सावन महीने की शुरुआत मंगलवार से हो रही है। यह चार जुलाई से 31 अगस्त तक चलेगा। यह स्थिति 19 वर्ष के बाद आ रही है। इसे लेकर शिव भक्तों का उत्साह देखते ही बन रहा है। सावन शुरू होते ही जिले में कांवड़ यात्री आने लगेंगे। हरिद्वार से गंगाजल लेकर उत्तर प्रदेश के अलावा दिल्ली और राजस्थान के हजारों शिवभक्त दिल्ली-मेरठ रोड से होते हुए गाजियाबाद से गुजरेंगे।
Sawan 2023: प्राचीन दूधेश्वर नाथ मंदिर में भगवान भोलेनाथ का भव्य श्रृंगार, सावन में श्रद्धालुओं के लिए विशेष व्यवस्था सावन की महीना आज से शुरू हो गया है. पहले ही दिन प्राचीन दूधेश्वर नाथ मंदिर में श्रद्धालुओं का रेला उमड़ता दिखा. मंदिर कमेटी की तरफ से सावन में इस मंदिर में आने वाले श्रद्धालुओं के लिए विशेष व्यवस्था की गई है.
गाजियाबाद स्थित प्राचीन दूधेश्वरनाथ मंदिर में सावन के महीने में भगवान शिव की पूजा-अर्चना के लिए लाखों श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ती है। इस मंदिर संबंध लंकापति रावण से भी जोड़ा जाता है।
सावन के पहले सोमवार:-
- 10 जुलाई प्रातः काल 3:00 भगवान दूधेश्वर नाथ का रुद्राभिषेक होगा.
- छप्पन भोग लगेगा फिर शृंगार आरती होगी
- उसके बाद भक्तों का दर्शन चालू होगा
- सायंकाल दूधेश्वर भगवान क व्यंजनों से 108 भोग लगेगा
- सिंगार 6:30 बजे से लेकर 8:00 बजे तक
- आरती सिंगार समाधि गुरु मूर्ति को पूजन सावन के पहले सोमवार को भगवान का विशेष महादेव का विशेष दूधेश्वर भगवान का विशेष आरती सिंगार
पहले सावन सोमवार पर रुद्राभिषेक का समय
ज्योतिष के जानकारों के अनुसार पहले सावन सोमवार पर रुद्राभिषेक का संयोग बना है, क्योंकि इस दिन शिववास गौरी के साथ है और जब शिववास होता है, तभी रुद्राभिषेक किया जाता है। इस दिन रुद्राभिषेक का शुभ मुहूर्त प्रात: काल से लेकर शाम 06 बजकर 43 मिनट तक है।
सावन सोमवार पूजा सामग्री
फूल, पंच फल पंच मेवा, रत्न, सोना, चांदी, दक्षिणा, पूजा के बर्तन, दही, शुद्ध देशी घी, शहद, गंगाजल, पवित्र जल, पंच रस, इत्र, गंध रोली, मौली जनेऊ, पंच मिष्ठान्न, बिल्वपत्र, धतूरा, भांग, बेर, आम्र मंजरी, मंदार पुष्प, गाय का कच्चा दूध, कपूर, धूप, दीप, रूई, मलयागिरी, चंदन, शिव व मां पार्वती की श्रृंगार सामग्री।
सावन सोमवार पूजा विधि
- सावन सोमवार के दिन प्रातः जल्दी उठकर स्नान करें और इसके बाद भगवान शिव का जलाभिषेक करें।
- साथ ही देवी पार्वती और नंदी को भी गंगाजल या दूध चढ़ाएं।
- इसके बाद पंचामृत से रुद्राभिषेक करें और बेलपत्र अर्पित करें।
- शिवलिंग पर धतूरा, भांग, आलू, चंदन, चावल चढ़ाएं। इसके बाद शिव जी के साथ माता पार्वती और गणेश जी को तिलक लगाएं।
- इसके बाद पंचामृत से रुद्राभिषेक करें और बेलपत्र अर्पित करें।
- शिवलिंग पर धतूरा, भांग, आलू, चंदन, चावल चढ़ाएं।
- इसके बाद शिव जी के साथ माता पार्वती और गणेश जी को तिलक लगाएं।
- प्रसाद के रूप में भगवान शिव को घी और शक्कर का भोग लगाएं।
- अंत में धूप, दीप से भगवान भोलेनाथ की आरती करें और पूरे दिन फलाहार हर कर शिव जी का स्मरण करते रहें।