“आज दिल्ली में हिमालय भवन में आयोजित गोष्ठी रामायण रिसर्च काउंसिल के तत्वावधान में गोष्ठी आयोजित हुई जिसमें मुख्य अतिथि श्रीमहन्त नारायण गिरि जी महाराज श्री दूधेश्वर पीठाधीश्वर गाजियाबाद अन्तर्राष्ट्रीय प्रवक्ता श्री पंचदशनाम जूना अखाड़ा के मुख्य आतिथ्य में सभा हुई उपस्थिति सभी सदस्यों ने अपने विचार रखे ,

जिसमें पूज्य गुरुदेव ने अपने विचार रखे ,साथ ही हिमालय के सन्त महामण्डलेश्वर श्री हिमालयन गिरि जी महाराज, महन्त राम मोहन दास जी रामायणी अन्नपूर्णा आश्रम हिमाचल प्रदेश ,मनोज ग्रोकिला एडोवकेट सुप्रीम कोर्ट ,एवं अन्य सदस्यों ने अपने विचार व्यक्त किये ,

मन से मन्दिर तक:-

इस अवसर पर विषेश रूप से “मन से मन्दिर तक ” के पुस्तक के लेखक कुमार शुशांत जी को शुभकामनाएं दी उनको आशीर्वाद दिया कि आपके इस आध्यात्मिक श्रीराम की सेवा के लिये हम सदैव आपके साथ तत्पर है ,आपके इस प्रयास से वैदिक सनातन संस्कृति के पुरूषोत्तम भगवान श्रीराम के बारे पूरे विश्व में जन जन तक पहुंचाने का कार्य होगा ,   

श्रीराम लला मन से मन्दिर तक ग्रन्थ के प्रस्तावना :

प्रभु श्रीराम लला के जन्मस्थान पर मंदिर निर्माण के लिये संघर्ष पर आधारित बहुत सी पुस्तक लिखी गई है और इससे सम्बन्धित की खंडित रिपोर्ट्स पूर्व से ही यत्र है तो फिर यह प्रश्न कि इस पुस्तक की आवश्यकता क्यों है ,दरअसल पूर्व में लिखि गई पुस्तकों के विषय में सम्बन्धित तथ्य कम है और‌ तत्कालीन निष्पक्ष प्रस्तुत करने के लिये दिग्भ्रमित अधिक देखा जाता है तो कहीं कई सारे विषयों के विषयांतर होते भी देखा गया ,कुछ गिनी चुनी अच्छी पुस्तक भी आई है ,”रामायण रिसर्च काउंसिल का मानना है कि पुनित कार्य पूरे सनातन परिवार तथा संस्कृति के लिये इस सदी का सबसे बड़ा उत्सव था जिसका साक्षी पूरा विश्व बना ,ऐसे में अपने गुरू भगवती सीता और प्रभु श्रीराम के आशीर्वाद से पुस्तक ग्रंथ “श्रीराम लला मन से मंदिर तक “को जनमानस में व्यापक स्तर पर लाने की तैयारी की जा रही है ,

प्रभु श्रीराम मंदिर संघर्ष पर आधारित:-

इस पुस्तक को अयोध्या में प्रभु श्रीराम मंदिर संघर्ष पर आधारित अबतक की सबसे बड़ी पुस्तक इसलिए कह रहे हैं क्योंकि यह कुल 1108 पृष्ठों की है और हिन्दी के अलावा 10 अन्तर्राष्ट्रीय भाषाओं में इसका अनुवाद किया जा रहा है एवं संबंधित भाषाओं वाले पुस्तक को यूयन के सभी मान्य देशों में प्रसार किया जाएगा ।जब हम सब मिलकर इस पुस्तक ग्रंथ का वैश्विक स्तर पर प्रसार करेंगे तो निःसंदेह सनातन परिवार समेत भगवती सीता एवं प्रभु श्रीरामजी में आस्था रखने वाले अपनी संस्कृति पर गौरवान्वित होंगे हमें पूरी आशा है कि ऐतिहासिक कार्य में आप महान प्रभु भक्त की भागीदारी एवं मार्गदर्शन के साथ इसकी व्यापकता को सफल बनाने में आप सभी श्रेष्ठ जनों महानुभावों एवं सज्जनो का आशीर्वाद हमें प्राप्त होता रहेगा , रामायण रिसर्च काउंसिल की पूरी टीम की ओर से पूरे सनातन परिवार को ह्रदय से करबद्ध प्रणाम ।
    जय श्री सीताराम ,हर हर महादेव

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