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जीवन में सच्चे आनंद व खुशी के लिए भगवान राम के आदर्शो को जीवन में उतारना होगाः श्रीमहंत नारायण गिरी महाराज

राम कथा सुनने से मन का शुद्धिकरण होता हैः वशिष्ठ पीठाधीश्वर ब्रह्मॠषि वेदांती महाराज
गाजियाबादः
श्री दूधेश्वर पीठाधीश्वर, श्रीपंच दशनाम जूना अखाडा अंतर्राष्ट्रीय प्रवक्ता, दिल्ली संत महामंडल के राष्ट्रीय अध्यक्ष व हिंदू यूनाइटिड फ्रंट के अध्यक्ष श्रीमहंत नारायण गिरी महाराज के पावन सानिध्य में श्री दूधेश्वर नाथ मठ महादेव मंदिर में आयोजित बाल्मीकि रामायण रामकथा में पांचवें दिन कई शहरों से श्रद्धालु पधारे। कथा व्यास वशिष्ठ पीठाधीश्वर ब्रह्मॠषि वेदांती महाराज की राम कथा श्रवण कर सभी भाव-विभोर हो गए। वशिष्ठ पीठाधीश्वर ब्रह्मॠषि वेदांती महाराज ने कहा कि राम कथा सुनने से मन का शुद्धिकरण होता है। इससे संशय दूर होता है और शांति व मुक्ति मिलती है। रामकथा से हर तरह का दुख मिट जाता है। उन्होंने कहा कि बिना तप और त्याग के वास्तविक प्रेम परिभाषित हो ही नहीं सकता। श्रीराम भाई भरत से प्रेम करते हैं, इसी कारण हसते.हंसते अयोध्या जैसे बड़े राज्य को भी त्याग दिया। वहीं भरत जैसे तपस्वी को राज-काज से कोई लेना-देना नहीं हैं। उनके लिए तो श्रीराम ही सब कुछ हैं।

वास्तविक प्रेम:-

इसी कारण वे नंगे पैर ही भाई से मिलने के लिए वन चल पड़े। ये वास्तविक प्रेम की परकाष्ठा है।आज इस भौतिकवादी युग में जब जरा सी संपत्ति के लिए भाई भाई का रक्त बहा रहा है, तो श्रीराम व भरत का प्रेम ही उम्मीद की किरण दिखाता है और हमारा मार्गदर्शन करता है। आये दिन समाज में वो घटनाएँ देखने को मिलती है। यदि मनुष्य अपने जीवन में सुख ओर शान्ति चाहता है तो उसे अपने सम्बंधों में मधुरता को स्थापित करना होगा। श्रीमहंत नारायण गिरी महाराज ने कहा कि पिता का पुत्र से, भाई का भाई से, पति का पत्नि से, राजा का प्रजा से, गुरू का शिष्य से कैसा प्रेम हो, इसकी शिक्षा हमें बाल्मीकि रामायण सेलेनी चाहिए। पूरी रामायण में कहीं भी वृद्ध आश्रम का कोई जिक्र नहीं है। आजकल पढ़े लिखे उच्च पद प्रतिष्ठा वाले घरों के बुजुर्ग भी वृद्धाश्रम में रहते हैं तो इसका कारण यही है कि हम अपने संस्कारों को, अपने ग्रंथों, शास्त्रों व महाकाव्यों में दी गई शिक्षा को भूला चुके हैं। इसी कारण आज हमारा पतन हो रहा है।

जीवन में सच्चा आनंद:-

यदि हमें जीवन में सच्चा आनंद व खुशी चाहिए तो हमें भगवान राम के आदर्शो को जीवन में उतारना होगा। कथा का समापन 9 जुलाई को होगा। 10 जुलाई को संत सनातन कुंभ में श्रद्धांजलि सभा व संत भंडारा होगा। 10 जुलाई को ही श्रीमहंत नारायण गिरी महाराज के दिल्ली संत महामंडल राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र के अध्यक्ष के रूप में एक वर्ष का कार्यकाल पूरा करने के उपलक्ष्य में उनका अभिनंदन समारोह होगा और बैठक का आयोजन भी होगा। महाराजश्री के अभिनंदन समारोह में जूना अखाड़े के अंतरराष्ट्रीय संरक्षक एवं अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के महामंत्री श्रीमहंत हरि गिरी महाराज,

श्रीपंच दसनाम जूना अखाड़ा के अंतर्राष्ट्रीय अध्यक्ष श्रीमहंत प्रेम गिरी महाराज, आनंद पीठाधीश्वर आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी बालकानन्द गिरी महाराज, दिल्ली संत महामंडल के संस्थापक स्वामी राघवानन्द गिरी महाराज, महामंडलेश्वर नवल किशोर दास महाराज, महामंडलेश्वर स्वामी कंचन गिरी महाराज, कोषाध्यक्ष महंत धीरेंद्र पुरी महाराज, महामंडलेश्वर साध्वी विद्या गिरी महाराज, श्रीमहंत सुरेंद्रनाथ अवधूत महाराज, थानापति महंत धर्मेंद्र गिरी महाराज, श्रीमहंत सोमगिरी महाराज, नारायण दास उदासीन महाराज, महंत दीनबंधु दास महाराज, महंत गिरीशानंद गिरी महाराज, महंत मुकेशानंद गिरी महाराज वैद्य आदि भाग लेंगे। श्रद्धांजलि सभा में मुख्य अतिथि ऊर्ध्वाम्नाय श्री काशी सुमेरु पीठाधीश्वर अनन्त श्री विभूषित पूज्य जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी नरेन्द्रानन्द सरस्वती जी महाराज होंगे।

विशिष्ट अतिथि के रूप में:-

विशिष्ट अतिथि के रूप में श्रीमहन्त पृथ्वी गिरि जी महाराज गादीपति बालक हिसार हरियाणा, श्रीमहन्त मोहन भारती जी महाराज सचिव श्रीपंचदशनाम जूना अखाडा डेरा भगाना हरियाणा, श्रीमहन्त महेश पुरी महाराज सचिव श्रीपंचदशनाम जूना अखाडा हरिद्वार, श्रीमहन्त शैलेंद्र गिरि महाराज सचिव श्रीपंचदशनाम जूना अखाडा श्री शिव मंदिर गुलजारी वाला धाम कैराना रोड शामली होंगे। सभी कार्यक्रमों की व्यवस्था महंत धीरेंद्र पुरी महाराजए महामंडलेश्वर यति नरसिंहानंद गिरी महाराजए महंत गिरिशानंद गिरी महाराजए महंत कन्हैया गिरी महाराजए महंत विजय गिरी महाराजए महंत मुकेशानंद गिरी महाराज वैद्य कर रहे हैं। संतों का स्वागत धर्मपाल गर्ग, अनुज गर्ग, विजय मित्तल, शंकर झा, अमित कुमार शर्मा व दीपांकर पांडेय करेंगे। कथा में डॉ राधवेंद्र दास महाराजए महंत गिरीशानंद गिरी महाराज, महंत मुकेशानंद गिरी महाराज, महंत विजय गिरी महाराज, महंत शैलेंद्र गिरी महाराज, महंत कैलाश गिरी महाराज श्मशानवासिनी, विजय मित्तल, अजय चोपडा आदि भी मौजूद रहे।

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