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श्रीमहंत नारायण गिरि महाराज महाराष्ट्र की चार दिवसीय धर्मयात्रा के दूसरे दिन जगदगुरू जनशांति धर्म सम्मेलन में मुख्य अतिथि रहे

हाराजश्री ने संभाजीनगर जिले में 12 वें ज्योर्तिलिंग का दर्शन.पूजन किया-महाराजश्री को शोभा यात्रा निकालकर नगर भ्रमण कराया गया
महाराष्ट्र
सिद्धपीठ श्री दूधेश्वर महादेव मंदिर गाजियाबाद के पीठाधीश्वरए श्री पंच दशनाम जूना अखाड़ा के अंतर्राष्ट्रीय प्रवक्ता व दिल्ली संत महामंडल के अध्यक्ष श्रीमहंत नारायण गिरि महाराज महाराष्ट्र की चार दिवसीय धर्मयात्रा कर रहे हैं। धर्म यात्रा के दूसरे दिन महाराजश्री ने संभाजीनगर जिले में 12 वें ज्योर्तिलिंग श्री घुश्मेश्वर जिसे घृष्णेश्वर भी कहा जाता हैए के दर्शन किए। उन्होंने भगवान घृष्णेश्वर भगवान व भगवान परशुराम की पूजा.अर्चना की। मंदिर समिति के अध्यक्ष योगेश सुधाकर टोपरे समेत सभी पदाधिकारियों व हजारों भक्तों ने महाराजश्री का स्वागत कर उनका आशीर्वाद लिया। श्रीमहंत नारायण गिरि महाराज ने कहा कि घृष्णेश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर हिन्दुओं की परंपरा के अनुसार महत्वपूर्ण धार्मिक स्थलों में से एक है। इस ज्योतिर्लिंग को भगवान शिव का बारहवां और अंतिम ज्योतिर्लिंग भी कहा जाता है। यह मंदिर सादगी से परिपूर्ण है। यहीं पर श्री एकनाथ जी के गुरु श्री जनार्दन महाराज जी की समाधि भी है। घृष्णेश्वर शब्द का अर्थ करुणा के स्वामी होता है।

घृष्णेश्वर भगवान करूणा अवतार:-

घृष्णेश्वर भगवान करूणा के अवतार हैं और वे सच्चे मन से उनकी पूजा.अर्चना करने वाले भक्त के सभी कष्ट दूर कर उस पर अपनी कृपा की बारिश करते हैं। यह मंदिर हिंदू धर्म में सबसे प्रतिष्ठित और पवित्र तीर्थ स्थलों में से एक हैै। विशेष रूप से भगवान शिव के उपासकों के लिए यह मंदिर बहुत महत्त्व रखता है क्योंकि यह उन 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक हैए जहां भगवान शिव दिव्य रूप से साक्षात विराजमान हैं। देशण्विदेश से हजारों लोग इस मंदिर के दर्शन करने के लिए आते हैं। मान्यता है इसके एक मात्र दर्शन से ही व्यक्ति के जीवन में जानेण्अनजाने हुए पाप कट जाते हैं। इस मंदिर में दर्शन मात्र से निःसंतानों को संतान की प्राप्ति होती है। महाराजश्री ने गुरु श्री जनार्दन महाराज जी की समाधि के दर्शन.पूजन किए और हनुमान जी की आराधना की। महाराजश्री की शोभा यात्रा निकाली गई और उन्हें नगर भ्रमण कराया गया। इसके बाद महाराजश्री मंदिर के पास ही स्थापित श्री संत जनार्दन स्वामीए मौन गिरि महाराज आश्रम में 28 अप्रैल से चल रहे जगदगुरू जनशांति धर्म सम्मेलन में मुख्य अतिथि के रूप में भाग शामिल हुए।

जगदगुरू जनशांति धर्म सम्मेलन का आयोजन:-

महाराजश्री का स्वागत पूजन किया गया। जगदगुरू जनशांति धर्म सम्मेलन का आयोजन हर वर्ष  निष्काम कर्मयोगी शिवयोगी जगदगुरू स्वामी जनार्दन स्वामी जिन्हें मौन गिरि महाराज के नाम से भी जाना है, के उत्तराधिकारी आध्यात्म शिरोमणि जगतगुरू स्वामी शांति गिरि महाराज की प्रेरणा से हो रहा है। सिद्धपीठ श्री दूधेश्वर महादेव मंदिर गाजियाबाद के पीठाधीश्वर, श्री पंच दशनाम जूना अखाड़ा के अंतर्राष्ट्रीय प्रवक्ता व दिल्ली संत महामंडल के अध्यक्ष श्रीमहंत नारायण गिरि महाराज ने कहा कि राष्ट्रसंत सद्गुरु जनार्दन स्वामी मौनगिरी महाराज बाबाजी ऐसे संत हैए जिनके दर्शन आज भी भक्तों को होते हैं और उनकी कृपा से भक्तों के सब दुख.दर्द दूर होते हैं। बाबा जी प्रतिदिन सिद्धासन में 18 घंटे तक तपस्या करते थे व भगवान शिव के नाम का जाप करते थे। जिसके परिणामस्वरूप भगवान शिव साक्षात् बाबाजी के सामने प्रकट हुए। भगवान शिव ने उन्हें कई बार दर्शन दिए। अपने पूरे जीवन में बाबाजी ने शिव भक्ति का प्रचार और प्रसार किया और लोक कल्याण के कार्य किए। उन जैसे संत भक्तों के कल्याण के लिए ही जन्म लेते हैं।

महाराष्ट्र की धरती उन जैसे संतों के चरण पडने से धन्य हो गई है। उनके उत्तराधिकारी आध्यात्म शिरोमणि जगतगुरू स्वामी शांति गिरि महाराज उनके कार्यो को आगे बढाते हुए पूरे विश्व में ना सिर्फ भारतीय संस्कृति व सनातन धर्म का प्रचार.प्रसार कर रहे हैं, वरन लोगों में अच्छे संस्कार भी पैदा कर रहे हैं। आज समाज, भारत ही नहीं पूरे विश्व को आध्यात्म शिरोमणि जगतगुरू स्वामी शांति गिरि महाराज जैसे संतों की जरूरत हैए जो उनका सही मार्गदर्शन कर सकें, गलत मार्ग पर जाने से बचा सकें। महाराजश्री ने आध्यात्म शिरोमणि जगतगुरू स्वामी शांति गिरि महाराज से भी भेंट की। उन्होंनेे सरला बेट गौधाम आश्रम में महंत नारायण गिरि महाराज की सिद्ध समाधि पर मत्था टेका व पूजा-अर्चना की। आश्रम के वर्तमान महंत महाराष्ट्र के सिद्ध संत राम गिरि महाराज हैं, जो देश विदेश में भारतीय धर्म, संस्कृति व भारतीय परम्परा की ज्योत प्रज्जवलित कर रहे हैं और जिनके प्रवचनों में लाखों भक्तों की भीड उमडती है, उनसे भी भेंटकर महाराजश्री ने धर्म चर्चा की।

  • सम्मेलन में 30 अप्रैल को महामंडलेश्वर आचार्य स्वामी प्रणवानंद सरस्वती महाराज व अखिल भारतीय संत समिति महाराष्ट्र के अध्यक्ष गोपाल चैतन्य महाराज धर्म सम्मेलन को सम्बोधित करेंगे।
  • मई को जगदगुरू शंकराचार्य नरेंद्रानंद सरस्वती महाराज सुमेरूपीठ वाराणसी मुख्य अतिथि रहेंगे।
  • 2 मई को श्री श्री 1008 शंकरानंद सरस्वती महाराज व श्रीमहंत गणेशानंद सरस्वती महाराज मुख्य अतिथि के रूप में शामिल रहेंगे।
  • 3 मई को श्री श्री 1008 यतीनंद्रागिरि महाराज रूउकी हरिद्वार व श्री पंच दशनाम जूना अखाडा के वरिष्ठ सभापित श्रीमहंत प्रेम गिरि महाराज मुख्य अतिथि होंगे।
  • 4 मई को श्री पंच दशनाम जूना अखाडे के अंतर्राष्ट्रीय संरक्षक व अखिल भारतीय अखाडा परिषद के महामंत्री श्रीमहंत हरि गिरि महाराज मुख्य अतिथि होंगे।
  • 5 मई को श्रीमद जगदगुरू शांति गिरि महाराज मुख्य अतिथि रहेंगे।

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