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मां चंद्रघंटा पूजन से साधक को भय से मुक्ति और अपार साहस प्राप्त होता – नारायण गिरी

जसोल :- प्रसिद्ध शक्तिपीठ श्री राणी भटियाणी मन्दिर संस्थान, जसोल में गुरुवार को चैत्र नवरात्रि पर्व के तृतीय दिवस मां दुर्गा के स्वरूप मां चंद्रघंटा का पूजन किया गया। प्रातः ब्रह्ममहूर्त में माता राणी भटियाणी की मंगला आरती की गई। उसके बाद शुभ मुहूर्त में विद्वान आचार्यों एवम् पंडितो द्वारा वैदिक मंत्रोच्चार के साथ मां दुर्गा के तृतीय स्वरूप मां चंद्रघंटा का विधि विधान एवम् रीति रिवाज के साथ विशेष पूजन करवाया गया तथा संस्थान की ओर से अध्यक्ष रावल किशनसिंह जसोल द्वारा जसोल मां के अनन्य भक्तों के जीवन में खुशहाली को लेकर हवन में आहुतियां दी गई।

तथा मन्दिर प्रांगण में हवन, पूजन तथा संत महामंडल अध्यक्ष दिल्ली एनसीआर तथा पंच दशनाम जूना अखाड़ा अंतर्राष्ट्रीय प्रवक्ता व दुधेश्वर महादेव मठ गाजियाबाद श्रीमहन्त नारायण गिरी महाराज के पावन सानिध्य में संस्थान अध्यक्ष रावल किशनसिंह जसोल द्वारा कन्या पूजन एवम् कन्याओं को अन्न प्रसादम करवाया। इस दौरान महंत नारायण गिरी महाराज ने कहा कि नवरात्रि का तीसरा दिन भय से मुक्ति और अपार साहस प्राप्त करने का होता है। इस दिन मां के ‘चंद्रघंटा’ स्वरूप की उपासना की जाती है। इनके सर पर घंटे के आकार का चन्द्रमा है।

इसलिए इन्हें चंद्रघंटा कहा जाता है। इनके दसों हाथों में अस्त्र-शस्त्र हैं और इनकी युद्ध की मुद्रा है। मां चंद्रघंटा तंत्र साधना में मणिपुर चक्र को नियंत्रित करती हैं। मां चंद्रघंटा की पूजा लाल वस्त्र धारण करके करना श्रेष्ठ होता है। मां को लाल पुष्प, रक्त चन्दन और लाल चुनरी समर्पित करना उत्तम होता है। इनकी पूजा से मणिपुर चक्र मजबूत होता है। और भय का नाश होता है। इस दिन की पूजा से कुछ अद्भुत सिद्धियों जैसी अनुभूति होती है। मां चंद्रघंटा को दूध व केसर से बनी खीर का भोग लगाना अतिउत्तम होता है।

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