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श्री वैष्णव विरवत मंडल व दिल्ली संत महामंडल राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र द्वारा बीमार व लाचार गौ माता की सेवा व इलाज के लिए गौ सेवा रथ का शुभारंभ

बीमार व लाचार गौ माता की सेवा व इलाज करेगा गौ सेवा रथ, गौ सेवा रथ का शुभारंभ श्रीमहंत नारायण गिरी महाराज ने किया
मृत गायों का अंतिम संस्कार भी किया जाएगा
गाजियाबाद:
श्री वैष्णव विरवत मंडल व दिल्ली संत महामंडल राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र द्वारा बीमार व लाचार गौ माता की सेवा व इलाज के लिए गौ सेवा रथ का शुभारंभ सोमवार को सिद्धपीठ श्री दूधेश्वर नाथ मठ महादेव मंदिर से हुआ। श्री दूधेश्वर पीठाधीश्वर, श्रीपंच दशनाम जूना अखाडा अंतर्राष्ट्रीय प्रवक्ता, दिल्ली संत महामंडल के राष्ट्रीय अध्यक्ष व हिंदू यूनाइटिड फ्रंट के अध्यक्ष श्रीमहंत नारायण गिरी ने गौ सेवा रथ को हरी झंडी दिखाकर रवाना किया। महाराजश्री ने कहा कि गौ माता में सभी देवी देवताओ का वास है। इसी कारण गौ माता की सेवा करने से हर प्रकार का कष्ट दूर होता है।

यह दुर्भाग्य की बात है कि आज गौमाता भूखी प्यासी भटकने को मजबूर है। बीमार व लाचार गायों की सेवा व इलाज तथा मृत गायों के हिंदू रीति-रिवाज से अंतिम संस्कार हेतु ही गौ सैवा रथ शुरु किया गया है। श्री श्रीचंद उदासीन गोधाम सेवा ट्रस्ट इस रथ का संचालन करेगा। महंत नवल किशोर दास महाराज, महंत कंचन गिरी महाराज, महंत धीरेंद्र पुरी महाराज, स्वामी वैद्य मुकेशानंद गिरी महाराज व संचालक महंत मंगलदास महाराज आदि भी मौजूद रहे।

सनातन धर्म में गौमाता:-

सनातन धर्म में गाय को माता का दर्जा दिया गया है। सनातन धर्म में गाय को श्रेष्ठ बताया गया है। स्वामी दयानंद सरस्वती कहते हैं कि एक गाय अपने जीवनकाल में 4,10,440 मनुष्यों के लिए भोजन का योगदान देती है। यह वैज्ञानिक रूप से सिद्ध है कि गाय में अन्य जानवरों की तुलना में अधिक सकारात्मक ऊर्जा होती है। गाय की पीठ पर रीढ़ की हड्डी में स्थित सूर्यकेतु तंत्रिका होती है जो हानिकारक विकिरणों को रोककर पर्यावरण को स्वच्छ रखती है। जो पर्यावरण के लिए फायदेमंद है। सूर्यकेतु पात्र सूर्य के संपर्क में आने पर सोना बना सकता है। आप गाय के शरीर से निकले सोने को गाय के दूध, मूत्र और गोबर में पा सकते हैं। यह सोना दूध और मूत्र पीने से शरीर में प्रवेश करता है और गोबर के जरिए खेतों में चला जाता है। गाय एकमात्र ऐसा प्राणी है जो ऑक्सीजन लेती है और ऑक्सीजन ही छोड़ती जिसमें वे इस निष्कर्ष पर पहुंचे कि गाय के घी से 10 ग्राम आहुति देने पर 1 टन ऑक्सीजन उत्पन्न होती है।

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