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मां कमला की कृपा पाने के लिए देवता, राक्षस व मनुष्य सभी तरसते हैंः श्रीमहंत नारायण गिरि महाराज

श्री दूधेश्वर नाथ मठ महादेव मंदिर में चल रहे गुप्त नवरात्रि अनुष्ठान का समापन मां कमला की आराधना व हवन से हुआ
महाराजश्री बोले, मां कमला की पूजा-अर्चना श्रेष्ठ मानी गई है
गाजियाबादः
सिद्धपीठ श्री दूधेश्वर नाथ मठ महादेव मंदिर में मंदिर के पीठाधीश्वर श्रीमहंत नारायण गिरि महाराज के पावन सानिध्य व अध्यक्षता में चल रहे गुप्त नवरात्रि अनुष्ठान का समापन शनिवार को मां की दसवीं महाविद्या मां कमला की पूजा-अर्चना के साथ हुआ। मां कमला की पूजा-अर्चना करने के लिए साधकों की भीड लगी रही। साधकों ने महाराजश्री भेंटकर उनका आशीर्वाद भी लिया। मंदिर में अनुष्ठान के अंतिम हवन भी हुआ जिसमें आहुति देकर साधकों ने मां कमला से सभी पर अपनी कृपा की बारिश कर उन्हें सभी कष्टों से मुक्त कर सुख-समृद्धि व खुशहाली प्रदान करने की प्रार्थन की। श्रीमहंत नारायण गिरि महाराज ने बताया कि गुप्त नवरात्रि के अंतिम दिन मां की दसवीं व अंतिम महाविद्या मां कमला की आराधना की जाती है।

मां कमला की आराधना सबसे अधिक महत्वपूर्ण मानी जाती है क्योंकि इनकी कृपा के बिना देवता, राक्षस, मानव आदि सब पंगु हैं। इसी कारण देवता, राक्षस, मानव, यक्ष, गंधर्व आदि सभी इनकी आराधना करते हैं और इनकी कृपा के लिए तरसते हैं। मां कमला भगवान विष्णु की आदिशक्ति मां महालक्ष्मी का ही तांत्रिक स्वरूप है। मां कमला भाग्य, सम्मान, पवित्रता और परोपकार, प्रसिद्धि, भाग्य व धन की देवी हैं। वे सभी दिव्य गतिविधियों में मौजूद उर्जा हैं। मान्यताओं के अनुसार आख़िरी महाविद्या देवी कमला का पूजन श्रेष्ठ है। शास्त्रों में मां कमला को धन संपदा की अधिष्ठात्री देवी कहा जाता है। इनकी आराधना से भौतिक सुखों की प्राप्ति होती है। साथ ही इनका पूजन करने से जीवन से दरिद्रताए संकट, गृहकलह और अशांति.हमेशा के लिए दूर होती है और जीवन में सुख.समृद्धि आती है।

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