ये हम सभी जानते है सावन माह को पूरे 12 मास में सबसे पवित्र मास माना जाता है। इस मास का प्रत्येक दिन पवित्र होता है। और हर दिन भगवान की आराधना के लिए उपयुक्त होता है। इसमास शिव पार्वती के साथ श्री कृष्ण की पूजा भी की जाती है।
पौराणिक मान्यता के अनुसार हिन्दू धर्मग्रंथों में कहा गया है कि समुद्र मंथन के दौरान निकले विष का पान करने से भगवान शिव के शरीर का तापमान बढ़ने लगा था। ऐसे में शरीर को शीतल रखने के लिए भोलेनाथ ने चंद्रमा को अपने सिर पर धारण किया और अन्य देव उन पर जल की वर्षा करने लगे। यहां तक कि इन्द्र देव भी यह चाहते थे कि भगवान शिव के शरीर का तापमान कम हो, इसलिए उन्होंने अपने तेज से मूसलाधार बारिश कर दी। इस वजह से सावन के महीने मे सावन के महीने में अत्याधिक बारिश होती है, जिससे भोलेनाथ प्रसन्न होते हैं।
भगवान शिव के भक्त कावड़ ले जाकर गंगा का पानी शिव की प्रतिमा पर अर्पित कर उन्हें प्रसन्न करने का प्रयत्न करते हैं। इसके अलावा सावन माह के प्रत्येक सोमवार को भगवान शिव पर जल चढ़ाना शुभ और फलदायी है।सावन के महीने में व्रत रखने का भी विशेष महत्व है।
सावन व सोमवार:-
सावन व सोमवार सोमवार दिन का प्रतिनिधि ग्रह चन्द्रमा है। चंद्रमा मन के नियंत्रण और नियमण में उसका (चंद्रमा का) महत्त्वपूर्ण योगदान है।चंन्द्रमा भगवान शिव जी के मस्तक पर विराजमान है। भगवान शिव स्वयं साधक व भक्त के चंद्रमा अर्थात मन को नियंत्रित करते हैं। इस प्रकार भक्त के के मन को वश में तथा एकाग्रचित कर अज्ञानता के भाव सागर से बाहर निकालते है। यही कारण है की सोमवार दिन शिवजी के लिए बहुत ही महत्त्वपूर्ण है।
जय हो