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30 मार्च से शुरू हो रहे हिंदू नववर्ष विक्रम सवंत 2082 को सभी धूमधाम से मनाएं घरों को भगवा पताका व आम के पत्तों की वंदनवार से सजाएं: श्रीमहंत नारायण गिरि महाराज

इसी दिन से सृष्टि की रचना हुई, यह दिन भगवान राम का राज्याभिषेक दिवस भी है
मौसम भी इस दिन से नए कलेवर में सामने आता है, नवरात्र की शुरूआत भी इसी दिन से होती है
गाजियाबादः
श्री दूधेश्वरनाथ मठ महादेव मंदिर के पीठाधीश्वर, श्री पंच दशनाम जूना अखाडा के अंतरराष्ट्रीय प्रवक्ता व दिल्ली संत महामंडल के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्रीमहंत नारायण गिरि महाराज ने कहा कि हिंदू नववर्ष विक्रम संवत 2082 का शुभारंभ नवरात्र के पहले दिन 30 मार्च से हो रहा है। हिंदू नववर्ष विक्रम संवत 2082 को सभी देशवासियों को धूमधाम से मनाना चाहिए। अपने घरों को भगवा पताकाओं व आम के पत्तों की वंदनवार से सजाना चाहिए। एक-दूसरे को बधाई व शुभकाममनाएं देकर मिठाई देनी चाहिए। श्रीमहंत नारायण गिरि महाराज ने कहा कि चैत्र शुक्ल प्रतिपदा को सृष्टि का निर्माण हुआ था था। इसी कारण देश में इस दिन को हिन्दू नववर्ष के तौर पर मनाया जाता है। इस दिन को संवत्सरारंभ, गुडीपडवा, युगादी, वसंत ऋतु प्रारंभ दिन आदी नामों से भी जाना जाता है। हिंदू नववर्ष पूर्णतः वैज्ञानिक, शाश्वत और तथ्य पर आधारित है। इस दिन से ही ब्रह्मा जी ने सृष्टि निर्माण प्रारंभ किया था। दुनिया के तमाम कैलेंडर किसी न किसी रूप में भारतीय हिंदू कैलेंडर का ही अनुसरण करते हैं। भारतीय पंचांग और काल निर्धारण का आधार विक्रम संवत ही हैं और विश्व भर के सभी कलैंडर भी किसी ना किसी रूप में उसका अनुसरण करते हैं। इसकी शुरुआत मध्य प्रदेश की उज्जैन नगरी से राजा विक्रमादित्य के शासन काल में होने के कारण ही इसे विक्रम संवत के नाम से जाना जाता है।

यह दिन भगवान श्रीराम का राज्याभिषेक दिवस भी है। भगवान राम ने अपने राज्याभिषेक के लिए इसी दिन को चुना था। युधिष्ठर का राज्याभिषेक भी इसी दिन हुआ। महर्षि दयानंद सरस्वती ने इसी दिन आर्य समाज की स्थापना की थी। यह दिन सिखों के दूसरे गुरू अंगद देव का जन्मोत्सव का दिन भी है और समाज रक्षक संत झूले लाल भी इसी दिन प्रगट हुए थे। मौसम परिवर्तन भी इसी दिन से होता है। मौसम नए कलेवर में हमारे सामने आता है। किसानों को उनकी मेहनत का फल भी इसरी समय मिलता है। नवरात्र का प्रारंभ भी इसी दिन से होता है।

नौ दिवसीय चैत्र नवरात्रि 2025
30 मार्च, 2025: प्रतिपदा (घटस्थापना और शैलपुत्री पूजा)
31 मार्च, 2025: द्वितीया (ब्रह्मचारिणी पूजा)
1 अप्रैल, 2025: तृतीया (चंद्रघंटा पूजा)
2 अप्रैल, 2025: चतुर्थी (कुष्मांडा पूजा)
3 अप्रैल, 2025: पंचमी (स्कंदमाता पूजा)
4 अप्रैल, 2025: षष्ठी (कात्यायनी पूजा)
5 अप्रैल, 2025: सप्तमी (कालरात्रि पूजा)
6 अप्रैल, 2025: अष्टमी (महागौरी पूजा और कन्या पूजन)
7 अप्रैल, 2025: नवमी (सिद्धिदात्री पूजा और राम नवमी)
शुभ मुहूर्त
प्रतिपदा तिथि 29 मार्च से प्रारंभ हो रही है। 2025, दोपहर 4:27 बजे से शुरू होकर 30 मार्च, 2025, दोपहर 12:49 बजे समाप्त होगा।

घटस्थापना मुहूर्त सुबह 6:13 बजे से शुरू होकर 10:21 बजे समाप्त होगा, जबकि घटस्थापना अभिजीत मुहूर्त दोपहर 12:00 बजे से शुरू होकर 12:50 बजे समाप्त होगा।

इन सबसे हिंदू नववर्ष के महत्व का पता चल जाता है। अतः हम सभी को अपने हिंदू नववर्ष विक्रम संवत 2082 को धूमधाम से मनाना चाहिए। श्रीमहंत नारायण गिरि महाराज ने कहा कि देश के निवासी मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव के आभारी हैं, जिन्होंने मध्य प्रदेश में विक्रम संवत मनाने की घोषणा की है और इसके लिए राष्ट्रपति व प्रधानमंत्री को भी निमंत्रण दिया है। उन्होंने कहा कि हिंदू धर्म काल से है और इसी कारण इसे सनातन व प्रकृति या प्राकृतिक धर्म भी कहा जाता है। प्रकृति धर्म इसलिए कहा जाता है कि यह धर्म नदियों, वृक्षों की पूजा करता है। प्रकृति में जितने भी जीव हैं, उन सभी की रक्षा करता है। धर्म की जय हो, अधर्म का नाश हो, प्राणियों में सदभावना हो और विश्व का कल्याण हो का संदेश देने वाला हिंदू धर्म ही है।

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