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पंचकोसी परिक्रमा में दूसरे दिन देश भर से आए श्रद्धालु हुए शामिलः श्रीमहंत नारायण गिरि महाराजश्रीमहंत हरि गिरि महाराज के नेतृत्व में पांच दिन चलेगी पंचकोसी परिक्रमा

प्रयागराजः
प्रयागराज में चारों दिशाओं में स्थापित माधव मंदिरों के साथ ही अन्य प्राचीन और पौराणिक महत्व वाले मंदिरों के दर्शन-पूजन के लिए शुरू हुई ऐतिहासिक पंचकोसी परिक्रमा यात्रा में मंगलवार को देश भर से आए श्रद्धालु शामिल हुए। जूना अखाड़े के अंतरराष्ट्रीय संरक्षक एवं अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के महामंत्री श्रीमहंत हरि गिरि महाराज के दिशा-निर्देशन व नेेतृत्व में हो रही पंचकोसी परिक्रमा यात्रा के स्वागत के लिए जगह-जगह भक्तों की भीड लगी रही। संगम स्नान व दर्शन-पूजन के बाद श्रीमहंत हरि गिरि महाराज व श्री दूघेश्वर पीठाधीश्वर व श्री पंच दशनाम जूना अखाडा के अंतरराष्ट्रीय प्रवक्ता श्रीमहंत नारायण गिरि महाराज ने पंचकोसी परिक्रमा यात्रा को रवाना किया। श्रीमहंत हरि गिरि महाराज ने कहा कि तीर्थराज प्रयागराज में पंचकोसी परिक्रमा विशेष फलदायी है। पंचकोसी परिक्रमा करने से तीर्थराज के साथ ही सभी देवताओं, ऋषियों, सिद्धों और नागों के दर्शन का पुण्य फल एक साथ मिल जाता है। इस परिक्रमा से प्रयागराज के रक्षक द्वादश माधव सहित समस्त तीर्थस्थलों की परिक्रमा भी पूरी हो जाती है।

श्रीमहंत नारायण गिरि महाराज ने कहा कि प्रयागराज तपस्थली रही है। भगवान विष्णु इस नगरी में सदियों पहले भारद्वाज मुनि जप, तप, ज्ञान और विज्ञान की शिक्षा देते थे। इसका विस्तार से पुराणों व शास्त्रों में वर्णन किया गया है। प्राचीन समय से ही प्रयागराज में पंचकोसी परिक्रमा का आयोजन होता आया है, मगर 550 वर्ष पूर्व अकबर ने इस परिक्रमा को बंद करवा दिया था। श्रीमहंत हरि गिरि महाराज के प्रयासों से यह परिक्रमा यात्रा पुनः 2019 से शुरू की गई है। मंगलवार को पंचकोसी परिक्रमा संगम स्नान, दर्शन-ूपूजन के साथ शुरू हुई। शूलटंकेश्वर महादेव के दर्शन पूजन, अरैल स्थित आदि माधव जी का दर्शन.पूजन, अरैल स्थित चक्र माधव के का दर्शन.पूजन, अरैल स्थित सोमेश्वर महादेव के दर्शन.पूजन, छिंवकी स्थित गदा माधव के का दर्शन.पूजन, महेवा स्थित श्री भैरव बाबा के दर्शन.पूजन के बाद परिक्रमा यात्रा ने संगम पर विश्राम लिया। मार्ग में जगह-जगह परिक्रमा यात्रा का स्वागत किया गया। परिक्रमा यात्रा में मुन्नी लाल पांडे, देवी मंदिर दिल्ली गेट के महंत महंत गिरिशानंद गिरि महाराज आदि शामिल रहे

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