जय दूधेश्वर महादेव !!श्रीदूधेश्वर नाथ गणपति लड्डू महोत्सव 2021 पंचम दिवस भगवान श्री गणेश का लम्बोदर स्वारूप का पूजन !!आज दूधेश्वर नाथ गणपति लड्डू महोत्सव 2021 पंचम दिवस का पूजन दूधेश्वर नाथ मंदिर में महाराज श्री द्वारा संपन्न हुआ.
लम्बोदर स्वारूप:-
भगवान् श्री गणेश का पंचम अवतार लम्बोदर श्री गणेश का है जिसके सम्बन्ध में एक श्लोक मिलता है जो इस प्रकार है –
लम्बोदरावतारो वै क्रोधासुर निबर्हणः ।
शक्तिब्रह्माखुगः सद यत तस्य धारक उच्यते ॥
अर्थ :- भगवान् श्री गणेश का लम्बोदर अवतार सत्स्वरूप तथा ब्रह्मशक्ति का धारक है, भगवान लम्बोदर को क्रोधासुर का वध करने वाला तथा मूषक वाहन पर चलने वाला कहा जाता है ।
कथा:- एक बार भगवान विष्णु के मोहिनी रुप को देखकर भगवान शिव कामातुर हो गये । जब भगवान विष्णु ने मोहिनी रूप का त्याग किया तो कामातुर भगवान् शिव का मन दुखी हो गया । उसी समय उनका शुक्र धरती पर स्खलित हो गया । उससे एक प्रतापी काले रंग का असुर पैदा हुआ। उसके नेत्र तांबे की तरह चमकदार थे । वह असुर शुक्राचार्य के पास गया और उनके समक्ष अपनी इच्छा प्रकट की । शुक्राचार्य कुछ क्षण विचार करने के बाद इस असुर का नाम क्रोधासुर रखा और उसे अपनी शिष्यता से अभिभूत किया । फिर उन्होंने शम्बर दैत्य की रूपवती कन्या प्रीति के साथ उसका विवाह कर दिया |
एक दिन क्रोधासुर ने आचार्य के समक्ष हाथ जोड़कर कहा – ‘मैं आप की आज्ञा से सम्पूर्ण ब्रह्माण्डों पर विजय प्राप्त करना चाहता हूँ । अत: आप मुझे यश प्रदान करने वाला मन्त्र देने की कृपा करें ।’ शुक्राचार्य ने उसे सविधि सूर्य-मन्त्र की दीक्षा दी।
क्रोधासुर शुक्राचार्य की आज्ञा लेकर वन मे चल गया । वहाँ उसने एक पैर पर खड़े होकर सूर्य-मन्त्र का जप किया । उस धैर्यशाली दैत्य ने निराहार रह कर वर्षा, शीत और धूप का कष्ट सहन करते हुए कठोर तप किया । असुर के हजारों वर्षो की तपस्या के बाद भगवान सूर्य प्रकट हुए । क्रोधासुर ने उनका भक्ति पूर्वक पूजन किया । भगवान सूर्य को प्रसन्न देख कर उसने कहा- ‘प्रभो ! मेरी मृत्यु न हो । मैं सम्पूर्ण ब्रह्माण्डों को जीत लूँ । सभी योद्धाओं में श्रेष्ठ सिद्ध होऊँ ।’ तथास्तु ! कहकर भगवान सूर्य अन्तर्धान हो गये ।
घर लोटकर क्रोधासुर ने शुक्राचार्य के चरणों में प्रणाम किया । शुक्राचार्य ने उसका आवेश्पुरी में दैत्यों के राजा के पद पर अभिषेक कर दिया । कुछ दिनों के बाद उसने असुरों से ब्रह्माण्ड विजय की इच्छा व्यक्त की । असुर बड़े प्रसन्न हुए । विजय यात्रा प्रारम्भ हुई । उसने पृथ्वी पर सहज ही अधिकार कर लिया । इसी प्रकार वैकुण्ठ और कैलाश पर भी उस महादैत्य का राज्य स्थापित हो गया । क्रोधासुर ने भगवान सूर्य के सूर्य लोक को भी जीत लिया । वरदान देने के कारण उन्होंने भी सूर्यलोक का दुखी ह्रदय से त्याग कर दिया ।
अत्यंत दुखी देवताओं और ऋषियों ने आराधना की । इससे संतुष्ट होकर लम्बोदर प्रकट हुए । उन्होंने कहा – ’देवताओं और ऋषियों ! मैं क्रोधासुर का अहंकार चूर्ण कर दूंगा । आप लोग निश्चिंत हो जायें
लम्बोदर के साथ क्रोधासुर का भीषण संग्राम हुआ । देवगण भी असुरों का संहार करने लगे । क्रोधासुर के बड़े – बड़े योद्धा युद्ध भूमि में आहत होकर गिर पड़े । क्रोधासुर दुखी होकर लम्बोदर के चरणों में गिर गया तथा उनकी भक्ति भाव से स्तुति कर ने लगा । सहज कृपालु लम्बोदर ने उसे अभयदान दे दिया । क्रोधासुर भगवान लम्बोदर का आशीर्वाद और भक्ति प्राप्त कर शान्त जीवन लिए पाताल चला गया । देवता अभय और प्रसन्न होकर भगवान लम्बोदर का गुणगान करने लगे ।
श्री गणेश के हर अंग हमें देते हैं कुछ सीख-lord ganesha lesson
दूधेश्वर नाथ मंदिर:-
गणेश चतुर्थी से लेकर अनंत चतुर्दशी तक दूधेश्वर नाथ मंदिर में प्रतिदिन 1100.लड्डू का भोग लगाया जा रहा है भगवान गणेश जी को साथ में ही प्रतिदिन गणेश सहस्त्रनाम से भगवान की 1000 नामों से रोज उनका पूजन किया जा रहा है गणपति अथर्वशीर्ष गणेश स्तुति गणेश चालीसा गणेश जी का संपूर्ण पूजन प्रतिदिन 7:00 से 9:00 तक 10:00 से 11:00 तक शाम को 4:00 बजे से 6:00 बजे तक 18 सितम्बर तक यह पूजन चलने वाला है और 19 सितम्बर को भगवान श्री गणेश जी का विसर्जन किया जाएगा 2021 गणेश महोत्सव सूक्ष्म रूप से दूधेश्वर नाथ मंदिर में कोरोना की गाइडलाइंस का पालन करते हुए मनाया जा रहा है
इसके साथ संपूर्ण व्यवस्था और पूर्ण सहयोग धर्मपाल गर्ग जी अध्यक्ष मंदिर विकास समिति व्यवस्था श्रृंगार विजय मित्तल जी दूधेश्वर नाथ श्रृंगार सेवा समिति के द्वारा किया जा रहा है डा० कैलाश नाथ तिवारी जी के नेतृत्व मे दूधेश्वर वेद विद्यापीठ के आचार्य तोयराज उपाध्याय जी ,नित्यानंद आचार्य जी ,विकास पाण्डेय जी ,मुकेश शुक्ल जी ,अनिल पाढी जी और विद्यार्थियों द्वारा प्रतिदिन भगवान का पूजन किया जा रहा हैआज महाराज श्री ने अभिषेक करके ,लड्डू व दूर्वा से नाम अर्चन किया ,धूप आरती दीप आरती हुई पुष्पांजलि अर्पित करके पूजन सम्पन्न हुआ।
हर हर महादेव