मां की पूजा-अर्चना करने से मनोकामनाएं पूर्ण होने के साथ आत्मिक शांति भी प्राप्त होती हैः श्रीमहंत नारायण गिरि गाजियाबादः
श्री दूधेश्वर नाथ मठ महादेव मंदिर में गुप्त नवरात्रि के तीसरे दिन महाविद्या मां त्रिपुर सुंदरी की पूजा-अर्चना की गई। सोमवार होने के कारण मां व भगवान दूधेश्वर की पूजा-अर्चना के लिए मंदिर में शहर भर से श्रद्धालु पहुंचे । मंदिर के पीठाधीश्वर श्रीमहंत नारायण गिरि के पावन सानिध्य में मां की विधि.विधान से पूजा-अर्चना की गई। आरती के बाद उनको श्वेत वर्ण और दूध से बने पदार्थों का भोग लगाया गया। श्री दूधेश्वर पीठाधीश्वर, श्री पंच दशनाम जूना अखाडा के अंतरराष्ट्रीय प्रवक्ता, दिल्ली संत महामंडल के राष्ट्रीय अध्यक्ष व हिंदू यूनाइटिड फ्रंट के अध्यक्ष श्रीमहंत नारायण गिरि महाराज ने कहा कि गुप्त नवरात्रि के तीसरे दिन तीसरी श्रीविद्या ललिता देवी माता त्रिपुर सुंदरी की पूजा-अर्चना की जाती है, जो ऐश्वर्य और सौंदर्य की देवी हैं। मां को ललिता व राज राजेश्वरी के नाम से भी जाना जाता है।
माता त्रिपुर सुंदरी शीघ्र प्रसन्न होती हैं और मनोवांछित फल देती हैं। उन्हें त्रिपुर सुंदरी इसलिए कहा जाता है क्योंकि तीनों लोक में उनसे अधिक सुंदर कोई नहीं है। मां त्रिपुरसुंदरी जगदंबे माता पार्वती का ही परम स्वरूप है। भगवती माता पार्वती ही ललिता त्रिपुरसुंदरी के रूप में समस्त ब्रह्मांड की महारानी हैं, इस कारण उन्हें माता रानी कहा जाता है। मां ललिता धर्म अर्थ काम मोक्ष को प्रदान करने वाली देवी हैं।त्रिपुरा में त्रिपुर सुंदरी का शक्तिपीठ है।
शक्तिपीठ में माता की चार भुजाएं और 3 नेत्र हैं। सभी षोडश कलाओं से युक्त होने के कारण इनको षोडशी के नाम से भी जाना जाता है। मां का सुंदर रूप अत्यंत ही सुखकारी व मन को लुभा लेने वाला है। इनका प्राकट्य अपने भक्तों के मन से भय को समाप्त करने व अंतर्मन को शांति प्रदान करने के लिए हुआ था। इनकी पूजा.अर्चना करने से सुंदर रूप की प्राप्ति होती है, वैवाहिक जीवन सुखमय बना रहता है, जीवनसाथी की तलाश पूरी होती है, मन नियंत्रण में रहता है और आत्मिक शांति की प्राप्ति होती है।
Jai mata di